नर्मदा संरक्षण के लिये जमीनी स्तर पर ठोस कार्यों की जरुरत- मनोज द्विवेदी

नर्मदा संरक्षण के लिये जमीनी स्तर पर ठोस कार्यों की जरुरत- मनोज द्विवेदी

*कंक्रीट निर्माण पर सख्ती से रोक आवश्यक-- दिये 11 बिन्दु पर सुझाव*


अनूपपुर/अमरकंटक

नर्मदा अपने उद्गम स्थल से ही कमजोर पड़ने लगी है। मार्च - अप्रैल आते - आते अमरकंटक का मौसम पिछले दस - पन्द्रह वर्षों में तेजी से गर्म होने लगा है। 80-90 के दशक में गर्मियों में लोग पंखे - कूलर नहीं चलाते थे। रात में कंबल ,रजाई ओढना पडता था। अब स्थिति इतनी तेजी से बदली है कि यहाँ का तापमान दिन में तेजी से बढने लगता है। लोग घरों ,होटलों, आश्रमों में कूलर / एसी लगवाने लगे हैं। जल स्तर तेजी से गिर रहा है। जंगलों का रकबा सिकुड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग का असर मैकल की तराईयों में महसूस हो रहा है। जिले के स्वयंसेवी भाजपा नेता मनोज द्विवेदी ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के अमरकंटक आगमन से पूर्व जिले के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के माध्यम से नर्मदा संरक्षण एवं अमरकंटक सौन्दर्यीकरण हेतु कुछ आवश्यक सुझाव दिये हैं।* श्री द्विवेदी ने कहा है कि यह सभी के लिये चिंतन का विषय होना चाहिए कि हम अपनी आने वाली पीढियों के लिये कैसा पर्यावरण देने वाले हैं। जिस तरह से नर्मदा के दोनों ओर पक्के कंक्रीट के निर्माण हो रहे हैं, जंगलों की कटाई हो रही है, वैध- अवैध उत्खनन हो रहे हैं ,उसके कारण नर्मदा का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। सिर्फ सरकार ही नहीं, आम जन मानस का ये दायित्व है कि व्यक्तिगत स्वार्थ से परे हट कर पर्यावरण संरक्षण में अपना शत् प्रतिशत सहयोग प्रदान करे। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया है कि 

1. नर्मदा मन्दिर से लेकर कपिलधारा तक दोनो ओर बाक्साईड पत्थर से पिंचिंग कराएं। कंक्रीट सड़कों के कारण जल संरक्षण प्रभावित हुआ है और गर्मी बढी है।

2. गायत्री + सावित्री सरोवरों को अतिक्रमण मुक्त करके जल भराव एरिया बढा कर गहरी करण करें।

3. यू के लिप्टिस का उन्मूलन किया जाए। इसकी जगह बरगद, पीपल, आम, नीम, जामुन, अमरुद , रुद्राक्ष , नाशपाती, गुलबकावली के पौधे लगाए जाएं।

4. नर्मदा परिक्रमा पथ का निर्माण प्राकृतिक हो कंक्रीट से नहीं । ( पेयजल + शौचालय सुविधा सहित ) ।

5. पंचकोसी परिक्रमा पथ विकसित किया जाए।

6. नर्मदा एक्सप्रेस वे कबीर चबूतरा से बढा कर राजेन्द्रग्राम तक ( 45 km) बढाया जाए।

7. भुण्डाकोना घाट से लेकर कबीर चबूतरा मार्ग के दोनो ओर एवं नर्मदा तट + सरोवरों के तटों पर बोगेनवेलिया, गुलमोहर, गुलाब , डहेलिया सहित अन्य खुश्बूदार , फूलदार पौधे लगा कर सौन्दर्यीकरण किया जाए।

8. अमरकंटक धार्मिक , पर्यटन नगरी होने के कारण आए दिन बडे आयोजन होते हैं। यहाँ उचित स्थल चयन करके सर्व सुविधायुक्त  पुलिस , कर्मचारियों को ठहराने के लिये बड़े - बड़े हाल और पत्रकार भवन बनाया जाए।

9 . नर्मदा उद्गम मन्दिर ट्रष्ट में सामाजिक संगठनों से जुड़े गैर सरकारी, गैर राजनैतिक निर्विवाद व्यक्तियों की सहभागिता बढाई जाए।

10. अमरकंटक विकास प्राधिकरण को अधिकार संपन्न बना कर अमरकंटक + नर्मदा मन्दिर+ नर्मदा के विकास , संरक्षण, रख रखाव के लिये जवाबदेह बनाया जाए। नगर परिषद को भंग किया जाए।

11.अमरकंटक को फूलों की नगरी बनाया जाए। तत्कालीन कलेक्टर स्व के के खरे साहब ने अमरकंटक को झीलों की नगरी बनाया था। थोड़ा प्रयास करके , शायद कम बजट में अमरकंटक को बहुत ही सुन्दर स्वरुप दिया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि अमरकंटक में तमाम अवैध बसाहट के लिये नगरपरिषद अमरकंटक के लोगों को जिम्मेदार मान कर परिषद को समाप्त करने की मांग यहाँ के लोगों और साधु संतों ने पहले भी की है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अमरकंटक में सार्वजनिक मंच से इसकी घोषणा की थी। अब एक बार फिर यह मांग जोर शोर से उठाई गयी है और अमरकंटक विकास प्राधिकरण को अधिक जवाबदेह बनाने की मांग की गयी है।

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