कई रेलखंडो के बीच बेपटरी हुई ट्रेनो को पटरी लाने के लिए सासंद से लगाई गुहार !
*कोतमा विकास मंच के नेतृत्व में प्रभावित किसानों ने सांसद से की भेंट*
अनूपपुर / कोरोना लाक डाउन के बाद क्षेत्र में रेल सेवा ठप्प होने के बाद आज भी अंबिकापुर - बिजुरी- कोतमा-अनूपपुर- जबलपुर रेल खंड के यात्रियों को आज भी यात्रा के लिये यात्री ट्रेनों का लाभ नहीं मिल रहा है। कोयलांचल और शहडोल संसदीय क्षेत्र के लोग रेल सेवा बहाल कराने के लिये निरंतर प्रयास रत हैं। बंद ट्रेनों को पुन: शुरु करना तो दूर , विगत कुछ सप्ताह से इंटरलाकिंग कार्य के बहाने अन्य ट्रेनों को भी बंद कर देने से इस क्षेत्र के हजारों यात्रियों को समय, शक्ति, धन का अपव्यय करना पड़ रहा है। गरीब व्यक्ति, ट्रेनों पर आश्रित लोग मजबूरी में बसों, टैक्सियों या अन्य गाड़ियों की मंहगी यात्रा करने को बाध्य हैं। इसके कारण लोगों मे जन प्रतिनिधियों, सरकार के प्रति आक्रोश बढता ही जा रहा है।
ऐसे ही नाराज लोगों का एक प्रतिनिधि मंडल मंगलवार, 19 अप्रैल को शहडोल सांसद श्रीमती हिमाद्री सिंह से भेंट करने उनके निवास राजेन्द्रग्राम पहुंचा और ट्रेन सेवा बहाल करने तथा भूमि अधिग्रहण प्रभावितों को रोजगार दिलाने की मांग की।
कोतमा विकास मंच एवं रेल सुविधाऒं की बहाली के लिये सतत संघर्षरत बिजुरी की समिति के लोगों ने सांसद श्रीमती सिंह से भेंट करके जनता की समस्याओं से अवगत कराते हुए संबंधित अधिकारियों से बात करके उन्हे इस बावत निर्देशित करने की मांग की।
कोतमा विकास मंच के मनोज द्विवेदी, विकास पाण्डेय, रमेश गुप्ता, धर्मेन्द्र कुमार के साथ रेल संघर्ष समिति के विनोद अग्रवाल , अरूणेन्द्र सिंह, मुकेश जैन, मनोज सिंह, मृगेन्द्र सिंह, अकबर अली, रिंकू मिश्रा,तरूणेन्द्र सिंह के साथ अन्य लोगों ने सांसद को ज्ञापन पत्र देते हुए बतलाया कि अंबिकापुर-चिरिमिरी अनुपपूर रेल खंड में विगत दो वर्षों से बंद रेल परिचालन को पुनः प्रारंभ करने बावत् लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। उपरोक्त रेल खंड में विगत दो वर्षों से चिरिमिरी कटनी चिरिमिरी पैसेंजर, मनेंद्रगढ- बिजुरी अंबिकापुर, अंबिकापुर- अनुपपूर अंबिकापुर, अंबिकापुर-जबलपुर-अंबिकापुर, चिरिमिरी-चंदिया - चरिमिरी, अंबिकापुर-शहडोल–अंबिकापुर, चिरिमिरी - अनुपपूर चिरिमिरी, चिरिमिरी रीवा - चिरिमिरी का परिचालन बंद है । जिससे आम व्यक्तियों छात्रों, व्यापारियों व स्वास्थ्य सम्बधी समस्याओं को देखते हुये आवागमन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन गाडियों का परिचालन ना होने से क्षेत्र के व्यापारिक गतिविधि पर भी विपरीत प्रभाव पड रहा है। जिससे आम जनता में रेल प्रशासन के प्रति काफी आक्रोश है।
सांसद से मांग की गयी कि उक्त रेलगाड़ियों का परिचालन पुन : यथा शीघ्र प्रारंभ किया जाए जिससे क्षेत्र की आम जनता को होने वाली समस्या से निजात मिल सके।
