साहित्कारों, समाजसेवियों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ प्रगतिशील लेखक संघ का सम्मेलन

साहित्कारों, समाजसेवियों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ प्रगतिशील लेखक संघ का सम्मेलन 


अनूपपुर

विगत दिवस प्रगतिशील लेखक संघ का सम्मेलन अनूपपुर और कोतमा इकाई की मौजूदगी में इंडियन कॉफी हाउस चचाई में भोपाल से आए हुए प्रगतिशील लेखक संघ म० प्र० के महासचिव शैलेंद्र शैली के मुख्य आतिथ्य, प्रगतिशील लेखक संघ म० प्र० के सचिव श्री सत्यम पाण्डेय भोपाल व अरविन्द श्रीवास्तव हाई कोर्ट के वकील और समाज सेवी जबलपुर के विशिष्ट आतिथ्य तथा श्री पवन छिब्बर हास्य व्यंग्य कलाकार की अध्यक्षता में साहित्कारों, समाज सेवियों एवं सैकड़ो लोगो की गरिमामयी उपस्थित में सम्पन्न हुआ।


*कार्यक्रम की ऐसी हुई शुरुआत*

सर्वप्रथम मुख्य अतिथि का माल्यार्पण कर अनूपपुर व कोतमा इकाई के पदाधिकारियों द्वारा स्वागत किया गया। प्रलेस के संभागीय संयोजक विजेन्द्र सोनी ने सभी उपस्थित जनों का इस कार्यक्रम में स्वागत करते हुए वर्तमान परिस्थितियों में जब फ़ासीवाद बढ़ा हुआ है और चारों ओर अराजकता का माहौल है ऐसी स्थिति में साहित्यकारों का क्या कर्तव्य होना चाहिए इस विषय पर ओजपूर्ण वक्तव्य देकर सभी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि साहित्यकारों को समाज में अपनी भूमिका तय करने का फ़ैसला लेने का अब   समय आ गया है। सचिवीय प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए प्रलेस अनूपपुर के सचिव रामनारायण पाण्डेय ने पिछले ४४ सालों का प्रलेस अनूपपुर द्वारा किए गए कार्यक्रमों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए पिछले पाँच साल से कार्यरत नई निर्वाचित समिति के कार्यक्रमों का थोड़ा विस्तार से विवरण प्रस्तुत करते हुए उसके अभिनव कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए चंदास नदी के सर्वेक्षण का भी ज़िक्र किया जो कि अभी काफ़ी चर्चा का विषय बना हुआ है ।इसी तरह कोतमा प्रलेस के सचिव यासिन खान ने भी अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। 


*लोगो ने अपने विचार, अनुभव व लेखनी साझा किये*

प्रलेस अनूपपुर के अध्यक्ष गिरीश पटेल ने कोरोना पर अपनी कहानी ‘ प्रतिफल ‘ का वाचन किया जिसे उपस्थित सभी श्रोताओं ने पूरी तन्मयता के साथ सुना। इस कहानी पर आलोचनात्मक प्रतिक्रिया देते हुए विजेन्द्र सोनी ने कहा कि भले ही इस कहानी में मिथकीय और पौराणिक पात्रों का उपयोग किया गया हो पर यह कहानी सम्पूर्ण संसार के वर्तमान परिदृश्य को बिंबित करते हुए पर्यावरण पर गहन चिंतन करते हुए सवाल पर सवाल ही नहीं खड़ी करती बल्कि उसके समाधान की ओर भी संकेत करती है। इसी संदर्भ में केशवाही महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ नीरज श्रीवास्तव ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह कहानी रोचक है और कोरोना पर केन्द्रित होते हुए भी यह वर्तमान राजनैतिक माहौल की भलीभाँति मीमांसा करती है, इसमें करुणा,  दुःख, किंकर्तव्यविमूढ़ता, व्यंग्य, सवाल, समाधान और हल सभी समाहित है। कुल मिलाकर यह कहानी पाठक और श्रोताओं को सोचने पर मजबूर कर देती है, शैलेंद्र शैली ने मुख्य अतिथि की आसंदी से पूर्व निर्धारित विषय ‘ प्रगतिशील आंदोलन के समक्ष चुनौतियों और लेखकों का दायित्व ‘ पर बोलते हुए लगभग एक घंटे के सारगर्भित वक्तव्य में आज की परिस्थितियों में लेखकों का दायित्व केवल लेखन तक ही सीमित नहीं रह जाता बल्कि लेखक को मैदान में उतर कर समस्याओं का प्रायोगिक हल भी निकालना होगा और उसे बार बार अपनी भूमिका को तराशना होगा। इस संदर्भ में उन्होंने चंदास नदी के सर्वेक्षण का उदाहरण देते हुए इसे अपनाने का आग्रह किया। ललित दुबे ने अपने चंदास नदी की यात्रा के अनुभव को साझा करते हुए नदी को पुनर्जीवित करने के प्रयास पर प्रकाश डाला।  पूर्व नगरपालिका उपाध्यक्ष जीवेन्द्र सिंह ने वर्तमान राजनैतिक और सामाजिक परिस्थितियों का आकलन करते हुए उनकी समस्याओं के समाधान हेतु अपना पक्ष रखा। सत्यम पाण्डेय ने इस कार्यक्रम को सफल कार्यक्रम निरूपित करते हुए कहा कि समय पर उपस्थित न हो पाने के कारण हम कहानी पाठ नहीं सुन सके जिसकी आपूर्ति हम यह कहानी पढ़ कर लेंगे। चंदास नदी के सर्वेक्षण की घटना को उन्होंने प्रेरणादायी और आवश्यक घटना निरूपित करते हुए कहा कि प्रगतिशील लेखक संघ की सभी इकाईयों को इससे प्रेरणा ले कर पर्यावरण की रक्षा करने हेतु जुट जाना चाहिए। दूसरे विशिष्ट अतिथि अरविंद श्रीवास्तव ने लेखकों, कलाकारों और समाज सेवीयों का आह्वान करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि मन बैठे हुए डर और अवशता को दूर कर सही मार्ग में गमन किया जाय जहॉं समता, धर्मनिरपेक्षता और मानवतावादी गुणों का विकास हो सके। पवन छिब्बर ने हास्य और व्यंग्य के माध्यम से चुटकी लेते हुए वर्तमान परिस्थितियों, अलगाववाद और नफ़रत की राजनीति को नकारते हुए देश के उत्थान में आम जन की भूमिका पर अपना ध्यान केंद्रित करने की बात कही। छत्तीसगढ़ के कलाकार जतिन कुमार ने अपने फ़िल्मी कैरियर के अनुभव सुनाए।


