बैंक ऑफ इंडिया की दादागिरी, बैंकिंग समय मे बैंक के अंदर अधिकारी करते हैं मीटिंग

बैंक ऑफ इंडिया की दादागिरी, बैंकिंग समय मे बैंक के अंदर अधिकारी करते हैं मीटिंग

*बैंक की मनमानी से ग्रामीण ग्राहक परेशान, समय से नही होता लोगो के काम, बैंक के पास रहता हैं दलालो का कब्जा*


अनूपपुर

जिला मुख्यालय में रेलवे फाटक के पास बैंक ऑफ इंडिया के ग्राहक बैंक के गतिविधियों से लगातार परेशान रहते हैं छोटे छोटे कार्य के किये घंटो इंतजार करते रहते है मगर वहाँ पर बैठे अधिकारी कर्मचारी कुछ भी सुनने को तैयार नही है लगातार इस लापरवाही से बैंक की साख धीरे धीरे गिरती जा रही हैं मगर बैंक के कर्मचारी अधिकारियों को क्या फर्क पड़ता हैं उनकी पगार तो हर माह समय पर मिल ही जाती हैं। आम जनता की रकम सुरक्षित रहे इसलिए लोग बैंक में अपना खाता खोलकर रुपया रखते हैं जरूरत पड़ने में रुपये निकाल लेते हैं फिर जमा कर देते हैं। लेकिन बैंक ग्राहकों को पूरी तरह से सुविधा देने ने असमर्थ दिख रही है मोदी सरकार ने हर व्यक्ति का खाता बैंक में खुलवा दी हैं मगर ग्राहकों को सुविधा देने में बैंक खरा नही उतर पा रही है। लोगो की शिकायतें लगातार आती रहती हैं मगर सुनने वाला कोई नही है जबकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सारे बैंकों को साफ साफ निर्देश दिए हैं कि आम जनता जिनका बैंक में खाता हैं उनको कोई भी परेशानी न हो और शिकायत आने पर बैंकों के ऊपर भी कार्यवाही होती रहती हैं मगर उसके बाद भी बैंकों के कामकाज में कोई सुधार देखने को नही मिल रहा हैं।

*बैंकिंग समय होती हैं मीटिंग*

बैंक का खुलने बंद होने का समय पहले से निर्धारित होता है मगर उसके बावजूद भी बैंक के कर्मचारी अधिकारी लापरवाही करने में बिलकुल कमी नहीं करते कुछ दिन पहले दोपहर 12 बजे के लगभग बैंक ऑफ इंडिया के कार्यालय के अंदर बाहर लगभग 60 ग्राहक मौजूद थे और बैंक के समय मे पूरे कर्मचारी अधिकारी बैंक के अंदर मीटिंग कर रहे थे और ग्राहक जो ग्रामीण क्षेत्र से आये थे परेशान हो रहे थे 30 से 35 ग्राहक बैंक के अंदर थे तथा 25 से 30 ग्राहक बैंक के बाहर मीटिंग खत्म होने का इंतजार कर रहे थे और बहुत सारे ग्राहक अपने घर को चले गए यह मीटिंग कितने बजे शुरू हुई कितने बजे खत्म हुई इसकी जानकारी नही लग पाई हैं। मगर बैंक के अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा ग्राहक को भोगना पड़ता हैं।

*लापरवाही से ग्राहक परेशान*

बैंक में व्यापारी, मजदूर, छात्र, किसान एवं आम आदमी का खाता होता हैं सभी लोग अपने काम को छोड़कर बैंक रुपये निकालने, जमा करने आते हैं मगर बैंक के तानाशाही रवैये से ग्राहक परेशान होते है किसान और मजदूर ग्रामीण क्षेत्रो से खेती का काम छोड़कर, मजदूरी छोड़कर कई किलोमीटर दूर से किराया लगाकर आते है मगर बैंक की लापरवाही से पूरा दिन लग जाता है तब काम हो पाता है व्यापारी भी अपनी दुकान छोड़कर बैंक काम करवाने आते हैं समय से काम न होने के कारण दुकानदारों के ग्राहक भी चले जाते है ग्राहक भगवान होता हैं ग्राहक के दम पर बैंक चलता है ग्राहक के ही जमा पूंजी से बैंक व्यापारियों को कर्ज देकर मोटी रकम कमाती है उन्हीं ग्राहकों के साथ सौतेला व्यवहार किया जाना कहा तक उचित है इसका खामियाजा बैंक को जरुर भुगतना पड़ेगा।

*बैंक में दलालो का कब्जा*

बैंक में खाता खुलवाना तो बहुत आसान है मगर बैंक से शासकीय योजना के लोन, पर्सनल लोन, होम लोन, लिमिट, व्यापार लोन, शिक्षा लोन, वाहन लोन लेना उतना ही कठिन है बड़े अमीर और पहुँच वालो के लोन तो बड़ी आसानी से मिल जाते है मगर आम आदमी, गरीब लोगो को लोन लेने में एड़ी चोटी लगाने के बाद भी नही मिल पाता सूत्र बताते है कि बैंक ऑफ इंडिया के अंदर कोई भी कार्य करवाना हैं तो दलालो के शरण मे जाना ही पड़ेगा बैंक कोई भी काम डायरेक्ट नही करती जिसके कारण दलालो का बोलबाला रहता हैं अधिकारी दलालो के माध्यम से ही कार्य करना पसंद करते हैं क्यू कि इससे बैंक अधिकारियों को कमीशन मिल जाता हैं और दलाल को भी एक मोटी रकम मिल जाती हैं और लोन लेने वाला ग्राहक लुट जाता हैं लोन लेने के बाद ग्राहक बैंक को ब्याज भी देता हैं और लोन लिया हुआ रुपया भी जमा करता हैं। बैंक की सांठ गांठ से आम गरीब आदमी लुट रहा हैं।

*बैंक के पास नही है पार्किंग*

जिला मुख्यालय में बैंक ऑफ इंडिया की शाखा कई वर्षों से संचालित है हजारों खाताधारको के खाता है प्रतिदिन सैकड़ो लोग बैंक में काम से आते हैं मगर बैंक के पास खुद का पार्किंग नही है जिसके कारण बैंक के ग्राहक सड़क पर ही गाड़ी खड़ी करके बैंक के अंदर काम से चले जाते है जिसके कारण सड़क पर हमेशा जाम की स्थिति निर्मित हो जाती हैं  जिसके कारण आने जाने वाले लोगो को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता हैं यह मार्ग मुख्य बाजार मार्ग, अस्पताल, तहसील, पीडब्लूडी, कॉलेज, एसडीएम कार्यालय, जिला न्यायालय के अलावा बहुत सारे कार्यालय होने के कारण इस मार्ग में भीड़भाड़ बहुत रहती हैं मगर बैंक को इससे कोई मतलब नही है।

*इनका कहना हैं*

ग्राहकों को थोड़ी परेशानी हुई होगी मगर जबलपुर से अधिकारी आये थे और उनके पास रुकने का समय नही था तुरंत वापस भी जाना था इसलिए बैंक टाइम में मीटिंग करनी पड़ी।

*वीरेंद्र पॉल शाखा प्रबंधक बैंक ऑफ इंडिया अनूपपुर*



Labels:

Post a Comment

MKRdezign

,

संपर्क फ़ॉर्म

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget