अस्पताल निर्माण में हो रही है लीपापोती, काम सही न होने पर ग्रामीणों ने जताया विरोध
*ठेकेदार की मनमानी निर्माण स्थल पर अभी तक नही लगा कोई बोर्ड, ग्रामीणों को अस्पताल के बारे में कुछ नही पता*
अनूपपुर/जैतहरी
जिला अनूपपुर के जनपद पंचायत जैतहरी अंतर्गत आने वाला गांव सोन मौहरी मैं बन रहा अस्पताल इस तरह से लीपापोती और गुप्त तरीकों से काम करवाया जा रहा है। ग्राम वासियों को इतना पता है बिसाहूलाल जी ने भूमि पूजन किए थे की अस्पताल बनेगा इसके अलावा उनको यह पता नहीं है कि कितने हजार यह कितने करोड़ का अस्पताल बनेगा अस्पताल को 3 महीने से भी ज्यादा हो गया काम करते मगर अभी तक कोइ बोर्ड नही लगा है कितने राशि का अस्पताल बनने का स्वीकृत हुआ है। किन तरीकों से अस्पताल बनवा रहे हैं और रेत जितना मंगवा रहे है सब इतना घटिया रेत जिसमें छपाई किया जाता है उसमें यह ढलाई करवाते हैं और बीम कॉलम ऐसे ढलाई करवाते हैं कि एक एक गिट्टी या लक्षण और उसके साथ राड़ भी कोई भी इंसान गिन सकता है यह देख सकता है कि कितना घटिया काम किया जा रहा है और ग्रामीणों के पूछने पर पेटी ठेकेदार मानसिंह ने बताने से मना किए और ग्रामीणों की बार बार पूछने पर की बेस कितने का होता है और कितना इंच किया जाता है और बेस के बाद कितने फुट एक कितने इंच मैं राड बांधा जाता है इसके बाद ढलाई किया जाता है यह पूछने पर पेटी ठेकेदार मानसिंह गुस्से से लाल हो गए और बोलने लगी तुम कोई ऑफिसर हो यह कोई साहब हो तो तुम्हें यह सब बताएं तो ग्रामीणों के बोलने पर हम ग्राम के निवासी हैं हमको यह जानने का हक है लेकिन मैं तुम लोगों को बताना कोई जरूरी नहीं समझता और ग्रामीणों को बोलने पर इस का स्टीमेट कौन रखा है मान सिंह बोलता है इसका एस्टीमेट ठेकेदार के पास है उनसे बात कर लो ग्रामीण बोली कि आप एस्टीमेट नहीं रखे हैं बिना एस्टीमेट क काम करवाना शुरू कर दिया तो गुस्से से बोले ठेकेदार का नंबर ले लो उससे बात कर लो मेरा मन है जैसा काम करना है मैं करवा रहा हूं और बोलो कि तुम लोग कुछ नहीं कर पाओगे जो ठेका लिया है वह खुद इंजीनियर है और ठेकेदार भी है और साथ में बीजेपी का नेता भी हैं मान सिंह बोलते हैं कि उनके बैठने उठना बड़े-बड़े नेता के साथ होता है और अनूपपुर जिले में जितना भी सरकारी अस्पताल बनता है सब उन्ही के द्वारा बनाया जाता हैं और कोई नहीं बनवा सकता ग्रामीण का कहना है कि इसीलिए सही काम नही करवा रहे हैं क्योंकि वह खुद इंजीनियर और ठेकेदार हैं ऐसे में शासन का पैसा ठेकेदार की जेब में ही जाएगा क्योंकि उनकी पहुँच ऊपर तक है इससे अच्छा हॉस्पिटल नही बनवाते तो ही अच्छा है और ग्रामीणों का कहना है कि हमे एस्टीमेट दिखाएं उसके हिसाब से काम करें क्योंकि बिना एस्टीमेट देखें सही गलत का पता कैसे चलेगा कि कितना एमएम का राड़ कहां लगता है और कितने में दूरी मे लगाया जाता है तो पेटी ठेकेदार का कहना कि मेन ठेकेदार के ऑफिस अनूपपुर चले जाए अस्पताल गांव में इन रहा है और एस्टीमेट देखने ठेकेदार के घर जाए ये कौन सी बात है। लगता है ठेकेदार ऐसे ही काम करता रहा तो अस्पताल कितने दिनों तक चलेगा किसी को पता नही है अभी काम के शुरुआत में ही अगर इस तरह की लीपापोती की जा रही है तो पता नही छत ढलाई तक कैसा काम होगा। आखिर में इस तरह के घटिया काम होने पर अधिकारी इंजीनियर क्या कर रहे हैं ठेकेदार को इस तरह का अभयदान निर्माण कार्य मे देना कहा तक उचित है। अस्पताल निर्माण में जो फोटो वीडियो वायरल हो रहा हैं उनको देखने के बाद यही लग रहा हैं कि काम सही नही हो रहा हैं यही आरोप वहाँ के ग्रामीण लगा रहे हैं। इस मामले की प्रशासन संज्ञान लेकर जांच करवाएं तो सब कुछ सामने आ जायेगा।