अग्नि सुरक्षा निर्देश मात्र कुछ दिन के लिए दिखावा है - कैलाश तिवारी

अग्नि सुरक्षा निर्देश मात्र कुछ दिन के लिए दिखावा है - कैलाश तिवारी


शहडोल

वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व जिला योजना समिति के सदस्य कैलाश तिवारी ने भोपाल मेडिकल कॉलेज में हुए अग्नि दुर्घटना के बाद प्रदेश भर में अग्नि सुरक्षा के लिए दिए जा रहे निर्देश एवं उनके पालन कराए जाने के लिए संदर्भ में कहा है कि यह सब कुछ दिन के लिए दिखावा है। बाद में सब कुछ पहले जैसा  ही चलता है जैसा कि सीधी जिले में बस दुर्घटना के उपरांत पूरे प्रदेश भर में बसों में सुरक्षा के निर्देश दिए गए थे तथा परिवहन विभाग ने एक-दो दिन के अंदर ही हजारों बसों का चालान कर वाहवाही लूटी थी परिवहन मंत्री तक रोड में आकर कार्यवाही करने लगे थे और अब फिर से पूरे प्रदेश भर में बसें पूर्णता लापरवाही से पहले जैसी चल रही है। किसी को सीधी की गंभीर बस दुर्घटना की याद नहीं है।

 इसी प्रकार भोपाल मेडिकल कॉलेज की घटना के बाद दिखावे के लिए यह सब किया जा रहा है। कुछ दिनों बाद सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा। जब सरकारी बिल्डिंग  बनती हैं तो उन बिल्डिंगों में अग्नि सुरक्षा के मानक का पालन नहीं होता है निर्माण विभाग के इंजीनियर निर्माण के समय उसका प्रावधान क्यों नहीं रखते।

   उससे अंदाज लगाया जा सकता है कि प्राइवेट संस्थाओं की भवनों की क्या स्थिति होगी। शहडोल ही नहीं पूरे प्रदेश के अधिकांश सरकारी भवनों में फायर सेफ्टी की व्यवस्था नहीं है। बड़े-बड़े सरकारी आयोजन भगवान भरोसे हो रहे हैं। ऐसे में आम जनता से क्या अपेक्षा की जाए।

 सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश तिवारी ने प्रदेश शासन के मुख्य सचिव से मांग की है कि सुरक्षा के मानक  का चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो पालन सुनिश्चित करने के लिए विभाग  के एक अधिकारी को जिम्मेदार बनाया जाए ताकि कभी भविष्य में कोई दुर्घटना हो तो उसकी जिम्मेदारी उसके ऊपर दी जा सके ।अभी यह देखा जाता है कि बड़ी बड़ी घटनाएं हो जाती हैं कोई जिम्मेदार नहीं होता है ।सब बच कर निकल जाते हैं। दिल्ली के अंसल बंधुओं के उपहार सिनेमा हॉल अग्निकांड में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सजा और करोड़ों रुपए का जुर्माना किया गया यह एकमात्र उदाहरण है ।

अन्यथा जनता को दिखावे के लिए कुछ अधिकारी एवं कर्मचारियों को निलंबित कर दिया जाता है तथा कुछ दिनों बाद उन्हें बहाल कर फिर अच्छी पदस्थापना मैं पदस्थ कर दिया जाता है। क्योंकि वह सीधे तौर पर दोषी नहीं होते हैं।

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