खनिज विभाग की खुली छूट अग्रवाल स्टोन क्रेशर उड़ा रहा नियम कायदों की धज्जियां

खनिज विभाग की खुली छूट अग्रवाल स्टोन क्रेशर उड़ा रहा नियम कायदों की धज्जियां

*लीज एरिया से हटकर हो रहा उत्खनन, हैवी ब्लास्टिंग के साथ बिना टीपी गिट्टी परिवहन*


इंट्रो- यूं तो जिले के कोने कोने में प्रकृति प्रदत्त खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है जिसका दोहन खनिज विभाग की सह पर माफियाओं के द्वारा बारूदी धमाके के साथ 24 घंटे किया जा रहा है ! खनिज निरीक्षक की खुली आजादी के बीच जिले भर में बैठे समाजसेवी का चोला पहनकर खुलेआम खनिज विभाग की सह पर माफियाओ ने तो सारी हदें पार कर दी। जिससे आने वाले दिनों में बहुत सारी समस्याओं का लोगो को सामना करना पड़ सकता हैं।

अनूपपुर 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले के डूंगरियाकला में क्रेशर संचालक अग्रवाल स्टोन क्रेशर के ऊपर पूर्व में खनिज विभाग ने लीज एरिया से हटकर क्रेशर संचालित करने का प्रकरण दर्ज कर जुर्माना लगाकर मामले को रफा-दफा करने का काम किया जबकि अभी तक क्रेशर उसी स्थान पर संचालित हो रहा है , राजस्व एवं खनिज विभाग की टीम ने मौके में जाकर या कार्यवाही की थी लेकिन यह कार्यवाही भी महज दिखावा ही साबित हुआ आपको बता दें अग्रवाल  स्टोन क्रेशर के संचालक द्वारा हैवी ब्लास्टिंग के साथ बिना टीपी के गिट्टी की बिक्री करना, लीज एरिया से हटकर अवैध उत्खनन करना आम बात हो गयी , यहां पर खनिज विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं जबकि खनिज विभाग को समय-समय पर क्रेसर सहित भंडारण की जांच कर जायजा लेना चाहिए ऐसा न करने पर क्रेशर संचालक अपनी मनमानी पर उतारू हो जाता है जिसका उदाहरण अग्रवाल का  क्रेशर है !

*समय पर हो करना चाहिए निरीक्षण*

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खनिज अधिकारियों को हर 3 महीने में भंडारण की जानकारी क्रेशर संचालक से लेनी चाहिए साथ ही प्रत्येक महीने खदान में बैठे क्रेशर की जानकारी भी खनिज अधिकारी के पास होनी चाहिए जिससे यह पता चल सके कि क्रेशर में कितना उत्पादन हुआ कितना बिका कितना बचा ! लेकिन यहां पर तो कुछ और ही नजारा है खनिज कार्यालय में जानकारी कुछ और होती है और क्रेशर के पास  भंडारण मे कुछ और हालांकि खनिज विभाग की लापरवाही से जरूर राजस्व की हानि सरकार को उठानी पड़ रही है ! 

*लीज एरिया से हटकर उत्खनन*

सूत्र बताते हैं कि अग्रवाल स्टोन क्रेशर से जो गिट्टी बेची जा रही है, परिवहन के दौरान लगने वाले टीपी अधिकतर नहीं काटे जाते वाहन मालिक को खाली एक पर्ची में नाम पता व गिट्टी की मात्रा लिखकर दे दी जाती है, राजस्व की चोरी अग्रवाल स्टोन के संचालक द्वारा धड़ल्ले से की जा रही है जिसका जीता जागता प्रमाण रेलवे में कर रहे गिट्टी परिवहन पर देखा जा सकता है जहां पर रात में पर्ची के सहारे बिजुरी साइडिंग तक गिट्टी पहुंचाई जा रही है, बताया गया कि लीज एरिया से हटकर भी उत्खनन यहां पर किया जा रहा है पूर्व में भी शिकायतें हुई थी लेकिन कार्यवाही  न होने के कारण क्रेशर संचालक के हौसले बुलंद हैं !

