बैगा जनजाति को मूलभूत सुविधा दिलाने छात्र संगठन ने राज्यपाल के नाम सौपा ज्ञापन

बैगा जनजाति को मूलभूत सुविधा दिलाने छात्र संगठन ने राज्यपाल के नाम सौपा ज्ञापन


अनूपपुर/पुष्पराजगढ़

 भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक के बैनर तले अध्यक्ष रोहित सिंह मरावी के अगुवाई में पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में निवासरत सैकड़ों बैगा जनजाति समुदाय के परिवार के लोगों को मूलभूत सुविधाऐ नही मिलने एवं शासन द्वारा विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिये चलाई जा रही तमाम महत्वाकांक्षी योजनाओ से आज भी बंचित है जिसमे वन अधिकार पट्टा शुद्ध पेयजल सड़क बिजली आदि का मुद्दा शामिल है को लेकर अपनी आवाज बुलंद करते हुये सड़क पर नारेबाजी करते हुये महामहिम राज्यपाल के नाम पुष्पराजगढ़ अनुविभागीय दंडाधिकारी  को ज्ञापन सौंपा गया।

*नहीं जागा प्रशासन तो करेंगे धरना प्रदर्शन*

 महामहिम के नाम सौंपे गये ज्ञापन में उल्लेख किया गया की 10 दिवस के अंदर यदि शासन प्रशासन द्वारा हमारी सुध नहीं लिये और हमारी मांगो पर उचित कार्यवाही नहीं हुई तो तहसील प्रांगण में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन करने के लिये मजबूर होंगे जिसकी संपूर्ण जवाबदारी शासन प्रशासन की होगी।

*आगामी चुनाव का करेंगे सामूहिक वहिष्कार*

रोड नहीं तो वोट नही बिजली नहीं त वोट नही की तर्ज पर शानन प्रशासन को आगाह करते हुये आरोप लगाया की हर बार चुनाव आते ही राजनैतिक पार्टियों द्वारा विकास कराने के नाम का झुनझुना देकर चले जाते है इसके बाद कोई मुड़कर नही देखता परन्तु इस बार ऐसा नही होगा यदि हमें मूलभूत सुविधाओं से बंचित रखा गया तो आगामी चुनावों में पुष्पराजगढ़ में निवासरत समस्त बैगा जनजाति समुदाय के लोग सामुहिक रूप से वहिष्कार करेंगे।

*विलुप्त होने के कगार पर राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र*

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाने वाले बैगा आदिवासियों के हालात एवं उनके गुजर बसर पर गहरा असर पड़ रहा है बैगा समाज संरक्षित जनजाति विलुप्त होने के कगार पर है बैगा जनजातियों के नाम बहुत सी योजनाऐ संचालित बैगा परियोजना में हर वर्ष करोड़ो रूपये का बजट आता है परन्तु कागजो तक ही सिमट कर रह जाता है जिससे बैगा जनजाति के हजारों परिवार विकास से कोसो दूर है  पुष्पराजगढ़ क्षेत्र के दर्जनों गांव जो बैगा बाहुल्य गाँव है जिसमे गर्जनवीजा बोदा चचानडीह गढ़ीदादर डूमर टोला बकान भाठी बहरा करौंदपानी इमली टोला मिर्चाददार जैसे गांव में बैगा जनजाति निवासरत है जो आजादी के 74 वर्ष बाद भी मूलभूत सुविधा सड़क बिजली पानी शिक्षा स्वास्थ सुबिधा के अभाव में जीवन जीने के लिऐ मजबूर होना पड़ रहा है।

*बैगा विशेष पिछड़ी जनजाति का इतिहास*

 बैगा जनजाति जितनी प्राचीन जनजाति है उतनी ही प्राचीन बैगाओं की संस्कृति भी है बैगा जनजाति अपने संस्कृति को आज भी संजोये हुये है इनका रहन-सहन खान-पान अत्यंत सादा व सरल होता है बैगा जनजाति के लोग वृक्ष की पूजा करते है तथा बूढ़ा देव एवं दूल्हा देव को अपना आराध्य देव मानते है आज भी बैगा जनजाति झाड़-फूक एवं जादू-टोना में अपार विश्वास रखते है इनकी वेश-भूषा अत्यंत अल्प होती है बैगा पुरुष मुख्य रूप से एक लंगोट तथा सर पे गमछा बांधते है वहीं बैगा महिलाएं एक साड़ी तथा पोलखा का प्रयोग करती है। किन्तु वर्तमान समय में मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले बैगा जनजाति की महिलाएं आभूषण प्रिय होती हैं बैगा महिलाएं आभूषण के साथ-साथ गोदना भी गुदवाती है इनकी संस्कृति में गोदना का अत्यधिक महत्व है बैगा जनजाति का मुख्य व्यवसाय वनोपज संग्रह पशुपालन खेती तथा गुनियानी जड़ी बूटी का संग्रह करना है परन्तु धीरे धीरे आधुनिकता के दौर में बैगा जनजाति की संस्कृति में भी आधुनिकता का समावेश हो रहा है बैगा अब सघन वन कंदराओं तथा शिकार को छोड़ कर मैदानी क्षेत्रों में रहना तथा कृषि कार्य करना प्रारंभ कर दिये है किन्तु बैगा अपने आप को जंगल का राजा और प्रथम मानव मानते है।

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