दबंगो ने तोड़ दिया गरीब का पीएम आवास, पीड़ित ने लगाई कलेक्टर से न्याय कि गुहार

दबंगो ने तोड़ दिया गरीब का पीएम आवास, पीड़ित ने लगाई कलेक्टर से न्याय कि गुहार


अनूपपुर/बिजुरी

दबंगों द्वारा प्रधानमंत्री आवास को तोडे़ जाने कि शिकायत लेकर शुक्रवार 22 अप्रैल को फरियादी कमलेश महरा पिता तुलसी महरा द्वारा जिला कलेक्टर कार्यालय अनूपपुर पहुंचकर न्याय का गुहार लगाते हुये दबंगों से क्षतिपूर्ति दिलाए जाने का मांग किया गया है। उक्त शिकायत में आवेदक कमलेश महरा निवासी वार्ड क्रमांक 14 (बिजुरी) ने आरोप लगाया है की प्रधानमंत्री आवास मेरे नाम से स्वीकृत हुआ है, जिसका प्रथम किस्त भी मुझे प्राप्त हो गया, और उस किस्त कि राशि से मैने अपनी जमीन जिसका खसरा नंबर 151/1/2 रकवा नं. 0.498 हेक्टेयर है, पर आवास निर्माण कराना प्रारंभ किया, जिसका दीवाल टॉप लेवल तक पहुंच चुका था, लेकिन उक्त निर्माणाधीन मकान पर अमितेश सिंह पिता प्राण मोहन सिंह निवासी वार्ड क्रमांक-05 माईनस कॉलोनी क्वार्टर नंबर 165 द्वारा दबंगई व पैसों के दम पर शासन की मदद से मेरे निर्माणाधीन प्रधानमंत्री आवास को जेसीबी के माध्यम से पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है। जिससे मेरी मकान मलबों के ढेर में तब्दील होकर रह गया है। शिकायतकर्ता कि मानें तो न्यायालय द्वारा उक्त जमीन का फैसला मेरे पक्ष में आया है, जिसकी छायाप्रति भी मैने आवेदन के साथ संलग्न कर जिला कलेक्टर कार्यालय अनूपपुर में दिया है। और उम्मीद करता हूं कि मुझ गरीब व्यक्ती के साथ जिला अधिकारी अवश्य ही उचित न्याय करेंगे।

*मंदिर के दीवाल को भी किया मलबों के ढेर में तब्दील*

वार्ड वासियों ने बताया कि उक्त निर्माणाधीन मकान समीप काली माता व हनुमान जी का निर्माणाधीन प्रतिमा एवं मंदिर बना हुआ था जिसको दबंगों ने जेसीबी मशीन के माध्यम से उक्त निर्माणाधीन मकान के साथ-साथ निर्माणाधीन मंदिर के दीवाल को भी पूरी तरह से मलबों के ढेर में तब्दील कर दिया गया जिससे काली माता एवं निर्माणाधीन हनुमान प्रतिमा बस मलबों के ढेर में ऐसे ही पडे़ हुये हैं।

*निष्पक्षता से हो जांच एवं उचित कार्यवाही*

दबंगों द्वारा प्रधानमंत्री आवास को जेसीबी मशीन के माध्यम से ढहाने के बाद से लोगों ने नगरपालिका बिजुरी कि कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। लोगों कि मानें तो यह मकान अगर अवैध भूमि पर बना होता तो नगर पालिका द्वारा निश्चित तौर पर कभी भी स्वीकृत नहीं किया जाता, क्योंकि प्रधानमंत्री आवास फॉर्म भरने के दौरान आवेदकों द्वारा जिस भूमि पर आवास बनाया जाना है, उस भूमि के पट्टे की छाया प्रति फॉर्म के साथ संलग्न किया जाता है। साथ ही आवास बनने से पूर्व राजस्व पटवारी द्वारा उक्त जमीन का भौतिक सत्यापन कर, नगर पालिका को रिपोर्ट भेजा जाता है। तत्पश्चात ही प्रधानमंत्री आवास के लिये पात्र मानते हुए मुख्य नगरपालिका अधिकारी द्वारा उक्त नाम को सूची में शामिल कर शासन-प्रशासन को भेजा जाता है, तब कहीं जाकर आवास कि किस्त जारी होती है।

*क्या जिम्मेदारों ने नही किया निष्पक्षता से सर्वे*

सवाल उठना लाजिमी है की- अगर यह स्वीकृत प्रधानमंत्री आवास किसी अन्य व्यक्ती के नाम पर होता तो राजस्व पटवारी, एवं नगरपालिका कर्मचारियों द्वारा भौतिक सत्यापन के बाद उक्त आवेदन को पूर्व में ही निरस्त कर दिया जाता। लेकिन उक्त भूमि पर आवास स्वीकृत हुआ है। जो फरियादी के पक्ष को बल देता है, या आवास स्वीकृती से पूर्व उक्त भूमी का सर्वे करने वाले जिम्मेदार नपा कर्मचारी एवं राजस्व पटवारी ने अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन नही किया है। निश्चित तौर पर जिला अधिकारी को की गयी शिकायत पर निष्पक्षता से जांच होनी चाहिये। ताकि गरीब शिकायत कर्ता प्रधानमंत्री आवास से वंचित ना रह जाये, वहीं दोषियों पर भी कार्यवाई होना चाहिये, जिससे शासकीय राशि पर बने आवास को क्षति पहुंचाने वालों को सबक मिल सके।

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