*संघ का चुनाव हुआ सम्पन्न*

पॉंच सालों के पश्चात् अनूपपुर व कोतमा प्रलेस के चुनाव सम्पन्न हुए। अनूपपुर इकाई में सर्व सम्मति से पवन छिब्बर और राजेंद्र कुमार बियाणी को संरक्षक, गिरीश पटेल को अध्यक्ष, रामनारायण पाण्डेय को सचिव , दीपक अग्रवाल को सहसचिव, श्रीमती सुधा शर्मा और बालगंगाधर सेंगर को उपाध्यक्ष, डॉ असीम मुखर्जी को कोषाध्यक्ष तथा श्रीमती मीना सिंह, जीवेंद्र सिंह, संतोष कुमार सोनी, दीपक पाण्डेय, आनंद पाण्डेय व डॉक्टर नीरज श्रीवास्तव को अध्यक्ष मंडल के सदस्य के रूप में चुना गया। इसी तरह कोतमा प्रलेस इकाई में देवेश प्रताप सिंह गहरवार को अध्यक्ष, कैलाश पाटकर और अविनाश अग्रवाल को उपाध्यक्ष तथा यासिन खान को सचिव के रूप में चुना गया।


*कवियों ने कविता पाठ से शमा बांधा*

कार्यक्रम शाम 4 बजे शुरू हुआ और कार्यक्रम लगातार 5 घंटे कवियों की कविताओं और लेख पर उपस्थित लोगों ने मन लगाकर सुना कार्यक्रम इतना अच्छा और सफल रहा यह बात वहाँ पर उपस्थित लोगो की लगन से पता चला जो कुर्सी से 5 घंटे बिना हिले लोगो ने पूरा कार्यक्रम का मन लगाकर सुना व आनंद उठाया पूरे कार्यक्रम का सफल और सुरुचि पूर्ण संचालन राष्ट्र विख्यात शायर दीपक अग्रवाल ने किया। अंत में कवि गोष्ठी का संचालन अध्यक्ष मंडल की सदस्य श्रीमती मीना सिंह ने बड़े ही आकर्षक अंदाज में किया । कविता पाठ अर्पणा दुबे, संतोष सोनी , अविनाश अग्रवाल, कैलाश पाटकर, दीपक अग्रवाल, सत्यम पाण्डेय, गिरीश पटेल, मीना सिंह, शैलेंद्र शैली, विजेन्द्र सोनी, यासिन खान और कोतमा के दो कवियों ने किया। इस कार्यक्रम में मो. सफी, बोहरे जी, उमेश सिंह फ़ोटोग्राफ़र, सीताराम मिश्रा, भूपेश शर्मा, शिवकांत त्रिपाठी, चंद्रशेखर सिंह, राजेश मानव, संजय विश्वास व सतवंत कौर की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। अंत में सभी साथियों के साथ रात्रि भोज किया करने के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ। इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में प्रगतिशील लेखक संघ के पदाधिकारियों, सदस्य, साहित्यकारों, समाजसेवियों, कलाकारों एवं उपस्थित दर्शकों का प्रगतिशील लेखक संघ तहे दिल से धन्यवाद देता है।


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