कलेक्टर ने आपराधिक गतिविधियों में संलग्न प्रकाश सिंह को किया जिला बदर
*प्रकाश सिंह को संबंधित थाने में हाजिरी भी लगाने के दिए निर्देश*
अनूपपुर
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी सुश्री सोनिया मीना ने प्रकाश सिंह पिता गोपाल सिंह उम्र 30 वर्ष निवासी बाबूलाईन राजनगर थाना रामनगर जिला अनूपपुर को वर्ष 2005 से 2020 तक आपराधिक गतिविधियों में संलग्न पाए जाने पर मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा-5(क) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राजस्व जिला अनूपपुर तथा उसकी सीमा से सम्बद्ध म.प्र. राज्य के राजस्व जिले शहडोल, उमरिया एवं डिण्डौरी की सीमाओं से एक वर्ष की कालावधि के लिए बाहर चले जाने का आदेश दिया है। साथ ही उन्होंने प्रकाश सिंह को उक्त अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत यह आदेश दिया है कि उपरोक्त निर्बन्धन आदेश की अवधि में वे जिस-जिस थाना क्षेत्र में निवास करें या आवागमन करें उसमें अपनी आने तथा प्रस्थान करने की सूचना दें तथा प्रत्येक दिन दोपहर 12ः00 बजे क्षेत्राधिकार वाले थाना में अपनी उपस्थिति दर्ज करावें। उन्होंने यह भी आदेश दिया है कि नियत कालावधि में आरोपी बिना मेरी लिखित अनुमति के उपरोक्त जिलों की सीमाओं के अन्दर प्रवेश नहीं करेगा, न ही क्षेत्राधिकार वाले थाने में हाजिरी देना बन्द करेगा। उन्होंने स्पष्ट किया है कि उपरोक्त आदेश का पालन न करने, उल्लंघन करने या विरोध करने पर म.प्र. राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 14 के अंतर्गत अनावेदक को गिरफ्तार किया जावेगा तथा तीन वर्ष के कारावास व जुर्माने से दण्डनीय होगा।
जिले में कानून व्यवस्था एवं अपराध नियंत्रण हेतु निरन्तर जिला कलेक्टर एवं कार्यपालिक दण्डाधिकारीओं द्वारा प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की जा रही हैं। अनावेदक प्रकाश सिंह वर्ष 2005 से लगातार अपराध में प्रवेश कर आये दिन मारपीट, गुण्डागर्दी, जुंआ, पुलिस के साथ ड्यिूटी में मारपीट एवं राजनगर की गरीब असहाय जनता को डरा धमकाकर लोगों में आतंक पैदा किया है। अनावेदक थाना रामनगर का कुख्यात सूचीबद्ध गुण्डा बदमाश है। अनावेदक के विरुद्ध लगातार प्रतिबंधात्मक कार्यवाही से प्रतिबंधित किया गया, लेकिन अनावेदक के आचरण में कोई सुधार नहीं आ रहा है। अनावेदक के विरुद्ध थाना रामनगर में कुल अपराध, इस्तगासा मिलाकर 17 प्रकरण पंजीबद्ध होकर न्यायालय में विचाराधीन है। अनावेदक के आपराधिक कृत्यों से आम जनता में अत्यन्त भय व्याप्त है तथा उसके गांव में स्वछंद घूमने से जन सामान्य अपने दैनिक कार्य करने से भयभीत रहते हैं व अत्याचार सहने को मजबूर है तथा उसके अत्याचार सहते हुए भी उसके आपराधिक कृत्यों की थाने में रिपोर्ट करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं और यदि कोई रिपोर्ट भी करे तो कोई भी व्यक्ति अनावेदक के डर के कारण गवाही देने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं।