मजदूर दिवस पर बोल मजदूर बोल- कवि संगम त्रिपाठी
1 मई मनाने का उद्देश्य यही है कि मजदूर को दो जून की रोजी रोटी मिल सके। आज भी सबसे शोषित वर्ग कोई है तो वह मजदूर ही है।
राष्ट्र के विकास में मजदूर की अहम भूमिका होती है पर हर कोई इन्हें अपने ढंग से काम लेकर शोषित व प्रताड़ित करता है। फर्म कंपनी ठेकेदार अधिकारी मालिक सभी मजदूर की मजदूरी हड़पने में कोई कसर नही छोड़ते हैं।
मजदूर से काम लेने वाले दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे है पर मजदूर जहां का तहां खड़ा है।
अधिकांश मजदूर नेता मजदूरों की बात उठाते है वो भी अपना उल्लू सीधा करने के लिए व अपनी रोटी सेंकने के लिए ......आखिर मजदूर बेचारा जाएं तो जाएं कहां।
मजदूर अपनी रोजी रोटी छिन जाने के डर से कुछ बोलता भी नही है क्योंकि उसे काम की गारंटी नही है।सरकारी विभागों में मजदूरों के कल्याण के लिए कल्याण अधिकारी नियुक्त किए गए है जो मजदूरों के अकल्याणकारी कार्य में ही लिप्त रहते है। कुल मिलाकर मुझे मजदूर दिवस मनाना महज ढोल बजाने जैसा लगता है।