राजनैतिक षडयंत्र अवैध कब्जा धारियों की आवाज नगर पंचायत का हो गठन- ब्रजकांत

राजनैतिक षडयंत्र अवैध कब्जा धारियों की आवाज नगर पंचायत का हो गठन- ब्रजकांत

*मूल निवासी बरगवां एवं देवहरा नगर पंचायत गठन को लेकर नाखुश- ब्रजकांत*


अनूपपुर

विधानसभा उपचुनाव अनूपपुर के दौरान कुछ तथाकथित अवैध कब्जा धारियों एवं आदिवासियों की भूमि पर दादागिरी के साथ कब्जा करके साथ ही मध्यप्रदेश शासन की सैकड़ों एकड़ भूमि पर आलीशान बंगले तान दिए गए हैं उन लोगों के द्वारा जिनके लिए साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड सोहागपुर क्षेत्र की श्रमिक कालोनियों में अवैध रूप से निवासरत बिजली, पानी और मकान का वर्षों से कर रहे उपयोग इनके द्वारा विधानसभा उपचुनाव के पूर्व भी कई बार ग्राम बरगवां एवं देवहरा जैसी विशिष्ट ग्राम के मूल नाम और अस्तित्व को मिटाने का कुत्सित प्रयास निरंतर किया गया। भारतीय जनता पार्टी ग्रामीण मंडल अनूपपुर के मंडल मंत्री ब्रज कांत तिवारी का कहना है कि चाहे वह ग्राम बरगवां के वाशिंदे  हो या फिर ग्राम पंचायत देवहरा के उनका मानना है कि नगर पंचायत गठन की प्रक्रिया जो चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश शासन के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति कैबिनेट मंत्री बिसाहूलाल सिंह से नगर पंचायत गठन की मांग की गई थी वह मांग स्थानीय जनों का नहीं बल्कि अवैध कब्जा धारियों की मांग थी जिनके द्वारा अवैधानिक कार्य में लिप्त होने के साथ-साथ यहां की ग्रामीण जनता के साथ राजनीतिक षड्यंत्र कर गुमराह करने का प्रयास किया जाता रहा है।

विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक बताया जाता है कि स्थानीय ग्रामीण जनों के द्वारा नगर पंचायत गठन को लेकर चल रही प्रक्रिया के दौरान आपत्ती दावे के समय यह आपत्ति लगाई गई है कि ग्राम पंचायत को नगर पंचायत ना बनाया जाए जिसके लिए देवहरा एवं बरगवां के वासियों ने खुलकर विरोध प्रदर्शन भी किए हैं।

इन दिनों यह दोनों पंचायत कुत्सित मानसिकता के लोगों का शिकार हो रहा है जिनके द्वारा शहडोल जिले की ग्राम पंचायत में दखलअंदाजी ना होने के चलते वह अपनी पूरी ताकत अनूपपुर जिले के दोनों पंचायतों में जिला विकास पुरुष एवं निर्माता माननीय मंत्री जी के कानों तक अपनी आवाज को पहुंचाने के लिए तत्परता से लगे हुए हैं ज्ञात हो कि यह ऐसे लोग हैं जिनके द्वारा  एक नाव में पहला पैर और दूसरे नाव में दूसरा पैर रखकर लोगों के हितों का हनन करते आ रहे हैं। भाजपा ग्रामीण मंडल अनूपपुर के मंडल मीडिया प्रभारी बृजेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि यह दोनों ग्राम पंचायतें विशेष बैगा जाति के लोगों से भरा पड़ा है इनकी बहुलता अत्याधिक होने के कारण कई वर्षों से दोनों ग्राम पंचायतें आदिवासी समुदाय के जनप्रतिनिधि पंचायत सरपंच बनते आ रहे हैं यही नहीं सरकार के द्वारा विशेष बैगा जनजाति के लोगों को संरक्षित करने के लिए उनके मूल सभ्यता और संस्कृति जो उन्हें विरासत में मिली है उसे संरक्षित करने के लिए अथक प्रयास करने में जुटी है किंतु स्वार्थी तत्वों के द्वारा नगर पंचायत गठन की मांग को लेकर झूठी अफवाहें फैलाकर संरक्षित जाति को गांव से शहर की ओर ले जाने का अनुचित प्रयास करना होगा जो की  मूलतः गांव में रहकर अपने अनुरूप जीवन जीने का ढंग नहीं बदलना चाहते। अपनी कला और संस्कृति से धीरे-धीरे विलुप्त हो रहे इस आदिवासी बाहुल्य ग्राम को यथावत ग्राम पंचायत ही रहने दिया जाए जिससे यह जाति अपने आप को सुरक्षित एवं संरक्षित महसूस करें। सूत्रों के मुताबिक बताया जाता है कि यह ऐसे लोग हैं जिनके द्वारा बगल के जिले शहडोल की सीमा रेखा पर नवगठित  बकहो नगर पंचायत की फर्जी भर्ती में अपने परिवार जनों एवं भाई भतीजावाद को लेकर भर्ती प्रक्रिया में जमकर घोटाले बाजी की गई है अब इनकी नजर बरगवां नगर पंचायत गठन को लेकर उत्सुकता इसलिए देखने को मिल रहा है कि जैसे ही नगर पंचायत बरगवां का गठन हो उस पर इनके भाई भतीजे बाद चलाने वाले लोगों की  पुनः अवैध भर्ती प्रक्रिया में दाल गल सके।

जैसे-जैसे त्रिस्तरीय चुनाव को लेकर बढ़ती सरगर्मियां एवं निर्वाचन आयोग के द्वारा घोषित की जाने वाली समय अवधि के करीब आते और उसकी सुगबुगाहट सुनकर पूरे जोरों शोर के साथ लगे कुछ तथाकथित छूट भैया नेताओं का सर दर्द बढ़ता जा रहा है ग्राम पंचायत जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत चुनाव में अपनी जोर आजमाइश ना कर पाने वाले दूसरों के मेहनत की रोटी पर अपना हाथ सेकने वाले किसी भी कानूनी मापदंड एवं विधि प्रक्रिया के अनुरूप किसी भी प्रकार से नगर पंचायत की योग्यता ना होने के बावजूद चाहे वह जनसंख्या को लेकर हो या फिर भूखंड को लेकर नहीं आता नगर पंचायत गठन की श्रेणी में ग्राम  बरगवां।

बड़े-बड़े ढ़ीग हांकने वाले यह लोग ग्राम पंचायत स्तर के चुनाव में इनके योग्यता और समर्थन के विषय में पता लगाया जा सकता है की इस क्षेत्र में जिनके द्वारा इस प्रकार की मांग की जा रही है उनका जनाधार स्वयं के विवेक पर निर्भर करता है जो पंच के चुनाव को जीतने की योग्यता तक नहीं रखते।

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