आंगनबाड़ी मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला, फुल टाइम जॉब जैसा मिलनी चाहिए सुविधाएं
दिल्ली/अनूपपुर
सुप्रीम कोर्ट ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को लेकर मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए केंद्र सरकार की दलील को खारिज कर दिया है. उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के काम को पार्ट टाइम जॉब बनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाएं केंद्र और राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं का क्रियान्वयन करती हैं. उनके कार्य की प्रकृति को पार्ट टाइम नहीं माना जा सकता है. उनके कार्य की प्रकृति फुल टाइम जॉब जैसी है. उन्हें फुल टाइम जॉब जैसी सुविधाएं मिलनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की नियमितीकरण की उम्मीद बंध गई है. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की युगल खंडपीठ जस्टिस अभय एस ओका जे और अजय रस्तौगी ने दिया है।
लंबे समय से चल रही थी लड़ाईः लंबे समय से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के जॉब को फुल टाइम जॉब माना है. इसके पहले सरकार उनके काम को पार्ट टाइम जॉब मानती थी. उसी हिसाब से वेतन देती थी. हम लोग राजनीतिक और न्यायालय स्तर पर लंबे समय से उनकी हक की लड़ाई लड़ रहे थे. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं हमारे सिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा है. उनका काम काफी महत्वपूर्ण होता है. उनके काम को फुल टाइम मानते हुए उसी अनुसार वेतन सुविधाएं देना चाहिए. जिसके चलते वह अपने कार्य को सही तरीके से कर सकें और सिस्टम में भी अहम रोल निभा सकें. आंगनबाड़ी की सहायिकाएं भी उनके कदम से कदम मिलाकर काम करती हैं. केंद्र और राज्य सरकार की जितनी भी योजनाएं हैं, चाहे वह जच्चा-बच्चा से संबंध हो या बच्चों को मिड-डे मील उपलब्ध कराने से संबंधित हो या फिर नर्सरी के बच्चों की देखभाल का काम भी इनकी जिम्मेदारी होती है. इनको उचित वेतन मिलना आवश्यक है।
*आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के लिए अच्छा फैसला*
इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील वरुण ठाकुर का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को लेकर बड़ा फैसला दिया है. केंद्र सरकार बार-बार सुप्रीम कोर्ट में यह कह रही थी कि वह पार्ट टाइम कर्मचारी हैं. उसी हिसाब से उनको वेतन नहीं मानदेय दिया जा रहा है. मगर सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि इनके कार्य की प्रकृति नियमित कर्मचारी जैसी है. केंद्र और राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन का ये काम करती हैं. इनके काम को पार्ट टाइम जॉब नहीं माना जा सकता है. इस फैसले के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के नियमितीकरण के रास्ते खुल गए हैं. इसे एक ऐतिहासिक फैसला कहना चाहिए।