#नमन मंच
#दिनांक 5/9/2021
विषय *शिक्षक दिवस*
न पहले जैसा विद्यालय हैं, न एकलव्य जैसा शिष्य रहान हैं न अब द्रोणाचार्य जैसे गुरु
#विधा गद्द काव्य
*कुछ नहीं पहले जैसा*
न पहले जैसा विद्यालय हैं ,
न गुरु है पहले जैसे ।
न एकलव्य सा शिष्य रहा ,
न हैं अब द्रोणाचार्य से गुरु ,
फिर विद्यादान हो कैसे ।
बस खुले आम हो रहा है ,
शिक्षा का व्यापार अब ।
आंख मूंदकर लूट रहे हैं ,
शिक्षा का संसार सब ।
बेची जा रही है शिक्षा ,
जिसको जितना है लेना ।
ले लो करके मोल भाव ,
बस कुछ पैसे है देना ।
दोष है किसका कितना कहां ,
है विचार करने का विषय ।
देख रही है सारी दुनिया ,
कहीं नही कोई संशय ।
दोष सिर्फ शिक्षक का नही ,
न दोष सिर्फ स्कूल का ।
न केवल शिष्य रहा दोषी ,
है दोष शिक्षा के मूल का ।
सरकार से लेकर विद्यालय ,
और छात्र से लेकर शिक्षक ।
बनी हुई है सारी चीजें ,
अबसब बिकता है राशन की तरह।
(वंदना खरे मुक्त चचाई जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश)