54 डिस्मील जमीन को किसने बना दिया 73 डिसमिल खसरा नं. 679 का मामला
अनूपपुर
अनूपपुर जिला मुख्यालय में जमीनों की कीमतें बढ़ने के बाद हजारों जमीन के दलाल पैदा हो गए। इन दलालों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लाखों की चाँदी काट रहे है इसी का ताजा मामला हायर सेकेण्डरी स्कूल चेतना नगर अनूपपुर के सामने घटित हो रहा है।
*यह है मामला*
पटवारी हल्का अनूपपुर के खसरा क्र0 679 की भूमि सन् 58-59 खतौनी मे कुल 54 डिस्मील थी, जैसे-जैस यह रकवा बिकने लगा तो जमीन का रकवा घटने की बजाय बढ़ कर वर्तमान रिकार्ड अनूसार 73 डिस्मील बन गया। वर्ष 58-59 में यह भूमि रामप्रसाद के नाम कुल 54 डिस्मील दर्ज है। विक्रय उपरान्त वर्तमान समय में यह भूमि गुलाबचंद 18 डिस्मील, बेनीप्रसाद 7 डिस्मील, मीरा 5 डिस्मील, जानकी 8 डिस्मील, लालदास 8 डिस्मील और स्कूल के नाम 16 डिस्मील दर्ज है। इस प्रकार यह योग का रकवा 73 डिस्मील बन गया है राजस्व रिकार्ड में इस भूमि से 5 डिस्मील जमीन च्ॅक् त्व्।क्, मे जा चुकी है, लेकिन खसरे मे दर्ज नही है लेकिन जमीन के जाल साजो ने राजस्व रिकार्ड की त्रुटि का फायदा उठाते हुए लगभग 2.5 डिस्मील जमीन पैत्तीस लाख रूपये मे बेच दी। जिस व्यक्ति के पास एक इंच जमीन भी कब्जे दखल मे नहीं थी वह दलालों के साथ साठ-गाठ कर दूसरे की जमीन दिखाकर तीसरे व्यक्ति को विक्रय रजिस्ट्री करा दी। काबिज भू-स्वामी पता ही नहीं चला की किसी अन्य व्यक्ति ने उसकी जमीन बेच दी। जब क्रेता मौके पर कब्जा करने पहुॅचा तब सारी पोल खुल गई और विवाद होने लगा।
*कलेक्टर को गुमराह कर ले ली विक्रय की अनुमति*
विक्रयकर्ता ने कलेक्टर के आदेश क्रमांक 54/अ-21/2021-22 दिनांक 16.03.2022 को 35 लाख रूपये में राजकली सोनी को रजिस्ट्री करा दी। पूर्व राजस्व रिकार्ड के अनुसार देखा जाए तो 54 डिस्मील जमीन से स्कूल को गई 16 डिस्मील और च्ॅक् सड़क मे गई 5 डिस्मील का दावा दिया जाए तो शेष 33 डिस्मील जमीन बचती है। लेकिन काबिज दारों के पास 33 डिस्मील के बजाय 57 डिस्मील जमीन दर्ज है,जो पूर्व के रकवे से भी 3 डिस्मील ज्यादा होती है। ऐसे में भूमि विक्रेता लाल दास पटेल के पास कौन सी जमीन उपलब्ध थी जिसमे से उसने 2.5 डिस्मील जमीन राजकली सोनी को बेच दी। कलेक्टर से अनुमति लेने के लिए जमीन के दलालों ने भू-स्वामी के साथ मिलकर बड़ी रकम का खेल करते हुए ऐसे दस्तावेज और रिपोर्ट कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किये की उच्च अधिकारी भी इस मामले को नहीं समझ पाए। इस भूमि पर माननीय प्रथम अपर जिला न्यायधीस अनुपपुर की अदालत में सिविल अपील क्र0 35 ए/14 दिनांक 03.07.2015 के आदेश में भूमि विक्रेता लालदास पटेल एंव दूदनबाई कीे अपील को अस्वीकार कर निदेर्शित भी किया गया था। मामला अभी भी न्यायालय मंें विचारधीन है जिस्से प्रशासन को नहीं बताया गया। यदि पूरे मामले की जॉच कलेक्टर अनूपपुर करवाये तो सारी हकीकत सामने आ जाएगी। मामले को दबाने के लिए कलेक्टर की अनुमति में चौहद्दी का विवरण नहीं बताया गया है। क्योकि चौहद्दी के उल्लेख से फर्जी भूमि के पोल खुल जाने का भय था।
*दलालों ने खाई 40 लाख की दलाली*
1010 वर्ग फुट जमीन की कीमत 35 लाख रूपये बताई गई है, जबकि सूत्र यह बता रहे हैं कि लेने-देन के बारे में 75 लाख रुपये बताया जा रहा है अगर यह सच है तो भूमि दलालों में इस मामले मे 40 लाख की दलाली खाली। इतने बड़े पैमाने पर हो रहे फर्जी वाडे खेल को रोकने की आवश्यकता है। चूंकि अनूपपुर नगर में इसके पूर्व एक दो मामले हो चुकी है जिसमें पुलिस प्रशासन और कलेक्टर ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए कड़ाई से जॉच कराई और दोषी जनों को दंडित भी किया भी किया गया है। ऐसा ही मामला दस्तवेजो के आधार पर यह प्रतीत हो रहा है अतः अनूपपुर जिले के लोकप्रिय पुलिस अधीक्षक व कलेक्टर महोदया से निवेदन है की जनहित और न्यायहित को ध्यान मे रखते हुए इस मामले कि सूक्षमता से जॉच कराए और दोषी जनो को दंडित करने की कार्यवाही करे।
*नही बना चौहद्दी नही हुआ मौका पंचनामा *
सूत्र बताते हैं कि अनूपपुर हल्का पटवारी भी इस खेले में शमिल हो सकते है पटवारी के जॉच प्रतिवेदन से ही यह फर्जी वाड़ा के खेल रचा गया इसी लिये पटवारी ने चौहद्दी मौका सत्यापन नही किया जिसके कारण जमीन दलालों ने मौके का पूरा फायदा उठाया।