CCF ने किया हाथी प्रभावित क्षेत्र का भ्रमण, हाथियों के निरंतर विचरण से ग्रामीणों में बढ़ा आक्रोश
अनूपपुर
15 नवंबर 2021 छत्तीसगढ़ राज्य के मरवाही वन क्षेत्र से 27 सितंबर की रात आए 40 हाथियों के समूह का मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के कोतमा तहसील एवं वन परिक्षेत्र अंतर्गत मलगा टॉकी,आमाडाड, बरंतराई,फुलकोना आदि क्षेत्रों में विगत 49 दिनों से निरंतर विचरण कर ग्रामीणों द्वारा लगाए गए खेतों में लगी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं जिस का आंकलन करने के लिए सोमवार की दोपहर मुख्य वन संरक्षक वन वृत्त शहडोल पी,के,वर्मा ने वन मंडल अधिकारी अनूपपुर डॉ ए,ए, अंसारी के साथ हाथी प्रभावित इलाके का भ्रमण कर आम जनों एवं वन विभाग के कर्मचारियों से बातचीत कर सतर्कता बनाए रखने एवं हाथियों के समूह से आमजन को दूर रखने,निरंतर मुनादी कराते रहने तथा राजस्व विभाग के साथ मिलकर गांव वालों की फसलों एवं अन्य तरह के नुकसान का सर्वेक्षण कराने में मदद कर मुआवजा दिलाए जाने हेतु प्रकरण तैयार कराए जाने की बात कही इस दौरान वन परिक्षेत्र अधिकारी कोतमा परिवेश सिंह भदौरिया के साथ वन विभाग का मैदानी अमला उपस्थित रहा है ज्ञातव्य है कि रविवार की शाम40 हाथियों का समूह मलगा के महानीम कुंडी जंगल से निकल कर फुलवारी टोला से मनेंद्रगढ़- मरवाही मुख्य मार्ग पार कर आमाडाड ओ,सी,एम, कॉलरी के पास से कोहका,करकटीटोला, मन्टोलिया,बड़काटोला,ऊरा,खोडरी नंबर 2,सेमरा गांव में लगी धान की फसलों को अपना आहार बनाते-चरते हुए सोमवार की सुबह भलमुडी से पुनः रोड पार कर सैतिनचुआ गांव से तिलवारी एवं पनहीबूडा जंगल में चले गए सोमवार की शाम हाथियों का समूह पनहीबूडा टांकी के जंगल से गुल्लूटोला से बिछड़ीटोला की ओर धान की खेती में चऱने के लिए देर शाम पहुंच गए हाथियों के द्वारा निरंतर किए जा रहे नुकसान को लेकर इलाके के दर्जनों गांव के ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है जिससे भारी आक्रोश की स्थिति निर्मित है अब तक हाथियों द्वारा किए गए नुकसान पर सही तरह से मुआवजा का आकलन ना हो पाने तथा मुआवजा की राशि नुकसान के रूप में कम होने से ग्रामीण वर्ष भर में एक फसली फसल लेकर पूरे साल भर के खाने के लिए आवाज एकत्रित कर लेते हैं लेकिन इस बार कई ऐसे छोटे किसान हैं जिनके एक भी फसल हाथियों के कारण नहीं बच पा रही है जिसको लेकर ग्रामीण चिंतित है वही शासन व वन विभाग द्वारा अब तक छत्तीसगढ़ की सीमा से आए अब तक के सबसे बड़े हाथियों के समूह को वापस भेजने या अन्य कोई योजना शासन या जिला स्तर से प्रशासन एवं वन विभाग द्वारा ना बनाए जाने तथा अन्य कोई उपाय न करने पाने से ग्रामीणों में चिंता का विषय बना हुआ है।