दो परिवार के लिए यह वर्ष बना यादगार, विरोध के बाद भी अपनाया परिवार
अनूपपुर/राजनगर
कोयलांचल क्षेत्र के झीमर कालरी में वर्तमान समय मे रहने वाले पनिका परिवार की ये दस्ता बड़ी ही रोचक है। लगभग 50 वर्ष पूर्व एक परिवार में अनूपपुर जिले के भाद गांव में छः सदस्य थे पति पत्नी व उनके चार बच्चों से ये परिवार भरा पूरा था। परिवार का आपस मे किसी बात को लेकर एक भाई ने घर छोड़ने का फैसला किया और कुछ दिनों बाद मौका देखकर वह घर छोड़कर बाहर जीवन यापन करने की सोच कर कमाने के लिए निकल गये।
घर छोड़ने के बाद कुछ दिनों तक इधर उधर भटकते रहे, फिर एक अंजान शक्स ने उन्हे सहारा दिया और अपनी औलाद की तरह उसे अपने घर मे पनाह दी, सहारा मिलने के बाद झीमर कालरी (भुकभुका) में रुकने का फैसला किया और कुछ दिनों तक साथ रहने लगे और परिवार ने अपना बेटा और लड़के ने भी पिता के रूप में स्वीकार कर लिया जो यंहा कोल माइंस में कोयला परिवहन में रोड सेल में काम करने लगा,चाय भी बेचा ,इसी बीच जानकारी हुई कि चक्का/वजन उठाकर कॉलरी में भर्ती हो रही है तो इन्होंने भी चक्का/ वजन उठाया और कोल माइंस में भर्ती भी हो गई।
कुछ दिनों तक परिवार के सदस्यों द्वारा घर छोड़कर गए हुए अपने बेटे व भाइयों ने वापसी का इंतजार किया।अपने रिश्तेदारों में भी खोजबीन की गई परन्तु कोई जानकारी नही मिली और आगे जीवन की राह में निकल पड़े।
*आखिरकार परिवार को छोड़कर बच्चा गया कँहा। और क्या कर रहा था*
कुछ दिनों बाद विवाह हुआ और विवाह कर वैवाहिक जीवन व्यतीत करने लगा। और पत्नी से इन्हें एक पुत्री व तीन पुत्र की प्राप्ति हुई,धीरे धीरे समय बीतता गया और बच्चे बड़े हो गए, कुछ समय बाद काफी बिमार रहने लगा और आये दिन हॉस्पिटल में भर्ती रहने लगा।
अपनी मृत्यु से पहले अपनी पत्नी को अपने खानदान व घर छोड़ने की पूरी बात विस्तार पूर्वक जानकारी दिया और सभी बातों को गोपनीय ही रखने को कहा,काफी समय बीतने के बाद महिला 2019 में अपने पुत्र को सारी बातें विस्तार से बताई।
माँ की बातों को सुनकर बड़े पुत्र सहित सभी बच्चों और परिवार के सभी सदस्यों के आंखों में आंसू भर आया। तब इनके बच्चों को जिज्ञासा हुई थी नजदीकी गांव भाद जा कर पता लगाने कि कोशिश की कि यह घटना वास्तव मेंकितना सच है।
*गांव के सरपंच ने भी की इस बात की पुष्टि*
लगभग 1983 से सरपंच के पद पर काबिज सरपंच ने बताया कि यह मामला ग्राम पंचायत भाद का ही है जंहा पनिका समाज के एक पुत्र स्वर्गीय रज्जू उर्फ राजकुमार पनिकाके यंही गाँव मे रहते थे, इस बात की पुष्टि गांव के सरपंच के द्वारा किया गया,बताया गया कि एक परिवार के तीन पुत्रो में एक पुत्र लगभग 50 वर्ष पूर्व किन्हीं कारणों से घर छोड़कर चला गया था यह व्यक्ति जिसका नाम राजकुमार पनिका था जो कि आज इस दुनिया मे नही है किंतु परिवार के कुछ सदस्यों ने तो अपने बिछड़े हुए भाई के परिवार को स्वीकार कर लिया किंतु कुछ ने आपत्ति भी जताई। लगभग 2 साल बाद परिवार के सभी सदस्यों में से एक ने आज भी स्वीकार नही किया बाकि सभी ने इस बात को स्वीकार कर अपना परिवार का सदस्य मान लिया कि यह हमारा ही परिवार है और अपने भाई की मृत्यु से काफी दुखी थे किंतु इस बात से काफी खुश थे कि हमारा बिछड़ा हुआ खानदान/परिवार आज कई सालों बादहमें मिल ही गया जो हमारे साथ हैं,बिछड़े हुए परिवारों से मिलकर सभी की आंखे नम हो गई।
*डूमर कछार के झीमर से जुड़ा हुआ है मामला*
बिछड़ा हुआ परिवार वर्तमान नगर परिषद डूमरकछार (तात्कालिक ग्राम पंचायत डूमर कछार) के बसाहट झीमर के जनपद सदस्य मानमती पनिका, बृजलाल पनिका उर्फ राजवीर पनिका, तीरथ पनिका व कृष्णा पनिका का परिवार है।
*साल का आखिरी महीना रहेगा यादगार*
कहते हैं कि साल का आखिरी महीना कुछ न कुछ हमेशा छीन लेता है किंतु दो परिवारों के लिए 2021 वरदान साबित हो रहा है।