*जांच में खुल जाएंगे राज*

सूत्रों की माने तो अग्रवाल के द्वारा किए गए खदान में उत्खनन और गिट्टी के किए गए भंडारण की अगर जांच की जाए तो सारे मामले परत दर परत खुल कर सामने आ जाएंगे ! कितने मात्रा में बोल्डर का उत्खनन किया गया और वर्तमान में कितने गिट्टी की टीपी जारी हुई , बताया जाता है कि पत्थरों का तो उत्खनन कर लिया जाता है लेकिन जब गिट्टी बाहर बेची जाती है तो उसकी टीपी नहीं काटी जाती जिससे राजस्व का नुकसान क्रेशर संचालक कर रहा है  खनिज विभाग को चाहिए कि समय-समय पर जांच कर ऐसे क्रेशर संचालकों के विरुद्ध कार्यवाही करें !

*हैवी ब्लास्टिंग से भयभीत ग्रामीण*

जन चर्चा है कि डुमरिया कला स्थित अग्रवाल स्टोन क्रेशर संचालित है वहीं से कुछ ही दूरी पर पत्थर का उत्खनन करने के लिए हैवी ब्लास्टिंग का उपयोग होने के कारण यहां के आसपास के ग्रामीण काफी भयभीत है ना जाने कब किसके घर में पत्थर गिर जाएं हालांकि पूर्व में भी हैवी ब्लास्टिंग की शिकायत ग्रामीणों के द्वारा संबंधित विभाग को दर्ज कराई गई थी बावजूद अभी तक कोई कार्यवाही संचालक के विरुद्ध नहीं हुई जबकि ब्लास्टिंग के नियम यह कहते हैं कि भारत सरकार नई दिल्ली एवं मध्यप्रदेश शासन की विस्फोटक अधिनियम 1884 की धारा 9 (ख)का एवं विस्फोट पदार्थ 1908 की धारा 4 एवं 5 विस्फोट अधिनियम 2008 के नियम 24 के प्रावधान अनुसार विस्फोट के विनिर्माण कब्जा, विक्रय प्रयोग वाहन के लिए अनुज्ञप्ति धारण करने एवं शासन के निर्देशों का पूर्णरूपेण पालन करने समय-समय पर निरीक्षण कर नियमों के अनुरूप कार्य करने की पुष्टि के निर्देश प्रशासन को दिए गए हैं ,साथ ही विस्फोट सामग्रियों के परिवहन में लगे वाहनों की जानकारी थाना परिसर में देनी आवश्यक होती है ,जिला कलेक्टर या अनुविभागीय दंडाधिकारी को भी विस्फोट परिवहन व उपयोग की पूर्व से जानकारी देकर नियम व शर्तों का पालन करते हुए ही अति आवश्यक होने पर विस्फोटक का उपयोग खनिज संपदा निकालने के लिए किया जा सकता है ! लेकिन ब्लास्टिंग की जानकारी ना तो राजस्व विभाग को है ना ही पुलिस को !

*डस्ट धूल से परेशान ग्रामवासी*

सूत्र कहते हैं कि प्रदूषण विभाग के नियम कायदों को ताक में रखकर अग्रवाल स्टोन क्रेसर काम कर रहा हैं जहाँ पर इनका क्रेसर संचालित है वहाँ से के कई किलोमीटर तक धूल का गुब्बार देखने को मिल जाता हैं। आस पास खेतो में धूल की परत चढ़ी रहती हैं क्रेसर में पानी का छिड़काव कभी नही होता हैं धूल से आम ग्रामीण लोग परेशान होते है 


*इनका कहना है*

अगर बिना टीपी लीज एरिया से हटकर परिवहन व उत्खनन किया जा रहा है तो जांच कर कार्यवाही की जाएगी 

*ईशा वर्मा खनिज निरीक्षक अनूपपुर*

खदानों में उपयोग किए जा रहे बारूद की जानकारी जुटाई जा रही है अनूपपुर एसपी से मिलकर मुहिम चलाई जाएगी बारूद उपयोग करने वालों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाएगी !

*ऋषि सिंघई एसडीएम कोतमा*

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