अ.ब्रा.न्या.सभा की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक शहडोल में हुई सम्पन्न
*संगठनात्मक सशक्तिकरण के लिये विप्र बंधुओं ने लिया संकल्प*
शहड़ोल
अखण्ड ब्राम्हण न्यास सभा के प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन सोमवार को जिले के शुभम पैलेस में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर
बाबा परशुराम जी की विधिधान वेदोक्त मंत्रोच्चारण के साथ आचार्य श्री सूर्यकांत शुक्ला के द्वारा पुजा कराई गयी। तत्पश्चात जय जय बाबा परशुराम जी के जयकारे के साथ आयोजन शुरू हुआ। जहाँ भोपाल, सिंगरौली, अनूपपुर, कोतमा, उमरिया, कटनी, रीवा, सीधी, सतना, जबलपुर, सागर, इंदौर, तथा अन्य क्षेत्रों से ब्राम्हण एकत्रित हुये और उन्होंने समाज को संगठित होने की प्रेरणा दी। गौरतलब है कि, कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में शासकीय, अशासकीय सेवा देने वाले ब्राम्हणों के द्वारा समाज के शोषित पीडित बन्धुओं को आगे लाने की प्रेरणा दी गई। इस मौके पर सातिका तिवारी, रविकरण त्रिपाठी, विवेक पाण्डेय के द्वारा जनसेवा की भावना से कार्य करनें वालों को बधाई प्रेषित की गई।
कार्यक्रम में प्रदेश प्रवक्ता राहुल तिवारी ने कहा कि, समाज को गतिशीलता प्रदान करने के लिये सभी को एकजुट होने की आवश्यकता है। प्रदेश उपाध्यक्ष रामखेलावन तिवारी द्वारा युवाओं को आगे आने की प्रेरणा दी गई। कहा कि, समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक अखण्डता का सूत्र संचालित किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। इस अवसर पर विजय नारायण दुबे, घनश्याम तिवारी, तेजभान तिवारी, नीलू पाण्डेय, राजकुमार द्विवेदी, शिवाजी मिश्रा, राजाजी शर्मा, मनोज द्विवेदी, रामनारायण पाण्डेय, शशीकांत पाण्डेय, विनोद द्विवेदी, मुकेश त्रिपाठी, रवि कुमार तिवारी के द्वारा ब्राम्हण समाज को संगठित होने की प्रेरणा दी गई।
ब्राम्हण की मूल परिभाषा को बताते हुये वेदोक्त मंत्रोच्चारण के साथ सूर्यकांत शुक्ला ने बताया कि भगवान परशुराम के जीवन चरित्र से ब्राम्हण की मूल परिभाषा प्रदर्शित होती है। जिन्होंने न्याय, धर्म की रक्षा के लिये शास्त्र के साथ शस्त्र को भी धारण किया। ब्राम्हण अपनी विद्वता के साथ ही समाज के लिये हमेशा संघर्षशील रहता है। यही कारण है कि, अनादिकाल से ब्राम्हण को महत्व दिया जाता रहा है। ब्राम्हण त्याग, तपस्या और बलिदान के लिये जाना जाता रहा है लेकिन वर्तमान परिवेश में लोगों ने ब्राम्हण की परिभाषा को राजनैतिक लाभ के लिये परिवर्तित करने का प्रयास किया है। जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों को दुबे, तिवारी, मिश्रा, कान्यकुब्ज, सरयूपारी के नाम से खण्डित करने का प्रयास किया गया है। ऐसे में रंग, रुप, भेषभूषा और भाषाओं को दरकिनार कर ब्राम्हण को संगठित होने की आवश्यकता है। यूं तो एक-एक ब्राम्हण एक समाज के बराबर स्वयं ही जाना व पहचाना जाता था।
इस अवसर पर प्रदेश कोषाध्यक्ष सुभाष मिश्रा, प्रदेश संजोजक विनय शुक्ला, प्रदेश सह सलाहकार अखिलेश कुमार शर्मा, संभागीय प्रवक्ता संतोष चौबे के द्वारा ब्राम्हणों को विभिन्न क्षेत्रों में संगठन को शसक्त करने की बात कही गई। बदलते राजनैतिक महत्वाकांक्षा ने ब्राम्हण के स्वरुप को बदलने का प्रयास किया जिससे ब्राम्हण का वह परिवार जो वसुदैव कुटुम्मबकम के नाम से जाना जाता था, अब वह अपने कुटुम्ब तक सीमित हो गया। ऐसे में जहां विभिन्न धर्म सम्प्रदाय के लोग संगठित हो रहे हैं वहीं ब्राम्हण समाज के लोग असंगठित हैं। इस स्थिति में "मैं "से "हम "तक का सफर करने वाले ब्राम्हण समाज के लिये वरदान बन सकते हैं। जिसके लिये प्रत्येक ब्राह्मण का दायित्व है कि, वह अपने परिवार के साथ ही समाज के अन्य बंधुओं के दर्द को भी महसूस करे और उन्हें संगठित करने के लिये प्रयत्नशील रहे।
अंत में प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि, ब्राम्हण समाज को भिन्न-भिन्न वर्गों में वर्गीकृत कर खण्ड-खण्ड करने का प्रयास वर्तमान में किया जा रहा है। अब वह समय आ गया है कि, प्रत्येक ब्राम्हण अखण्ड रूप से जुड़े। खण्ड खण्ड की परिभाषा से ब्राम्हणों को जाना जायेगा, तब तक समाज का उत्थान हो पाना असंभव है। श्री दुबे ने कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए प्रदेश संयोजक विनय शुक्ला, अखिलेश कुमार शर्मा प्रदेश सह सलाहकार, प्रदेश प्रवक्ता राहुल तिवारी को धन्यवाद देते हुए कहा कि, मैं दिल से प्रणाम करता हूं और सराहना करता हूं की इतने कम समय में हमारे दूरदराज से आए हुए विप्र जनों को अच्छी व्यवस्था मिली। सभी कार्यकर्ताओं को भी धन्यवाद देता हूं, जो बैठक में पहुचकर कार्यक्रम को सफल बनाया।