वनों और बृक्षों की दुर्गति, वन संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन चल रहा है जंगल राज
अनूपपुर
वैसे विगत कुछ वर्षों से वनमंड़ल अनूपपुर के अंतर्गत मौजूद वनपरिक्षेत्रोँ की कई तरह की खबरें समय समय पर प्नकाशित होते देखी जा रही हैं꫰ जिसमें हरे भरे वृक्षों को काटकर ठूठ जला देने की बाते सामने आ चुकी हैं꫰ कुछ वनपरिक्षेत्र अंतर्गत जंगल में बिखरे पत्तों को भी जला दिया गया है जैसे कि कोतमा वनपरिक्षेत्र के डोला बीटकक्ष,अनूपपुर के बीटकछ पोड़ी ऐसे कई बीटकक्ष अंतर्गत वन में आग लगा हुआ पाया गया꫰ आग लगने की वजह से सैकड़ों हर तरह के हरे भरे वृक्ष बुरी तरह आग में झुलस गये꫰ जिससे कई प्नकार के वन्य जीवों के रहने का आशियाना भी तबाह हो गया है꫰ हरे भरे वृक्षों की जिस तरह दुर्गति हुई है उसे देख यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी भ्रष्टाचार को छुपाने की कोशिश की गई है या वृक्षों को आग में झुलसाकर अनूपपुर वनविभाग की कोई रणनीति हो꫰ जिससे आसानी से हवाला देकर ऐसे वृक्षों को काटा जा सके और इनके साथ अन्य हरे वृक्षों को भी꫰ जिसे लेकर वन विभाग मध्यप्नदेश शासन को उचित निर्णय लेते हुये इन वनों की एवं सम्पूर्ण वन्य जीवों की सुरक्षा एवं होने वाले वानिकी कार्यों के दिशा में कोई ठोस कदम अब उठाना चाहिये꫰ जिससे वनों के अँतर्गत हो रहे सभी भ्रष्ट कार्यों पर अंकुश लग सके꫰
*वन एवं वन्यजीव सुरक्षा की जवाबदेही वन विभाग अमलों की फिर वन एवं वन्य जीव असुरक्षित कैसे*
जबकि मध्यप्नदेश शासन वनविभाग के 1972 अधिनियम के अनुसार हरे वृक्षों को काटा जाना अपराध के श्रेणी में आता है꫰ जिसमें वन्य जीव भी शामिल हैं꫰ जिनको सुरक्षित रखने की सम्पूर्ण जवाबदेही वनविभाग अधिकारियों की है꫰ लेकिन सवाल उठता है कि आमजन जब यह कार्य करते पकड़ा गया तब उसके लिये वनविभाग द्वारा कानून बनाये गये हैं꫰ किन्तु जवाबदेही अधिकारीगण के लिये क्या शासन ने कोई कानून नहीं बनाये꫰ क्योंकि वनमंड़ल अनूपपुर अंतर्गत कई भ्रष्टाचार और लापरवाही के मामले सामने आये हैं जैसे हरे भरे वृक्षों की अवैध कटाई,वृक्षारोपण में भ्रष्टाचार,वनों के अंतर्गत गढ्ढा खुदाई में भ्रष्टाचार,लकड़ियो के चट्टे में हेराफेरी,वन से सटे लिपटिस के वृक्ष के साथ अन्य वृक्ष को भी काटकर साथ मिलाकर भेज देना ऐसे कई मामले देखे व सुने भी जा रहे हैं꫰
*वनों को बचाने, शासन स्तर से, अनूपपुर वनमंडल के, कोतमा एवं बिजुरी वन परिक्षत्रों के, सभी बीटकक्षों की, वन समेत समस्त मामलो की हो जांच,जिससे शासन को सही हकीकत का सके पता।
सूत्र अनुसार इन दिनों हरे भरे वनों की कटाई वनमंड़ल अनूपपुर सहित कई वनपरिक्षेत्रों अंतर्गत जोरों से चल रही है जो शासन स्तर से जांच का विषय है꫰
जिसमें मध्यप्नदेश शासन को गंभीरता से संज्ञान में लेना चाहिए और बडी सघनता से वनों की संरक्षण की दृष्टिकोण से कोई बेहतर ढंग से ठोस कदम उठाना चाहिये, जिससे बचे वनों को आगे बचाया जा सके꫰ जो केवल शासन ही कर सकती है꫰ क्योंकि वनमंड़ल अनूपपुर अंतर्गत सभी वन अधिकारी गैर जिम्मेदार नजर आते हैं꫰
*क्या वन अधिनियम केवल आमजन के लिये, वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों के लिये नहीं*
वन विभाग अधिकारी के बोल जिसे जो छापना है छाप दें, हमें कोई परवाह नहीं,शासन के मर्जी से वन अधिकारियों को देखकर ऐसा प्नतीत होता है कि वनों या वनभूमि से इन्हें कोई लेना देना नहीं है꫰ जैसे सबकुछ इनके मर्जी चल रहा हो और अनूपपुर वनमंड़ल के किसी भी अधिकारियों को किसी बात या शासन का खौफ भी इनके चेहरों या बोल में दिखाई नहीं देता, मानो शासन के किसी आला अधिकारियों या मंत्री का इन्हें संरक्षण प्नाप्त हो, जिस कारण यह बेखौफ हों꫰ तभी अनूपपुर वनमंड़लाधिकारी सहित वन रेंजर भी कहते हैं कि जिसे जो छापना है छाप दे हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड सकता꫰ कुछ अधिकारी मिलने पर देते हैं नसीहत,,ज्यादा लिखोगे तब किसी दिन आ सकते हो दिक्कत में! आखिर एक जिम्मेदार अधिकारी के ऐसे बोल क्यूं,,ऐसी क्या हो सकती है वजह! जिन्हें खबर छपने या शासन का कोई खौफ ही नहीं? क्या वन अधिनियम कानून केवल आमजनों के लिये ही है वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के लिये नहीं! जब वनों या वन्यजीवों को नुकसान पहुँच रहा और कोई व्यक्ति न पकड़ा जाये तब दोषी कौन! वनों में कोई वन अमला कभी नजर ही नहीं आता꫰ अधिकांश तौर पर कार्यालय में ही बैठकर कोरम पूरा करने के कार्य किये जाते हैं꫰ क्योंकि शासकीय वेतन का लाभ समय पर मिल ही जाता है꫰ सूत्रों से यह भी पता चला है कि कोतमा एवं बिजुरी वनपरिक्षेत्रो के वनों में इन दिनों जुआ माफिया सक्रिय हैं, जो वनविभाग अधिकारी के सांठगांठ से जुआ खेलवाने का भी कारोबार चला रहे हैं꫰ सही माल न पहुंचाने पर वन के मामले में फंसाये जाने की धमकी देकर वन अधिकारी जुआ माफिया से मोटी रकम भी वसूल रहे हैं꫰ अब इसमें कितनी सच्चाई है यह संबंधित अधिकारी ही अच्छे से बता पायेंगे꫰ सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार वनपरिक्षेत्राधिकारी द्वारा जुआ खेलते 15 लोगों को पकड़ा गया꫰ जिनसे मोटी रकम वसूल छोड़ दिया गया꫰ जिसमें कुछ बाहरी छत्तीसगढ़ के और कुछ आसपास क्षेत्र के लोग होना पता चला꫰ आखिर वनों में जुआ माफिया सक्रिय कैसे कौन सरगना!! क्या सभी मामलों को लेकर शासन स्तर पर होगी कार्यवाही?
मोर