पावर परित्यक्त खदान का पुनरुद्धार फ्लाई ऐश से करेगी, भराव के बाद भूमि का होगा उपयोग
*साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर*
*भराव के बाद भूमि का इस्तेमाल चारागाह, हरित पट्टी विकास, खेल मैदान और अक्षय ऊर्जा स्रोत आदि के लिए किया जा सकेगा*
अनूपपुर
अनूपपुर स्थित ताप विद्युत संयंत्र से निकलने वाले फ्लाई ऐश का सतत तरीके से 100 प्रतिशत उपयोग सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए एमबी पावर (मध्य प्रदेश) लिमिटेड ने आज साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (एसईसीएल) के साथ सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया। इस एमओयू के तहत एमबी पावर ने मध्य प्रदेश के शहडोल जिला स्थित शारदा ओपन कास्ट माइन क्षेत्र की एक परित्यक्त खदान के भराव की जिम्मेवारी ली है। इस खाली खदान में भराव/एकत्रीकरण या इसका पुनरुद्धार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मार्च 2019 के दिशा-निर्देशों और एमपीपीसीबी के तय मानकों के अनुसार किया जाएगा। इस एमओयू पर आज मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव मेहरा और एसईसीएल, सोहागपुर क्षेत्र के एरिया जनरल मैनेजर शंकर नागाचारी की उपस्थिति में एसईसीएल के जीएम (एम)/ एसएएम पी. श्रीकृष्णा और एमबी पावर के प्लांट हेड और सीओओ बीके मिश्रा ने हस्ताक्षर किया।
इस एमओयू के तहत एसईसीएल ने एमबी पावर को फ्लाई ऐश से भराव के लिए इस परित्यक्त खदान की कुल 1.08 एमसीएम क्षमता का 0.92 एमसीएम हिस्सा आवंटित किया है।
एमबी पावर और एसीसीएल को इस प्रगतिशील कदम के लिए बधाई देते हुए मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव मेहरा ने कहा, " फ्लाई ऐश प्रबंधन की दिशा में यह एक बेहद महत्वपूर्ण कदम है। मध्य प्रदेश में यह पहला मौका है जब किसी खाली/ परित्यक्त खदान का इस्तेमाल फ्लाई ऐश से भराव के लिए किया जाएगा। इससे अव्यवस्थित तरीके से जहां-तहां फ्लाई ऐश डालने पर रोक लगेगी और साथ ही उपयोग के अयोग्य ऐसी जमीन को उपयोगी, पूर्णतया पुनर्वासित और मूल्यवान जमीन में परिवर्तित किया जा सकेगा।"
संजीव मेहरा ने आगे कहा, " हमें उम्मीद है कि भविष्य में परित्यक्त खदानों के दूसरे स्वामी भी फ्लाई ऐश उत्पादकों को अपनी जमीन देंगे, जिससे फ्लाई ऐश का प्रबंधन और संचालन परिदृश्य सुधरेगा। परित्यक्त खदान को क्रमिक रूप से नीचे से ऊपर तक काम्पैक्टेड लेयर में भरा जाएगा जिससे खदान की मूल स्थलाकृति लौटाई जा सकेगी। एक बार जब इसकी संघनन प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, इस जमीन का इस्तेमाल चारागाह, हरित पट्टी विकास, स्थानीय निवासियों के लिए खेल मैदान और अक्षय ऊर्जा स्रोत के विकास आदि के लिए किया जा सकेगा।
एसईसीएल के एरिया जनरल मैनेजर शंकर नागाचारी ने कहा, " एमबी पावर के साथ इस समझौते से हम बेहद खुश हैं। पर्यावरण संरक्षण और सुरक्षा के लिए सीआईसी कोयला खदानों में यह अपनी तरह की पहली पहल है। सोहागपुर क्षेत्र के महाप्रबंधक (परिचालन) श्री अमित सक्सेना के विशेष योगदान और सहयोग के कारण एमओयू पर हस्ताक्षर संभव हो पाया है। यह ताप संयंत्रों को फ्लाइ ऐश का 100 फीसदी उपयोग सुनिश्चित करने में मदद देगा।"
एमबी पावर के प्लांट हेड और सीओओ बीके मिश्रा ने कहा, " यह फ्लाई ऐश का उपयुक्त इस्तेमाल सुनिश्चित करने की दिशा में हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि और मील का पत्थर जैसा है। सतत विकास हमारे कारोबार का प्राथमिक विजन और लक्ष्य है। खदानों में फ्लाई ऐश का भराव इस सामग्री, जो कि कोयले का दहन उत्पाद है, के सर्वश्रेष्ठ उपयोगों में से एक है। कोयला खदान के नजदीक होना हमारे संयंत्र को ऐसी रणनीतिक बढ़त प्रदान करता है जो कि कई दूसरे विद्युत संयंत्रों को हासिल नहीं। यह एमबी पावर और एसईसीएल दोनों के लिए लाभदायी है।"
हाल ही में एमबी पावर ने एसीसी लिमिटेड के साथ उसके कटनी स्थित कैमोर सीमेंट संयंत्र को रेल के माध्यम से कंडीशन्ड फ्लाई ऐश की आपूर्ति के लिए हाथ मिलाए हैं। एसईसीएल के साथ एमओयू एमबी पावर की इस सशक्त प्रतिबद्धता का एक और उदाहरण है कि कंपनी कार्बन कटौती एवं देश के पर्यावरण व सततता के क्षेत्र में राष्ट्र के विकास में योगदान दे रही है।