मारपीट के आरोपी वकील की गिरफ्तारी हेतु महिलाओं ने पुलिस अधीक्षक को सौंपा ज्ञापन
*पति से भरण-पोषण खर्चा हेतु पहुंची थी न्यायालय,ज्ञापन में उल्लेख आप बीती*
शहडोल/अनूपपुर
विगत दिनों सोशल मीडिया में शहडोल जिले के व्यवहारी न्यायालय परिसर में एक युवती के साथ अधिवक्ता द्वारा मारपीट की वीडियो जमकर वायरल होती दिखी थी जिस मामले में युवती के द्वारा थाने में शिकायत दर्ज कराई गई और मामला पुलिस द्वारा कायम कर लिया गया था।
*ज्ञापन में उल्लेख है आप बीती*
विगत दिनांक 9 मई 2022 को दोपहर पीड़िता अपने दर्जनों सामाजिक महिलाओं के साथ पुलिस अधीक्षक जिला शहडोल कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा जिसमें पीड़िता द्वारा बताया गया है कि मैं भारती पटेल पिता दशरथ प्रसाद पटेल उम्र 20 वर्ष ग्राम ढोढा थाना व्यवहारी तहसील जैसिंहनगर जिला शहडोल मध्य प्रदेश की रहने वाली हूं। मैं दिनांक 5 मई 2022 को धारा 125 के भरण-पोषण के संबंध में न्यायालय व्यवहारी में मेरी पेशी थी जिसके लिए मैं 12:00 बजे पहुंची थी और अपने अधिवक्ता श्री कुंज बिहारी के कक्ष में बैठी थी। समय लगभग 4:00 बजे मेरी पेशी होने के उपरांत न्यायालय कक्ष से बाहर निकल रही थी तभी मेरा सामना मेरे पति प्रमोद कुमार पटेल से हुआ जो कि अधिवक्ता भगवान सिंह के बैठक के सामने पेढ़ के नीचे खड़ा था मैं अपने पति से जाकर बोली की तुमने मुझे बिगाड़ा है तुम्हारे और मेरे संबंध से लड़का पैदा हुआ है जिसका डीएनए टेस्ट रिपोर्ट भी आ चुका है और साबित हो चुका है कि लड़का तुम्हारा ही है अब तुम मुझे अपनी पत्नी के रूप में क्यों नहीं रख रहे हो हमारे बीच में जब तक बातचीत चल रही थी तब अधिवक्ता भगवान सिंह अपने चेंबर में था। अधिवक्ता भगवान सिंह ठाकुर अपने चेंबर से मुझे गंदी-गंदी मां बहन और चरित्र संबंधित गाली देते हुए बोले कि मेरे आवेदक से बात करने वाली तुम कौन होती हो तब मैंने बाहर से जवाब दिया सर यह आपका मामला नहीं है हम पति-पत्नी आपस में बात कर रहे हैं इतने में अधिवक्ता भगवान सिंह को किसी ने कोर्ट में बुलावा की बात कहे, तब कोर्ट के अंदर चले गए और तुरंत कोर्ट से बाहर निकले मैं वहीं पेड़ के नीचे खड़ी थी। वह फिर से मुझे अभद्र अशोभनीय गाली देते हुए कहा कि यहां जाएगी या नहीं कहते हुए मुझे पीछे से जोर से धक्का दिया जिससे मेरा 8 माह का दुधमुहा बच्चा मेरी गोद से जमीन पर गिर गया इसके बाद दौड़ कर बच्चे को रौंदते हुए बोले इसको ही जान से खत्म कर दूंगा तो सारा खेल ही खत्म हो जाएगा। जब मैं बच्चे को बचाने के लिए पहुंची तो उन्होंने मुझ पर हमला कर दिया मारपीट करने लगे मैं अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भागती रही परंतु फिर भी वह मुझे दौड़ा-दौड़ा कर मारते रहे उन्होंने मुझे मेरे शरीर पर कई जगह पर बलपूर्वक वार किए। साथ ही मेरे सीने को भी जोर से दबाया और मारा जिसके कारण मेरे सीने में उनके नाखून के निशान लगे हुए हैं। मेरे कंधे व शरीर में अंदरूनी चोटें आई हैं। मारपीट के दौरान न्यायालय में उपस्थित दिलीप चतुर्वेदी जी के द्वारा अंत में बीच-बचाव किया गया। तब मैं रोती हुई कोर्ट में जज चंदेल साहब के पास पूरी घटना बताई तब किसी ने पुलिस को सूचना दी और मैं अपने बच्चे के सहित महिला पुलिस ललिता पटेल के साथ थाना पहुंची और थाना प्रभारी के निर्देश पर एमएलसी हेतु सिविल अस्पताल व्यवहारी गई जहां पर कार्य प्रभावित करने हेतु पहले से ही मेरे पति प्रमोद पटेल एवं कई वकील बाहर खड़े हुए थे। इस प्रकार रात्रि 8:00 बज गए थे इसके उपरांत मेरे आवेदन पर अमल करते हुए करीबन 10:45 बजे बड़ी मुश्किल से मामला दर्ज किया गया फिर मैं स्वतः अपने घर चली गई।
*घटना के अनुसार नहीं लगी धाराएं,गिरफ्तारी न होने से भय*
पीड़िता भारती पटेल ने पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपने का प्रमुख उद्देश्य उल्लेख किया है कि मेरे साथ जिस प्रकार की घटना अधिवक्ता भगवान सिंह ठाकुर के द्वारा की गई है उस पर थाना प्रभारी द्वारा जो मामला कायम किया गया है और धाराएं लगाई गई हैं वह परिपूर्ण नहीं है घटना के मुताबिक जो अपराध बनता है वह आरोपी के ऊपर नहीं लगाई गई हैं जिस पर और भी धाराएं बढ़ाई जाए और आरोपी अभी भी खुलेआम घूम रहा है जिसकी गिरफ्तारी नहीं की गई है। जो अपने प्रभाव से अधिवक्ता संघ ब्यौहारी को लेकर मेरे ऊपर गलत प्राथमिकी दर्ज करने का दबाव बना रहा है जिससे मैं भयभीत हूं तत्काल इनकी गिरफ्तारी किया जाना न्याय संगत होगा अन्यथा यह फिर से मेरे बच्चे एवं मेरे ऊपर प्राणघातक हमला कर सकता है।
*न्याय की गुहार*
पीड़िता ने पुलिस अधीक्षक शहडोल को ज्ञापन सौंप पर न्याय की गुहार लगाते हुए मांग किया है कि भगवान सिंह ठाकुर द्वारा जिस तरह का क्रूर मानवीय कृत्य किया गया है एवं मेरे दूधमुहे बच्चे को पैर से रौंदने और जान से मारने का प्रयास किया गया है। मुझ महिला के साथ छेड़खानी तरीके से मारपीट किया गया है जो सख्त अपराध है इसलिए मान्यवर इनके ऊपर कड़े अपराध व धाराएं बढ़ाते हुए इनकी अधिवक्ता की लाइसेंस रद्द किया जाए जिससे भविष्य में इस तरह का घटना किसी और असहाय गरीब महिला के साथ घटित ना हो।