एसईसीएल कम्पनी में ठेकेदार कर रहे मजदूरों का शोषण, न वेतन स्लिप, न पीएफ राशि का पता ..?

 एसईसीएल कम्पनी में ठेकेदार कर रहे मजदूरों का शोषण, न वेतन स्लिप, न पीएफ राशि का पता ..?


अनूपपुर/कोतमा

जिले मे कोल इंडिया की सहायक कम्पनी एसईसीएल की खदाने जगह जगह संचालित है भूमिगत एवम ओपन कास्ट कोयला खदान खुली हुई है।जमुना कोतमा क्षेत्र एवम हसदेव एरिया में आज कल संचालित खदान  ठेकेदारो के सहारे पर चल रही है ।एस ई सी एल कम्पनी ठेकेदारों को कार्य का ऑनलाइन टेंडर व वर्क ऑर्डर मिलता है और उपरोक्त कार्यों पर ठेकेदार अपने अपने हिसाब से मजदूरों से तीनों शिफ्ट पर मजदूरी कराई जा रही है।लेकिन कंपनी के मापदंडों के हिसाब से ठेकेदार मजदूरों को प्रतिदिन के रेट के हिसाब से उन्हें वेतन का भुगतान नहीं किया जाता,बल्कि मजदूरों से 8 घंटे कार्य लेने के बजाय 12  घंटे कार्य ठेकेदार ले रहे हैं।जमुना कोतमा क्षेत्र एवम हसदेव एरिया में संचालित कोयला खदाने में कुछ ठेकेदार इन दिनों एसईसीएल कंपनी के सर्कुलर को दर किनार कर ठेकेदार मजदूरों का शोषण कर रहे है।नए दर में पीडीए कुशल मजदूर को 152 रुपए,अर्धकुशल मजदूर को 158 रुपए,कुशल मजदूर की श्रेणी में आने वाले मजदूर को 163 रुपए एवम उच्च कुशल हाई स्किल ठेका कामगारों का वीडीए बढ़ाकर 169 रुपए कर दिया गया है।इस तरह बेसिक वेतन जोड़कर अब कुशल मजदूरो को 939 रुपए और अर्धकुशाल को 1046 रुपए की दर से वेतन देने का प्रावधान है।किंतु जमुना कोतमा क्षेत्र एवम हसदेव एरिया में संचालित भूमिगत कोयला खदानों में ठेकेदार कामगार मजदूरों को मजदूरी भुगतान के नाम पर जमकर शोषण कर कुछ ठेकेदार व कंपनी के अधिकारी भ्रष्टाचार परोस कर अपनी अपनी जेबें भर रहे हैं।मजदूरी भुगतान के नाम पर मजदूरों को 350 रुपए से 500 रुपए तक प्रतिदिन के हिसाब से आज भी दिया जा रहा है।

*मजदूरों की हाजिरी बत्ती रूम व हाजिरी रूम में पूरी*

एसईसीएल कंपनी में ठेकेदार मजदूरों का चौतरफा शोषण किया जा रहा ।सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार क्षेत्र के कुछ चुनिंदा ठेकेदार मजदूरों से 26 दिन कार्य करवा कर 10 से 12 दिन के कार्य का भुगतान कंपनी के रेट के हिसाब से किया जाता है जबकि मजदूरों से 25 से 26 दिन कार्य कराया जाता है और उनका मासिक वेतन पीएफ कटौती के बाद लगभग 20 से 22 हजार ही हर महीने होना चाहिए।किंतु ठेका मजदूरों से पूरे महीने कम करवा कर,ठेकेदार एसईसीएल कंपनी को मजदूरों की एलपीसी में कम हाजिरी दर्शाई जाती है, कम्पनी खदानों में  हाजिरी रूम एवम बत्ती रूम में ठेकेदार मजदूरों की उपस्थिति और ठेकेदारों द्वारा कम्पनी को जमा एलपीसी का मिलाप यदि हो जाए तो पूरे घोटाले व भ्रष्टाचार की परतें खुल जायेगी।मजदूरों की खून पसीने की कमाई को आज मेहनताना के हिसाब भुगतान न कर,कुछ ठेकेदार व एसईसीएल कंपनी के कुछ भ्रष्ट अधिकारी उनके हक पर डाका डाल रहे हैं।

*वेतन स्लिप लापता पीएफ राशि हुई गायब*

एसईसीएल कंपनी के कुछ चुनिंदा ठेकेदार कंपनी के अधिकारियों से मेल मिलाप कर कुछ चढोत्री चढ़ाकर घोटाले की नींव कई वर्षों पहले रख दी गई है । मजदूरों का पीएफ कटौती तो हर माह ठेकेदारों द्वारा की जाती है और जितनी कटौती कंपनी मजदूरों के वेतन से पीएफ की करती है उनती ही रकम जोड़कर उक्त ठेकेदार को मजदूरों के पीएफ अकाउंट पर जमा करना होता है।लेकिन ठेकेदार अपने काम का पैसा प्रबंधन से ले सके बिल निकलने तक मजदूरों का पीएफ जमा किया जाता है ओरिजनल ड्राफ्ट को ठेकेदार सुरक्षित रखता है।तथा बिल भुगतान हो जाने के पश्चात ठेकेदार ओरिजनल ड्राफ्ट को बैंक में जमा कर मजदूरों के पीएफ के पैसे वापस ले लिए जाते हैं,जिससे मजदूरों के पीएफ खाते पर पीएफ के पैसे नहीं पहुंचते। यहां तक कि ठेकेदार द्वारा मजदूरों को प्रतिमाह की वेतन पर्ची तक नहीं दी जाती है।कार्मिक विभाग एवम ठेकेदार की सह पर पीएफ घोटाला चल रहा है,वैसे तो मजदूरों की वेतन एवम अन्य सुविधाओ को लेकर बकायदा कंपनी द्वारा कंपनी के अधिकारी एवम यूनियन के नेता कमेटी के सदस्य रहते हैं किंतु आज कल कंपनी के कुछ कार्य कागजों पर कुछ और हो रहे हैं पर जमीनी स्तर पर कुछ और।सूत्रों की माने  तो भूले भटके  एसईसीएल कम्पनी में लेबर कमिश्नर भी जांच करने आते हैं और अधिकारियों के साथ ऑफिस में बैठकर ही जांच कागजों में 100% सही बना दी जाती है ।

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