बिना अनुमति शासकीय भवन तोड़ने के मामले में सचिव के ऊपर दर्ज हो सकती हैं FIR
इंट्रो- सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना गैरकानूनी माना जाता है तो वही सरकारी भवन को तोड़ने या गिराने के लिए पहले तो जिम्मेदारों से अनुमति लेनी होती है लेकिन यहां पर ना तो अनुमति ली गई ना तो जिम्मेदार अधिकारियों को बताया गया सरकारी भवन को तोड़ते हुए भवन से निकले मटेरियल को भी कहां रख दिया गया पता ही नहीं हालांकि अब जिम्मेदारों का कहना है कि बिना अनुमति तोड़े गए भवन को लेकर सचिव के विरुद्ध शिकायत मिलने पर एफ आई आर की जाएगी !
अनूपपुर
बदरा जनपद के ग्राम पंचायत बदरा मैं बाउंड्री वाल निर्माण के दौरान सचिव ने ना तो इसकी किसी अधिकारियों से अनुमति ली ना ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सरकारी भवन तोड़ने के दौरान बताया ,मनमाने पूर्वक सरकारी भवन को तोड़ते हुए बाउंड्री वाल का निर्माण कार्य जारी करवा दिया, सवाल यह उठता है कि क्या सारे नियम आम आदमी के लिए ही होते हैं या फिर इस सचिव के विरुद्ध भी एफ आई आर दर्ज होंगी, हालांकि एसडीएम से बातचीत के दौरान उन्होंने आश्वस्त किया है कि अगर ऐसा सचिव ने किया है तो जांच करने की थी सचिव के विरुद्ध एफ आई आर दर्ज करवाई जाएगी।
जानकारी के अनुसार सरकारी भवन गिराने के लिए पहले कलेक्टर को आवेदन दिया जाता है कलेक्टर के द्वारा एसडीएम को टीम गठित करने के निर्देश दिए जाते हैं, एसडीएम एक टीम गठित कर भवन को तोड़ने की अनुमति जारी कर भवन से निकले मटेरियल का आकलन करने के बाद उसे बेचकर मिले पैसे को राजस्व में जमा करना होता है, भवन गिराने के दौरान सक्षम अधिकारी राजस्व या पीडब्ल्यूडी के अधिकारी मौके पर मौजूद होंगे लेकिन बदरा ग्राम पंचायत में जिम्मेदारों ने अपनी मनमानी करते हुए सरकारी भवन को गिरा दिया वह कितने का मटेरियल निकला, कहां गया किसी को जानकारी नहीं है ! आश्चर्य की बात तो यह है चंद कदम की दूरी पर जनपद के मुखिया जनपद सीओ का कार्यालय है लेकिन इन्हें भी जानकारी नहीं सरकारी भवन की अनुमति तोड़ने की थी या नहीं, बताया गया जिस भवन को बिना अनुमति तोड़ा गया है उस भवन की कीमत लगभग 5 लाख से ऊपर थी लाखों का नुकसान पहुंचाने के बाद सचिव आराम से बाउंड्री वाल के निर्माण कार्य में जुटा हुआ है तो वहीं प्रशासन भी शिकायत के इंतजार में बैठा हुआ है ,अब देखना होगा कि आगे क्या कार्रवाई होती है।
*तो कहां गया लाखों का सामान*
बगैर अनुमति तोड़े गए सरकारी भवन से निकले सामग्री जैसे ईट खिड़की ,दरवाजा, लोहा का कहीं अता पता नहीं है ग्रामीणों का आरोप है कि सचिव ने निकले दरवाजे खिड़की को कहीं भेज दिया मिलने वाले पैसे अपने जेब में डाल लिए, आखिर सरकारी भवन पर सचिव का कैसे हक बना कि बगैर अनुमति वह अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बिना जानकारी दिए भवन गिरा दे अगर ऐसा ही चलता रहा तो प्रत्येक ग्राम पंचायतों में सचिवों की मनमानी जारी रहेगी और सरकारी भवनो को निशाना बनाकर तोड़ा जाएगा प्रशासन को चाहिए कि ऐसे लापरवाह सचिव के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही करते हुए भवन की कीमत वसूली जाए।
*इनका कहना है*
सरकारी भवन को बगैर अनुमति नहीं तोड़ा जा सकता अगर ऐसा हुआ है तो गलत है जनपद सीओ को जांच के निर्देश दिए जाएंगे इसके बाद सचिव के विरुद्ध एफ आई आर दर्ज कराई जाएगी !
*कमलेश पुरी एसडीएम अनूपपुर*