सभ्यता, संस्कृति, संस्कार, समाज एवं संसार को जोड़ने वाली भाषा हिन्दी- श्रीप्रकाश मणि
अनूपपुर/अमरकंटक
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के राज्य भाषा प्रकोष्ठ द्वारा हिंदी दिवस समारोह का आयोजन स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव के संदर्भ किया गया। यह आयोजन विश्विद्यालय के विद्या परिषद सभागार में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा की गई एवं मुख्य अतिथि माननीय कुलपति प्रो. एम.सी. गौतम, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट थे। आभार विश्विद्यालय के कुलसचिव श्री पी. सिलुवैनाथन द्वारा दिया गया। कर्यक्रम का संचालन डॉ. राहिल यूसुफ जई द्वारा किया गया।
इसके अलावा विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा भी हिंदी दिवस पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि प्रोफेसर (सेवानिवृत्त) वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी बीएचयू, वाराणसी थे और अध्यक्ष विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी थे। इसके अलावा अटल बिहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय,भोपाल एवं रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर में भी हिंदी दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बतौर मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी शामिल हुए।
अपने अध्यक्षीय एवं मुख्य अतिथि उद्बोधन में प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने हिंदी दिवस की बधाई देते हुए कहां कि "हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है, ऐसा इसलिए है क्योंकि इस दिन भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी भाषा को भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा घोषित किया था। भारत की संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाया। भारत के संविधान ने देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी को 1950 के अनुच्छेद 343 के तहत देश की आधिकारिक भाषा के रूप में 1950 में अपनाया।"
हिंदी को विशिष्ट भाषा बताते हुए कहा कि "हिंदी नाम फारसी शब्द हिंद से बना है जिसका मतलब है कि सिंधु नदी की भूमि। हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है, यह उन सात भाषाओं में से भी एक है जो वेब एड्रेस बनाने के लिए उपयोग की जाती हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में हिंदी भाषा के साथ-साथ अन्य भाषाओं को भी महत्व दिया गया है, जो कि अत्यंत सार्थक सिद्ध होगा। वर्तमान स्थिति में हम सभी को एक अन्य भारतीय भाषा को भी सीखना जरूरी है। ये देवों की भाषा है, स्वतंत्रता आंदोलन की भाषा, जन जागरण की भाषा,आजीविका की भाषा है, संस्कृति की भाषा है, ज्ञान-विज्ञान की भाषा है, सोशल मीडिया की भाषा है यहाँ तक कि देशों को जोड़ने की भाषा है"।
"आज हिंदी भाषा सभ्यता, संस्कृति, संस्कार और समाज के साथ-साथ संसार को जोड़ने वाली संपर्क भाषा है। यह दिन हर साल हमें हमारी असली पहचान की याद दिलाता है और देश के लोगों को एकजुट करता है। जहां भी हम जाएँ हमारी भाषा, संस्कृति और मूल्य हमारे साथ बरक़रार रहने चाहिए और ये एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करते है। हिंदी दिवस एक ऐसा दिन है जो हमें देशभक्ति भावना के लिए प्रेरित करता है। हिंदी को पूरी तरह ध्वन्यात्मक लिपि में लिखा गया है। इस भाषा के शब्दों को उसी तरह स्पष्ट किया जाता है जिस तरह से वे लिखे गए हैं। दुनिया भर में ऐसे कई शब्दों का प्रयोग किया जाता है जो लगता है कि अंग्रेजी के शब्द हैं परन्तु वास्तव में ये शब्द हिंदी भाषा के है"। इस अवसर परअधिष्ठाता (अकादमिक) प्रो. आलोक श्रोत्रिय, कुलानुशासक प्रो. शैलेन्द्र सिंह भदौरिया एवं वित्त अधिकारी श्री ए. जेना के साथ बड़ी संख्या में विश्विद्यालय के शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक विभाग नेअपनी उपस्थिति ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से दर्ज कराई।