सर्वोच्च न्यायालय के फैसला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी होंगी ग्रेच्युटी की हकदार- विभा पांडे

सर्वोच्च न्यायालय के फैसला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी होंगी ग्रेच्युटी की हकदार- विभा पांडे


अनूपपुर

गुजरात के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए गंभीरता से कहां है की जिस प्रकार से दूसरे कर्मचारी ग्रेच्युटी की हकदार हैं उसी प्रकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका भी ग्रेच्युटी की पात्र है आप सबको मालूम होना चाहिए के पब्लिक सेक्टर अथवा सरकारी कर्मचारियों को 20 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी मिलती है चुकी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है मध्यप्रदेश में 10 हजार रुपए मानदेय प्रतिमाह आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मिलता है निश्चित रूप से 10 लाख रुपए से कम की ग्रेच्युटी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नहीं मिलनी चाहिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका यूनियन एटक की मध्य प्रदेश की अध्यक्षा कामरेड गायत्री बाजपेई एवं महासचिव कामरेड विभा पांडे ने एक संयुक्त बयान में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहां है कि जब हम संघर्ष करते हैं तो माननीय न्यायाधीश भी मीडिया के माध्यम से अखबार के माध्यम से अथवा अन्य माध्यम से हमारे तकलीफों से अवगत होते हैं।

*28 व 29 मार्च 2022 को समूचे देश के लाखों लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का हुआ हड़ताल*

सहायिका आशा उषा मध्यान भोजन कर्मी केंद्र बंद हड़ताल किए थे हड़ताल का प्रमुख मांगे स्कीम कर्मचारियों को सरकारी नौकरी का दर्जा देना ग्रेच्युटी का भुगतान करना पीएफ की कटौती करना पेंशन मिलना आदि था अब जबकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने ग्रेच्युटी देने की घोषणा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कर दी है निश्चित रूप से हमारी दूसरे मांगों पर भी न्यायालय विचार करेगी और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी समाज में जीने के लिए सम्मान का दर्जा शायद भविष्य में मिलेगा मध्यप्रदेश के परिपेक्ष में दोनों नेताओं ने कहा हमें बेहद अफसोस है की 50 दिनों तक एक संगठन के द्वारा कार्यकर्ताओं के नियमितीकरण के सवाल पर चिलचिलाती धूप में अनिश्चितकालीन हड़ताल का जो परिणाम सामने आया है खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली कहावत चरितार्थ हुई है आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका यूनियन की केंद्रीय महासचिव कामरेड विभा पांडे ने मध्य प्रदेश सरकार से मांग की है के 2018 से 15 सौ रुपए काटे जा रहे हैं कम से कम एरियर्स सहित आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को15 सौ रुपये जोड़ करके मानदेय का भुगतान सरकार को करना चाहिए इससे सुखते पौधे के ऊपर दो बूंद पानी तो मिल ही जाएगा एक प्रश्न के उत्तर में कामरेड विभा पांडे ने कहा बड़े आदमी के जानवर भी मरते हैं तो बड़े-बड़े लोग सत्ता सरकार से जुड़े हुए लोग अफसोस जाहिर करते हैं लाखों रुपए मुआवजा की घोषणा करते हैं लेकिन 4 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका की मौत पर सागर के विधायक ने दो परिवार को 50_ 50 हजार रुपए प्रति मृतक परिवार को देने की घोषणा की है दो परिवारों के बारे में सरकार की न कोई घोषणा है न ही कोई चिंता है जाके पैर न फटी बिवाई वह क्या जाने पीर पराई वाली कहावत चरितार्थ हुई हैऔर 50 दिन तक भूखे प्यासे रहकर जान गवाने वाले आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका ठगी की ठगी रह गई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका यूनियन की मांग है कि कम से कम प्रत्येक मृतक परिवार को 10 लाख रुपए की मुआवजा  देनी चाहिए और प्रत्येक मृतक परिवार एक आश्रित को रोजगार देनी चाहिए।

*कामरेड गायत्री बाजपेई एवं कामरेड विभा पांडे ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से किया अपील*

इन सभी के द्वारा बताया गया कि असंगठित रहकर हौसले को बुलंद रखिए एक दिन आएगा काली रात कटेगी हम सब लोगों के घरों में खुशहाली की रोशनी जाएगी एटक भारत में 1920 मे बनी थी तब किसी यूनियन का अता पता नहीं था एटक अंग्रेजी सरकार से लोहा लेकर ट्रेड यूनियन बनाने का कानून बनवाया क्षतिपूर्ति कानून बनवाया वेतन अधिनियम बनवाया सोशल वेलफेयर के कई कानून बनवाए 1975 में इमरजेंसी के दौरान एटक के दबाव में स्कीम वर्करों का कानून बनाया गया यह भी आप को समझना चाहिए  बहनों याद रखना एटक इस सरकार से भी किसी हद तक लड़कर आपके मांगों को पूरा कराएगा किंतु पीठ नहीं दिखाएगा केवल आपके साथ और सहयोग की जरूरत है जो हम लाल झंडा लगाते हैं वह शहीदों के खून का झंडा है जिन्होंने दुनिया में 8 घंटा काम करने का बलिदान देकर कानून बनवाया 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस इसका जीता जागता सबूत है इतिहास को भी समझो आगे बढ़ो जीत तुम्हारे मुट्ठी में होगी।

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