सफाई का कार्य कर रही कंपनी सिग्मा विभाग मजदूरों के हक में डाल रही डांका

सफाई का कार्य कर रही कंपनी सिग्मा विभाग मजदूरों के हक में डाल रही डांका


अनूपपुर

जिले के स्वास्थ्य विभाग में निरंतर कई वर्षों से साफ सफाई का काम कर रही सिग्मा नामक कम्पनी के द्वारा भ्रष्टाचार की सीमा को लांघकर कई वर्षों से दिन दहाड़े डांका डालते हुए जहां एक और फर्जी बिल बनाकर कुछ कर्मचारियों के फर्जी नाम से मजदूरी वेतन बनाकर निकाले जाने की सुगबुगाहट चल रही है। तो वही कई कई माह बीत जाने के बाद भी मौके में कार्यरत कर्मचारियों का वेतन भुगतान नहीं किया जाता इतना ही नहीं उक्त कंपनी के द्वारा विभाग के साथ टेंडर प्रक्रिया होने के समय दिए गए निर्देश एवं नियम का पालन न करते हुए कार्यरत कर्मचारियों के पीएफ एवं एसआईसी मैं भी जमकर घोटाला एवं भ्रष्टाचार किया गया है। कर्मचारियों द्वारा अपने मजदूरी भुगतान को लेकर कई बार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सहित जिला प्रशासन को भी ज्ञापन देकर अपने मजदूरी दिलाए जाने की मांग कर चुके हैं जब मजदूर प्रताड़ित होकर वेतन भुगतान के लिए काम बंद कर लामबंद हो जाते हैं उस स्थिति में चार माह काम करने के बाद कर्मचारियों को कंपनी द्वारा महा भर का भुगतान करते हुए अक्षत चावल जैसे छीटकर संतुष्ट करने का प्रयास किया जाता है। जबकि मध्यप्रदेश शासन द्वारा किसी भी मजदूर की मजदूरी भुगतान नहीं किए जाने का कहीं भी प्रावधान नहीं है साथ ही टेंडर प्रक्रिया के समय गाइडलाइन के मुताबिक विभाग से बिल भुगतान न होने की स्थिति में भी कर्मचारियों का भुगतान यह जानने के लिए बाध्य होना बताया जा रहा है। जन चर्चा है कि सिगमा कंपनी के संचालकों द्वारा जिला चिकित्सालय मैं मुख्यालय होने की वजह से किसी कदर हाय हल्ला ना होने पाए इस वजह से खानापूर्ति कर दिया जाता है ।लेकिन जिलेभर के स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत राजेंद्रग्राम अमरकंटक करपा,बेनिबारी,देवहरा,फुनगा ,जैतहरी ,वेंकटनगर, बिजुरी ,निगवानी ,कोतमा अन्य स्थानों में कार्यरत कर्मचारियों के पीएफ एवं वेतन भुगतान को लेकर जमकर मनमानी एवं भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जिले भर के सफाई कर्मचारियों ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एस सी राय सहित कलेक्टर सोनिया मीणा से मांग किए हैं कि ऐसे भ्रष्ट ठेकेदार जो अपनी जेब भरने के लिए गरीबों मजदूरों के हक में डाका डाल रहा है पर कड़ी एवं दंडात्मक कार्यवाही करते हुए ठेका निरस्त किए जाने की कार्यवाही करते हुए कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया जाए ताकि गरीब मजदूर कर्मचारियों को सहजता से नियमानुसार मजदूरी भुगतान हो सके।

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