62 वर्ष की आयु पार करने के बाद भी विद्यालय संस्था नही दे रहे हैं सेवानिवृत्त

62 वर्ष की आयु पार करने के बाद भी लाभ के लिए संस्था नही दे रहा सेवानिवृत्त

*प्राचार्य की मिली भगत से ओ पी विश्वकर्मा को दे रहे हैं बिना कार्य किये वेतन विद्यालय के शिक्षकों ने कलेक्टर से की शिकायत*


बैकुंठपुर/कोरिया

सिंधी कालरीज एजूकेशन सोसायटी झगराखाण्ड के द्वारा संचालित उ.मा. वि. झगराखण्ड कॉलरी SECL हसदेव क्षेत्र के शिक्षकों ने प्राचार्य के तानाशाही रवैया से परेशान होकर ने जिला कलेक्टर महोदय एवं जिला शिक्षा अधिकारी बैकुण्ठपुर, जिला-कोरिया (छ.ग.) को एक पत्र प्रेषित कर शिकायत की है कि अधिवार्षिकी आयु 62 वर्ष पूर्ण होने पर भी नियम विरुद्ध अवैधानिक एवं मनमाने ढंग से पी.टी.आई के पद पर ओम प्रकाश विश्वकर्मा पीटीआई को लाभ देने के नाम पर अभी तक विद्यालय से सेवानिवृत्त नही किया जा रहा हैं ओमप्रकाश विश्वकर्मा विश्वकर्मा केवल विद्यालय में प्रतिदिन हाजिरी लगाकर गायब हो जाते  विद्यालय के शिक्षको ने कलेक्टर महोदय से मांग की है कि विद्यालय संस्था एवं प्राचार्य पर जल्द से जल्द कार्यवाही की जाए। और ओमप्रकाश विश्वकर्मा को जल्द से जल्द सेवा निवत किया जाए

*ये है पूरा मामला*

सिंधी कालरीज एजूकेशन सोसायटी झगराखाण्ड के द्वारा संचालित उ.मा. वि. झगराखण्ड कॉलरी SECL हसदेव क्षेत्र द्वारा अनुदान प्राप्त संस्था है तथा सोसायटी के प्रबंध समिति के S.E.CL हसदेव क्षेत्र के मुख्य महाप्रबंधक पदेन अध्यक्ष है। ओ पी विश्वकर्मा के ऊपर आर. एस. सिंह प्रभारी प्रचार्य काफी मेहरबान है  उ.मा. वि. हागराखण्ड के द्वारा पी.टी.आई के पद पर सेवा निवृत्ति की आयु 62 वर्ष  2 नवंबर 2021 को पूर्ण होने के पश्चात भी सेवा में बनाए रखा गया है   ओ पी विश्वकर्मा उपस्थिति पंजी में उपस्थिति दर्ज करके प्रतिदिन विद्यालय से गायब हो जाते है जो अवैधानिक एवं नियम विरुद्ध है। इस विद्यालय संस्था के सभी शिक्षक एवं कर्मचारी अधिवार्षिकी आयु 62 वर्ष पूर्ण करने के उपरान्त नियमानुसार सेवा निवृत्त हुए हैं। केन्द्रीय शासन या राज्य शासन या किसी भी रूप में सरकारी निकाय से पूर्णतः अथवा अशत अनुदान प्राप्त शिक्षण संस्था में शासन के द्वारा निर्धारित आदेशो/निर्देशों के पूर्णत: पालन का नियम है जिसका खुल्लम-खुल्ला उलंघन प्रभारी प्राचार्य उ.मा.वि. झगराखाड कोरिया छ.ग. के द्वारा 3 माह से किया जा रहा है। ओ पी विश्वकर्मा के अधिवार्षिकी की आयु पूर्ण होने पर भी सेवा में बनाए रखना जिसका एक जीता जागता उदाहरण है। ऐसे प्राचार्य के ऊपर कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए। जो सभी शिक्षकों के न्यायोचित होगा।

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