संरक्षण में खुलेआम गली गली बिक रही है कच्ची शराब जिम्मेदार मौन

संरक्षण में खुलेआम गली गली बिक रही है कच्ची शराब जिम्मेदार मौन 


*घर का सामान गिरवी रख कर शराब की लत के कारण परिवार हो रहे हैं बर्बाद*

अनूपपुर

 इन दिनों शराब और शराबियों में मौसम के परिवर्तन को लेकर और समय के बदलाव आते ही जमकर उपद्रवियों के द्वारा महुआ कच्ची शराब का सेवन जगह जगह गांव मुहल्लों में बना रहे महुआ कच्ची शराब के विक्रेताओं का पो बारा। पूर्व में एक पाव कच्ची शराब की कीमत 20 रुपए और एक बोतल की कीमत ₹80 किंतु कोरॉना संक्रमण काल के दौरान फैली कोरो ना बीमारी को मद्देनजर रखते हुए कच्ची शराब की कीमत में वृद्धि होकर ₹140 रुपए बोतल कर दिया गया है फिर भी पीने वालों की संख्या में किसी भी प्रकार से गिरावट नहीं आई क्योंकि कोविड-19 संक्रमण के दौरान शासन के द्वारा मान्यता प्राप्त सभी देसी व अंग्रेजी शराब दुकान बंद होने की स्थिति में देसी कच्ची शराब विक्रेताओं के शराब बिक्री में भारी मात्रा में बढ़ोतरी की गई जिस पर शराबियों ने इस अवसर का लाभ उठाकर जमकर महुआ कच्ची देसी शराब का आनंद लिया।

जिसका असर गांव में रहने वाले रोजमर्रा दैनिक मजदूरी नौकरी पेशा करने वाले लोगों की गर्म रहने वाली जेब इन दिनों ठंड हो गई है उस सुनहरे अवसर पर शराबियों उपद्रवियों के द्वारा महुआ देसी शराब का सेवन काला नमक और लहसुन चाट कर कच्ची शराब जमकर पीने का लुफ्त उठाया किंतु कुछ समय से आर्थिक स्थिति में गिरावट आ जाने की वजह से और परिवारजनों को आर्थिक तंगी झेलने के कारण शराब की लत इन शराबियों के रहने के ढंग में काफी बदलाव ला दिया इस बदलाव के कारण इन शराबियों के द्वारा शराब की बुरी लत घर में शादी के दौरान ससुराल से मिली बटकी, हंडी, बल्टी, लोटा,थाली साथ ही ऐसी कई सामग्रियां जो परिवार जनों के दैनिक उपयोग में इस्तेमाल किए जाते थे उन्हें भी उन देसी  महुआ शराब बेचने वालों के यहां गिरवी रखकर शराब पी लिया गया।

यह घटना कोई मामला नहीं सच्ची और हकीकत है की आज की स्थिति में महज ग्राम  बरगवां की ही नहीं अपितु अनूपपुर जिले के कई ऐसे गांव हैं जहां इस संकट काल के दौरान देसी शराब बनाकर बिक्री करने वालों का पो बारा ना रहा हो।

इस भीषण महामारी के 2 वर्षों के दौरान युवा वर्ग जिनके द्वारा बिना नशा के एक पल भी नहीं रहा जा सकता उनके द्वारा घरों में मां बाप के कमाए हुए मेहनत की पूंजी को चोरी करके इन शराब बनाने वाले देसी विक्रेताओं के पास अपनी जेबें खाली कर दी और इन्हें जब अंततः घर में किसी भी तरह से रुपए पैसे ना मिलने की स्थिति में परिवार जनों से मारपीट विवाद कर बाहर के दरवाजे खुले दिखे तो दूसरों के घर में चोरी करने में उतारू हो गए और चोरी की गई चीज को बेचकर देसी शराब विक्रेताओं को सौंप दिया गया यह है शराब पीने वालों की दुर्दशा भरी जिंदगी की कहानी किंतु इस पूरे समय के दौरान जिला आबकारी पुलिस के द्वारा एक बार भी गांव के अंदर इस प्रकार अवैध देसी शराब बनाने वालों के ऊपर किसी भी प्रकार की ना तो जब्ती की गई और ना ही कोई कार्यवाही की गई।

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