इसी तरह से यस ई सीएल अंतर्गत हसदेव क्षेत्र अंतर्गत कुरजा भूमिगत कोयला खदान मे जमीन अधिग्रहण से प्रभावितों की पीडा बतलाते हुए सांसद को बतलाया गया कि जिला अंतर्गत बिजुरी से लगे कोयलांचल क्षेत्र के दल दल, रेउदा, पड़रीपानी और कोरजा गाँवों में एसईसीएल अंतर्गत हसदेव क्षेत्र के कोरजा भूमिगत कोयला खदान डिप्लेरिग कोयला खनन से पूर्व एसईसीएल द्वारा जमीन अधिग्रहण की औपचारिकताओं को पूरा करने में समय - बे समय हीला हवाली करता रहा है। सालों पहले जिन किसानों की बेशकीमती जमीनें ली गयीं और उनका मुआवजा भी दे दिया गया , अब उनमें से कुछ किसानों को नौकरी नहीं दी जा रही। किसानों में लगातार गुस्सा बढने से जिला - पुलिस अधिकारियों के सामने धरना - प्रदर्शन के दौरान बहुत बार कानून व्यवस्था बनाए रखने की चुनौती आती रही है। जिला प्रशासन, पुलिस की उपस्थिति में कई बार किसानों को आश्वासन दिये गये । प्रशासनिक अधिकारियो की मध्यस्थता पर कालरी प्रबंधन के अधिकारियो और प्रभावित किसानो के बीच तीन माह के भीतर प्रभावित किसानो को रोजगार देने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी , इस आशय का लिखित समझौता भी किया गया । लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया। प्रभावित लोग हर बार प्रशासन से रोजगार की मांग करते रहे हैं।
एक बार फिर प्रभावित किसानों, भू मालिकों ने समाजसेवी संगठन कोतमा विकास मंच के माध्यम से हिमाद्री सिंह से भेंट करके उन्हे पत्र सौंपकर अपनी पीड़ा से अवगत कराया। कोतमा विकास मंच के मनोज द्विवेदी, मनोज मिश्रा, यज्ञनारायण मिश्रा, पुरुषोत्तम केवट, तेरसिया बाई, विकास पाण्डेय, धर्मेन्द्र कुमार , सहित अन्य लोगों के साथ प्रभावित जमीन मालिकों ने सांसद श्रीमती सिंह से भेंट कर उन्हे समस्या से अवगत कराया तथा पत्र सौंपकर बतलाया कि ग्राम कोरजा, पंडरी पानी , रेउंदा , दल-दल के किसानों की भूमि एस.ई.सी.एल. कोल माइंस के द्वारा अधिगृहीत किए जाने के पश्चात भी अवांछित अड़ंगेबाजी कर के सम्पूर्ण अधिग्रहण की कार्रवाई को निष्प्रभावी किया जा रहा है । इसके पूर्व भी कुछ भूमियों के खसरे में व्यवस्थापन से प्राप्त अ लिखा होने के कारण मुआवजे के भुगतान में व्यवधान डाला गया था । जिसे कलेक्टर कार्यालय से जारी पत्र क्रमांक 4851/10/भू-अर्जनः 2019 तारीख 28.9.2019 के द्वारा कथित व्यवधान हटाया गया था और भूमि स्वामियों के मुआवजे का भुगतान किया गया।
अब एक नया व्यवधान यह कह कर कि शासकीय पटटेदार एवं वंटन व्यवस्थापन खसरे में लिखा हुआ है , नौकरी नहीं दी जा रही। जब कि भूमि स्वामियों के कालम में किसान का नाम बकायदा दर्ज है तो उसमें शासकीय पटटेदार भी दर्ज होने का किसी प्रकार व्यवधान नहीं बनता । फिर भी एसईसीएल कंपनी बिलासपुर के अधिकारी उसी का बहाना बना कर के सम्पूर्ण कार्रवाई रोके हुए हैं। सांसद जी से निवेदन किया गया है कि खसरे में शासकीय पटटेदार लिखे होने के कारण भूमि अधिग्रहण व नौकरी की कार्यवाही में कोई व्यवधान पैदा न किया जाए तथा कोल माइंस की आर आर पालसी के तहत किसानों को रोजगार प्रदान किए जाए। इसमें उल्लेखनीय यह है कि जिन किसानों के शासकीय पटटेदार वह वंटन व्यवस्थापन अंकित है, उन्हें एस ईसीएल के द्वारा मुआवजे का भुगतान किया जा चुका है सभी को रोजगार दिए जाने की कार्रवाई अविलंब किए जाने की आवश्यकता है । सांसद श्रीमती सिंह ने ने पीड़ितों को ध्यान पूर्वक सुनने के बाद एस ई सी एल के सक्षम अधिकारियों से बात करके अतिशीघ्र समस्या को निराकृत करने का आश्वासन दिया गया। उन्होंने डी आर एम से भी मोबाईल फोन पर इस विषय पर चर्चा करते हुए ट्रेनों के शीघ्र संचालन बावत आवश्यक कार्यवाही करने को कहा।