देवांता अस्पताल के ऊपर लगे गंभीर आरोप रुपयों के खातिर मुर्दे को रखा वेंटीलेटर में

देवांता अस्पताल के ऊपर लगे गंभीर आरोप रुपयों के खातिर मुर्दे को रखा वेंटीलेटर में 

*थाने में नही दी सूचना किसान खड़ी फसल बेचकर चुकाई अस्पताल की फीस*


शहडोल

 शहडोल मुख्यालय स्थित देवांता अस्पताल का प्रबंधन पैसों की की लालच और लापरवाही के कारण आये दिन सुर्खियों में रहता है। बुधवार की दोपहर अनूपपुर जिले के जैतहरी विकास खण्ड अंतर्गत क्योटार निवासी पुष्पा राठौर पति संतोष राठौर उम्र 32 वर्ष ने अस्पताल प्रबंधन पर मुर्दे के इलाज और जबरिया वेंटीलेटर में लाश को रखने और रूपये वसूलने के आरोप लगाये मामला पुलिस कंट्रोल रूम और 100 डॉयल तक पहुंचा, कोतवाली पुलिस जब बुधवार की शाम करीब 6 बजे मौके पर पहुंची तो, अस्पताल के साझेदार डॉ. ब्रजेश पाण्डेय मातहत कर्मचारियों के साथ लाश को ऑक्सीजन के साथ शहडोल से अनूपपुर रेफर कर रहे थे।

जिला चिकित्सालय लेकर आई पुलिस*

संतोष राठौर ने पुलिस को बताया कि शहडोल से अनूपपुर रेफर किया जा रहा है, लेकिन किस अस्पताल में, यह प्रबंधन ने नहीं बताया, साथ ही अब तक की गई दवाईयों के दस्तावेज नहीं दिये जा रहे हैं, उसने बताया कि वह अपनी पत्नी को कई बार आईसीयू में जाकर देख चुका है, आज बुधवार की सुबह से ही वह मर चुकी है, में उसे ऑक्सीजन और जबरिया पंप दिये जा रहे हैं, संतोष के निवेदन पर पुलिस आईसीयू से वेंटीलेटर में ही महिला को शाम करीब 7 बजे लेकर जिला चिकित्सालय पहुंची, यहां चिकित्सक अजय कुमार राठिया ने परीक्षण के उपरांत बताया कि महिला मृत अवस्था में यहां पहुंची थी, उसके पीपी डायलेट थे, ईसीजी कर हमने पुष्टि की, मौत कुछ घंटे पहले हुई है, सही रिपोर्ट पोस्ट मार्टम के बाद ही आयेगी। 10 दिनों से थी भर्ती संतोष राठौर ने बताया कि अपनी को सोमवार 13 सितम्बर को शहडोल लेकर आया था, उसकी पत्नी पुष्पा ने कीटनाशक पी लिया था, इन 10 दिनों में करीब डेढ़ लाख की दवाई अस्पताल के मेडिकल दुकान से ली है, मेडिकल के बिल दिखाते हुए संतोष ने यह भी बताया कि वेंटीलेटर में रखने का खर्च 2 हजार रूपये प्रति घंटा लिया जा रहा था, कल शाम को यह कहा गया कि इसे आप अनूपपुर के अस्पताल में ले जाये, पर बताया नहीं गया कि किस अस्पताल में 64 हजार का बिल चुकाने की बात कही गई, मेरे द्वारा पूर्व में 30 हजार रूपये जमा किये गये थे, डॉक्टर ब्रजेश पाण्डेय ने कहा कि पैसे दोगे तभी मरीज को छुट्टी देंगे, मैनें अपनी खड़ी फसल जमीन सहित बेच दी और बुधवार की शाम 30 हजार दिये, तब जाकर दवाओं के फाईल देने की बात सामने आई। पर्ची किसी की इलाज किसी का संतोष राठौर ने बताया कि उसके पास दवाईयों की जो पर्चियां हैं, उसमें डॉ. दीपक पाल का नाम लिखा हुआ है, लेकिन यहां पर इलाज डॉ. ब्रजेश पाण्डेय तो कभी कोई चिकित्सक कर रहे थे, इन 10 दिनों में सिर्फ यह बताया गया कि डॉ. दीपक पाल बड़े डॉक्टर हैं, लेकिन न उनसे मुलाकात हुई और न ही कभी उसने पत्नी को आकर देखा ही, संतोष ने यह भी बताया कि बुधवार से पहले कोई भी पुलिसकर्मी उसके या पत्नी के पास बयान लेने या कोई सूचना पर नहीं आया था, उसने खुद जब परेशान होकर पुलिस से मदद मांगी तो पुलिस सामने आई और उसकी मदद की गई सवाल यह उठता है कि अस्पताल प्रबंधन ने इतने संगीन मामले में 10 दिनों तक पुलिस को तहरीर क्यों नहीं दी, यह पहला मामला नहीं है जब देवांता अस्पताल की लापरवाही सामने आई हो, मृतक के पति ने आरोप लगाया कि पैसों की खातिर डॉ. ब्रजेश पाण्डेय और अस्पताल प्रबंधन ने उसकी पत्नी की अघोषित हत्या की है, समय पर बता दिया गया होता और अनूपपुर की जगह और कहीं रेफर की बात आती , बड़े अस्पताल में शायद वह अपनी पत्नी की जान बचा लेता।



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