आज इनके घर पर भी है दिवाली, इनके घर भी लाए खुशियांँ हजार
*आप सभी को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं, दीपावली के अवसर पर आप लोगो के लिए छोटी सी कविता*
शीर्षक - दीपावली कुम्हार और मिट्टी
इनके घर पर
भी है दिवाली
पांच दिनों का पावन त्यौहार
इनके घर भी लाए खुशियांँ हजार
कहने को है कुम्हार
पर काम बड़े हैं आते
वरना मिट्टी के दिए
हम कहाँ से पाते.....
धरती मांँ से ले माटी
अनेकों चीजें हैं बनाते
कहने को है कुम्हार
काम बड़े हैं आते
बना मटका,,,,
पानी ठंडा पिलाते
बना दिया,,,
जग में उजियारा फैलाते
माटी को अनमोल बना,,,
घर घर खुशियांँ लाते
कच्ची माटी से ही अपना
घर संसार चलाते
करते मेहनत दिन रात
तब घर का चूल्हा जला पाते
कुम्हार का है
मिट्टी से पक्का नाता
इस मिट्टी की कीमत को
कुम्हार ही बढ़ाते
नाना प्रकार के बना सामान
जग को खूब लुभाते
बना खिलौने,,,
बच्चों का मन बहलाते
ईश्वर की मूर्ति को
बड़ी सुंदरता से गढ़ जाते
कहने को है कुम्हार
काम बड़े है आते
वरना मिट्टी के दिए
हम कहांँ से लाते
हम कहांँ से पाते।
*वंदना खरे मुक्त चचाई जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश*