लोकसेवक नहीं "VVIP" हैं सीएमओ मैडम, आमजन से मुलाकात पर है परहेज

लोकसेवक नहीं "VVIP" हैं सीएमओ मैडम, आमजन से मुलाकात पर है परहेज


शहड़ोल/बुढ़ार

प्रदेश के मुखिया आमजनमानस की पीड़ा को भले ही अपनी पीड़ा समझते हों, आम जनता के एक छोटे से कष्ट के लिये भी वह स्वयं आदेश और निर्देश जारी कर देते हैं लेकिन उनके राज्य और शासनकाल में कुछ ऐसे भी लोक सेवक हैं, जो पद पर आसीन होनें के बाद किसी "VVIP" से अपनें आपको कम नहीं समझते, हालात‌ यह हैं कि जनता के इन सेवक से यदि मिलना हो तो इसके लिये समय से लेकर  मिलना होगा, वह भी कब यह उनका स्टॉफ भी नहीं बता‌ सकता। मामला नगर परिषद बुढ़ार का है जहां हाल ही में पदस्थ सीएमओ शिवांगी सिंह की कार्यप्रणाली पर उनकी पदस्थापना दिनांक से ही सवाल खडे हो रहे हैं। सीएमओ के रुप में कार्य पर आना और किसी "VVIP" की तरह इनका कार्य करना स्थानीय पार्षदों से लेकर अध्यक्ष तक को रास नहीं आ रहा है। वहीं इनके कार्य करनें के तरीके से नगर के कई विकाश कार्य जहां ठप्प पड़े हैं वहीं बाबूशाही इस तरह से हावी है कि मैडम से मिलकर नगर का कोई आमजन किसी समस्या से अवगत कराना चाहे तो वह भी मुमकिन नहीं है।

*समय तो महज दिखावा*

भले ही लोकसेवकों को अपने सेवाकार्य दिवस में समय पर उपस्थित रहनें और समयसीमा तक कार्यालय में रहनें के निर्देश हों, लेकिन बुढ़ार नगर परिषद इससे वास्ता नहीं रखता। मनमर्जी की तर्ज पर काम करनें वाली सीएमओ के कार्यालय में आनें का समय ना ही तय है और ना ही कार्यालय से जानें का समय सुनिश्चित है। अपनें कार्यव्यवहार के लिये तो वह शुरु से चर्चा में रही हैं लेकिन परिषद कार्यालय में उनकी आवाजाही पर भी सवाल है। जहां मैजम कभी दोपहर 2 बजे आती है तो कभी 3 बजे इतना ही नहीं महज‌ एक घंटे का समय मैजम अपनें कार्यालय में देकर जल्द से जल्द निकल भी जाती है। 

*विकास हो रहा बाधित, हितग्राही भी परेशान*

हजारों की आबादी वाले नगर परिषद बुढ़ार अंर्तगत तमाम ऐसे कार्य हैं जिनकी आवश्यकताओं को लेकर पार्षद से अध्यक्ष तक कार्यवाही के लिये सीएमओ को अवगत करा चुके हैं। लेकिन अपनी लेटलतीफी के चलते सीएमओ के पास इन कार्यों के लिये समय ही नहीं होता जिससे नगर में समस्याओं का जाल बढ़ता जा रहा है और आमजनमानस में जनप्रतिनिधियों के प्रति असंतोष हैं। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री की तमाम ऐसी हितग्राही योजनायें हैं जिनकी लाभ सीधे लाभार्थी को मिलना है लेकिन वह भी नहीं मिल पा रहा है। ऐसी कई फाइलें हैं जो सीएमओ के हस्ताक्षर के इंतजार में पड़ी है और उनकी इस कार्यशैली से बाबूराज हावी हो रहा है।

*जनप्रतिनिधियों नें बताई पीड़ा*

वहीं दबी जुंबा कुछ जनप्रतिनिधियों नें पीड़ा बताते हुये कहा कि हम तो अपने नगर के वार्ड के विकास के तमाम वादे जनता से किये बैठे हैं, बारिश के दिनों में तमाम समस्याएं भी सामनें आई जिन्हें दूर करनें के लिये हमनें कार्यालय को अवगत कराया लेकिन कार्यवाही नहीं हो रही और समस्याओं से आमजनमानस को छुटकारा नहीं मिल पा रहा है, इससे हम जन प्रतिनिधियों से ना सिर्फ जनता का विश्वास उठ रहा है बल्कि मौजूद सरकार की भी किरकिरी हो रही है।

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