स्थानांतरण के बाद भी नही छूट रहा महिला प्राचार्य का महाविद्यालय से मोह

स्थानांतरण के बाद भी नही छूट रहा महिला प्राचार्य का महाविद्यालय से मोह

*बीमारी का बहाना बनाकर स्थानांतरण रुकवाने भोपाल में मंत्री जी के बंगले के लगा रही है चक्कर*


शहडोल/बुढ़ार

जिले के सबसे धनाढ्य और उच्च अप्रवासी छात्रों की बदौलत जिले में शासकीय नेहरू महाविद्यालय बुढार का एक अलग ही स्थान है और उसी महाविद्यालय में लगभग दो दशकों से अंगद की तरह पैर जमाये हुए, प्राध्यापक से लेकर प्रभारी प्राचार्य का सफर बड़े ही आसानी और मौज के साथ किया। अब प्रशासनिक फेरबदल के चलते और शिक्षा को दुरस्त करने के लिए स्थानन्तरण उच्च शिक्षा विभाग द्वारा और मंत्रालय द्वारा स्थानन्तरण हुआ ,परन्तु बुढार में पदस्थ रहीं प्राचार्य श्री मति आशा अग्रवाल का स्थानांतरण कुछ दिन पूर्व शासकीय महाविद्यालय पाली जिला उमरिया में उच्च शिक्षा विभाग के द्वारा जारी सूची  में कर दिया गया ,विदित है कि उक्त महाविद्यालय में जमाने से पैर जमाये बैठे जब प्रभारी प्राचार्य का स्थानांतरण हुआ तो सरकारी धन के वारे न्यारे करने वाली प्राध्यापिका को पसंद नही आया और ट्रांसफर रुकवाने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाने में कोई कसर नही छोड़ रही है।

*मेडिकल लेकर पर मंत्री निवास के चक्कर लगा रही*

सूत्रों की माने तो मैडम  1 सितम्बर से ही मेडिकल लेकर घर पर आराम में लगी रही, पर ये तो दुनिया जानती है कि ट्रांसफर के बाद न मेडिकल तो शासकीय कर्मचारियों का रामबाण इलाज है और मेडिकल के नाम पर जुगत लगाने में लगना मेडिकल अवकाश में चार चांद लगा देता है,वास्तव में कहा जाए तो मेडिकल अवकाश के दौरान मैडम ने आने पूरे हिसाब को साफ सुथरा कर दिया,पुराने अलीबाबा के जिन्न की तरह पुराने से पुराने चेक और पेमेन्ट को निपटाने में लग रही और मौका पाते ही राजधानी में पैर जमाने पहुंच गई हैं और ट्रांसफर रुकवाने के लिए मोटी रकम देने को तैयार हैं अब देखना ये है कि  बोली कहाँ तक जाती है, मोल भाव का हिसाब कहां तक अपना मुख मण्डल खुलता है ।

*मैडम का मोह क्यों नही छूट रहा*

 सूत्रों के अनुसार करोड़ो रूपये के खेल खेलकर मोटी रकम पहले ही अंदर की जा चुकी है सरकारी धन का किस तरह दुरुपयोग करना है और उसे आने उपयोग में किस प्रकार लाना है ,ये महाविद्यालय के प्रबंधन से सीखा जा सकता है, बिना बिलों के अंधाधुंध भुगतान किये, वही सीधे बैंक से आहरण कर लाखों रुपये का खेल खेला गया । जनभागीदारी से आने वाली फीस पर अगर ईमानदारी से जांच हो  तो करोड़ों का घोटाला उजागर हो सकता है। 

 सूत्र बता रहे हैं बहरहाल अभी मैडम भोपाल में है और किसी भी परिस्थिति में ट्रांसफर रुकवाकर पुनः प्राचार्य की कुर्सी हथियाने की जुगत में लगी है अब  देखना है कि कहां तक मैडम की सेटिंग बैठ पाती है ।।

*मंत्री के बंगले और आयुक्त के काटे चक्कर*

जन चर्चा है कि अब मेडिकल में अपना स्वास्थ लाभ लेकर राजधानी की सैर में निकली मैडम तो जुगत लगाने के लिए सरकारी बंगलो के आस पास  नजर आने लगीं ये कौन सा मेडिकल अवकाश है, खैर हम आते है, सरकारी बंगलो में जिन माननीयों के मैडम मनमानी रकम का वादा करने गयी थी, वो माननीय कैबिनेट की बैठक में थे और दो दिन की बड़ी मशक्कत के बाद जब माननीय मिले तो एक लॉलीपॉप दिया गया कि समन्यक समिति की बैठक में देखेंगे आपको अभी तत्काल पाली महाविद्यालय में अपनी आमद तो देनी होगी और बाद में देखते हैं, और यही जबाब आयुक्त महोदय के यहां से भी मैडम को मिला और साथ मे जॉइन न करने पड़ने अनुशाशन हीनता का पाठ याद दिलाया ,अब आनन फानन में मैडम भोपाल से अपने गृह निवास बुढ़ार आ चुकी हैं और लगता है कि जल्द ही पाली महाविद्यालय जॉइन करेंगी।

*छात्र कर सकते हैं आंदोलन*

वहीं जानकारी लगी कि दो दशकों से मैडम अपने पैर जमाये बैठी थी,और यह ट्रांसफर प्रशासनिक हुआ है इसलिए मैडम को अपनी सेवाओं के शासन की मंशा अनुसार कार्य स्थल में जाना चाहिए और क्योकि  छात्रों को यह भी सुनने आया कि यदि भाजपा की जगह किसी और कि सरकार होती तो मैं यहां से कभी नही हिल पाती, अब तो बात आ गयी सत्ता में बैठी हुई पार्टी की....?

इस बात को सुनकर भी छात्रो में भी जिद है कि मैडम को अब जाना पड़ेगा अन्यथा आंदोलन की स्थिति आएगी।

अब देखना यह है कि मैडम द्वारा मनमानी रकम काम आएगी या शासन की मंशा.....?

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