चेकिंग के दौरान मजदूरों से भरे ओवरलोड वाहन को इशारे से निकालना पुलिस के लिए प्रश्नचिन्ह

चेकिंग के दौरान मजदूरों से भरे ओवरलोड वाहन को इशारे से निकालना पुलिस के लिए प्रश्नचिन्ह

*लोगों के समझ से परे, क्या है पुलिस का टारगेट*


अनूपपुर

पुलिस हाँ ! दिन रात मेहनत करती है बात तो सत्य है ठंडी,गर्मी,बरसात,हर मौसम में काम करना बड़ी-बड़ी चुनोतियाँ से सामना करना इनके दायित्व में है । करते भी है प्रत्येक उलझनों में सबसे आगे है तो पुलिस लेकिन " किसके " लिये यह समझ से परे,जहाँ सुनो बस टारगेट,आखिर किसका,किसके लिए ,कैसा टारगेट ये आमजन के समझ से परे है। जिलेभर में 24 घंटे वाहन चेकिंग कहीं ट्रैफिक, तो कहीं आरटीओ, या कोतवाली सहित जिले भर के विभिन्न थानों को मिलाकर सड़कें सूनी नही रहती, पुलिस के वाहन चेकिंग या चलानी कार्यवाही से। इसके बावजूद भी न तो पुलिस का टारगेट पूरा हो पाता और न ही कार्यवाही, धड़ल्ले से चल रहे ओवरलोड वाहन को पुलिस की बर्दी मित्र समान दिखते नजर आती है। मजे की बात तो यह है की जब वाहन चालक रोके जाने पर यह कहते हैं, कि साहब 200 ले लो जैतहरी की पुलिस दो सौ रुपए में महीने भर गाड़ी नहीं रोकती और जैसे महीना पूरा हुआ नहीं कि फिर वही 200 उन्हें देकर हम आते जाते रहते हैं। मामला जिला मुख्यालय के साईं मंदिर के समीप सुबह-सुबह कोतवाली पुलिस द्वारा  चलाए जा रहे वाहन चेकिंग के नाम पर चल रहे चालानी कार्यवाही के दरमियान की बात है। बात पूरी हुई नहीं रोजाना की तरह कई माह से सुबह लगभग 8:00 के करीब जैतहरी की ओर से एक पिक अप दौड़ा चला आ रहा था जिसमें कम से कम नहीं तो 50 से ऊपर ही मजदूर वर्ग के लोग लगे थे। जिसे देखकर ऐसा लगा कि आधा सैकड़ा जान की सवारी कर रहा पिकअप जो पहली बार नहीं कई माह से सुबह आता है और देर शाम वापस जाता है। जो एकदम नियम विरुद्ध है पर पुलिस निश्चित तौर पर कार्यवाही करेगी और उक्त पिकअप वाहन इतने लोगों को भूसे की तरह बैठा कर कल से आना बंद कर देगा ,लेकिन हुआ यह कि देखते ही देखते कुछ कर्मचारियों ने उक्त पिकअप वाहन को इशारे से भेज दिया। इस दरमियान यह भी देखा गया कि बड़े एवं भारी वाहन जैसे किसी बोगदे में रेल चल रही हो, की तरह जा रहे हैं। पुलिस ना तो उन्हें रोक रही ना ही वह पुलिस को देखकर घबरा रहे। ऐसी स्थिति में पुलिस का अपना एक टारगेट पूरा हो तो कैसे अब बचा कौन दूध व्यापारी ,सब्जी व्यापारी ,गरीब किसान  इनके ऊपर पुलिस का रूतबा टारगेट पूरा करने के लिए बचता है और उसी में पुलिस अपना टारगेट पूरा कर बैरंग वापस हो जाती है। बड़ी बात तो यह है कि पुलिस के कर्मचारी जब इन गरीब तबके के लोगों को चमका कर पीने से अपना टारगेट पूरा करते हैं तो फिर यह बड़े ओवरलोड वाहन ,अवैध कारोबारियों के पास से किस का टारगेट पूरा होता है जिन्हें यह छोटे पुलिस के कर्मचारी छू नहीं सकते।

ज्ञातव्य है कि जैतहरी मुख्य मार्ग से उक्त पिकअप रोजाना सुबह मानव जाति से भरा हुआ ओवरलोड आता है तो वही देर शाम वापस जाता है। इतना ही नहीं सुबह लगभग 9:00 से 10:00 के बीच मुख्य मार्ग कोतमा रोड से गिरवा एवं जैतहरी के मजदूरों को लेकर गहरवार कंपनी की बस जो क्षमता सिंह 3 गुना सवारी लेकर चलती है कभी सामतपुर तिराहे के पास तो कभी ढाबा एवं पेट्रोल पंप के समीप उन मजदूरों को उतार कर खाली बस स्टैंड तक आती है इतना ही नहीं वापसी शाम को उक्त बस की दशा सोन नदी के ऊपर देखा जा सकता है। साहब कहते हैं कि शहर के अंदर नो एंट्री लागू है तब आए दिन सुबह दोपहर एवं शाम कुछ गाड़ियां ऐसे भी देखने को मिलती है कि आगे से पुलिस का कर्मचारी उन्हें शहर के बीचो-बीच से दबंगई के साथ बाहर निकाल देता है आखिर उनके ऊपर टारगेट है तो किसका।

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