सोडा फैक्ट्री में कार्यरत 6 कर्मचारियों को कूट रचित षडयंत्र पूर्वक नौकरी से निकाला

सोडा फैक्ट्री में कार्यरत 6 कर्मचारियों को कूट रचित षडयंत्र पूर्वक नौकरी से निकाला

*कर्मचारी हुए नौकरी से वंचित परिवार हुआ दाने-दाने को मोहताज*


अनूपपुर

उद्योग के प्रबंधक वर्ग और सुरक्षा अधिकारी की शह पर कार्यरत कर्मचारियों के साथ सोडा कास्टिक यूनिट ओरिएंट पेपर मिल के प्रबंधक वर्ग एवं पर्सनल विभाग में कार्यरत पूर्व अधिकारी कैलाश मिश्रा एवं कार्मिक प्रबंधक निर्माणी उपाध्यक्ष के द्वारा कूट रचित षड्यंत्र के शिकार हुए 6 मजदूरों की बेबुनियाद तरीके से नौकरी के दौरान षड्यंत्र करके उनके ऊपर झूठे मुकदमे दर्ज करा कर नौकरी से वंचित कर दिया गया। इन मजदूरों के द्वारा अपने उम्र की आधी नौकरी व उद्योग में अपने सेवा कार्य से वंचित हो गए।

शेष बचे उद्योग के कर्मचारियों व मजदूरों को वर्ग लाते हुए इनके अंदर बैठे दलाल नेता और अधिकारियों के द्वारा (वी आर यस) वैलंट्री रिटायरमेंट ले लिया गया। इनके इस प्रकार किए गए कृत्य के कारण उद्योग में कार्य कर रहे कर्मचारियों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया और इन्हीं के साथ ही नहीं इनके साथ जुड़े परिवार भी आज दाने-दाने को मोहताज हो गए बेबसी और लाचारी के कारण आज की स्थिति में जिन मजदूरों को षडयंत्र पूर्वक तरीके से उनके नौकरी पेशा से वंचित करने के उपरांत उद्योग से बाहर किया गया उनके ऊपर हुए इस अन्याय का जिम्मेदार कौन है।

प्रबंधक वर्ग द्वारा यह सुनियोजित षड्यंत्र मजदूरों के लिए किसी ना किसी उद्योग के विशेष व्यक्ति की सैर पर रचा गया होगा जिसके कारण कई ऐसे मजदूरों को जिनकी उम्र अभी रिटायरमेंट होने की नहीं हुई थी उन्हें समय से पहले ही नौकरी से पद मुक्त कर दिया गया सबसे बड़ी बात यह है कि उद्योग में अधिकारियों की चापलूसी और दलाली करने वालों की अधिकता होने के कारण उन चापलूसी और दलालों के बाप को नौकरी, लड़के को, नौकरी  देने की प्रथा को जारी रखा गया है। यही नहीं इस उद्योग के अंदर एक ऐसी प्रथा का चलन है की पूरी उम्र नौकरी करने के बाद रिटायर होने की अवस्था को पूर्ण करने के उपरांत जब शारीरिक मानसिक और बौद्धिक रूप से कमजोर होने के बावजूद भी आज तक कुछ तथाकथित अधिकारी वर्ग व कर्मचारियों को अतिरिक्त समय अवधि के रूप में कई वर्षों से कार्य में लिया जा रहा है उन्हें उद्योग के अंदर से ना तो रिटायर किया गया और ना ही कार्यमुक्त किया गया। आज भी सोडा कास्टिक यूनिट उद्योग के अंदर ऐसे कर्मचारियों और अधिकारियों को सहजता से देखा जा सकता है।

जबकि मध्य प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री के द्वारा अपने विराट कार्यक्रमों के दौरान प्रदेश के बेरोजगारों को लेकर चिंता जाहिर करते हुए बार बार बोला जाता है कि जिस जिले ग्राम में उद्योग की स्थापना की जाएगी या की गई है वहां पर सर्वप्रथम प्राथमिकता के आधार पर जिनकी भूमि अधिग्रहित की गई है और वहां के युवा बेरोजगारों को नौकरी देना अनिवार्य होगा किंतु यहां तो सोडा कास्टिक यूनिट के सुरक्षा विभाग एवं उद्योग की सुरक्षा की जिम्मेदारी लिए चीफ सिक्योरिटी मैनेजर शैलेश सिंह एवं मुख्य कार्मिक प्रबंधक निर्माणी के द्वारा कसम खाया गया है की जहां पर उद्योग स्थापित है वहां के युवा बेरोजगारों को किसी भी हालत पर उद्योग के अंदर मजदूरी कराने के लिए नहीं लिया जाएगा। इनके द्वारा ईस्ट इंडिया की तर्ज पर यहां के पुश्तैनी बाशिंदों के साथ व्यवहार किए जा रहे हैं जिसका प्रमाण इनके द्वारा इनकी क्रियाकलापों और कार्यशैली से लगाया जा सकता है।

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