सौभाग्य योजना में भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी एवं ठेकेदारों को सजा होनी चाहिए- जनता यूनियन
अनूपपुर
मध्यप्रदेश विद्युत कर्मचारी जनता यूनियन के प्रांतीय महासचिव एम.एल. चौकसे तथा प्रांतीय प्रवक्ता मोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर मांग की है कि प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के अंतर्गत मण्डला, डिण्डौरी, सीधी, सिंगरौली, सतना एवं सागर जिले में विगत 2 वर्षों से चल रही जांच में उजागर 42 करोड़ के घपले में लिप्त 79 इंजीनियर अधिकारी एवं ठेकेदारों के नाम जनता के सामने लाये जायें तथा इनके विरूद्ध तुरंत थानों में एफ.आई.आर. करते हुये जेल के सलाखों की पीछे भेजा जाये।
*घपलेबाजों को बचाने का प्रयास*
कम्पनियों के एम. डी. द्वारा इस घपले को छुपाने में सहयोग प्रदान किया जा रहा है। म.प्र. विद्युत मण्डल की उत्तवर्ती कम्पनियों में कार्यरत् युनाईटेड फोरम नामक संस्था के द्वारा निजीकरण की आड़ में इन इंजीनियरों को बचाने हेतु कुछ कम्पनी प्रबंधकों के इशारे पर आंदोलन का स्वांग रचकर घपलेबाजों को बचाने का कार्य किया जा रहा है। अभी दिनांक 10 अगस्त 2021 को पूरे देश में कर्मचारियों एवं इंजीनियर्स की राष्ट्रीय समन्वय समिति ने एक दिवसीय हड़ताल की घोषणा की थी। किंतु 9 अगस्त 2021 को ऑल इंडिया इंजीनियर्स पावर फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने केन्द्र सरकार के झांसे में आकर एकतरफा ढंग से हड़ताल को वापस ले लिया।
*भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का षडयंत्र*
पूरे देश में आंदोलन स्थगित होने के बावजूद जबलपुर में युनाईटेड फोरम के द्वारा गुण्डागर्दी करते हुये कर्मचारियों को जबरन कार्यालय से बाहर निकालकर काम बंद करवाया गया। शासन एवं कम्पनी प्रबंधन का मौन बना रहना संदेह के घेरे में है। वर्तमान में इनके राट्रीय नेतृत्व के द्वारा आंदोलन का कोई कार्यक्रम घोषित न किये जाने के बावजूद इनके द्वारा 24, 25 एवं 26 अगस्त 2021 को पुन: कार्य बहिष्कार का आव्हान किया जा रहा है, यह केवल भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का षडयंत्र है। सौभाग्य योजना के अंतर्गत कार्यों में हुये भ्रष्टाचार की जांच शहडोल, उमरिया, अनूनपुर एवं रीवा जिले में भी चल रही है, जिसमें भी सैकड़ों करोड़ का घपला उजागर होना है।
*चहेते ठेकेदारों को काम देकर कमीशन खोरी*
श्री चौकसे ने बतलाया कि युनाईटेड फोरम मे द्वारा आउटसोर्स एवं संविता कर्मियों को नियमितीकरण का नारा देकर बरगलाया जा रहा है। इन्हीं इंजीनियरों के द्वारा जो कि उच्च पदों पर पदस्थ हैं, नियमित नियुक्ति के लिये निकाली गई भर्ती प्रक्रिया को परीक्षा लेने के उपरांत निरस्त कर प्रदेश के हजारों बेरोजगारों का मजाक उड़ाया जा रहा है। भर्ती के निरस्त करने के उपरांत उन्हीं पदों पर आउटसोर्स के माध्यम से अपने चहेते ठेकेदारों को काम देकर कमीशन खोरी को आसान बनाने का काम किया जा रहा है।
*उपभोक्ताओं की सेवाओं को करते प्रभावित*
म.प्र. में बिजली क्षेत्र के निजीकरण के विरुद्ध म.प्र.वि. कर्म. जनता यूनियन के द्वारा विगत सन् 1992 से लगातार आंदोलन के माध्यमों से आवाज उठाई जाती रही है। ऑल इंडिया इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाईज फेडरेशन के आव्हान पर आंदोलन प्रारंभ करते हुये 05 अक्टूबर 2020 को यूनियन के 70 से भी अधिक शाखाओं ने केन्द्रीय विद्युत मंत्री के नाम स्थानीय प्रबंधनों के माध्यम से ज्ञापन सौंपकर अपना विरोध दर्ज करवाया है। तत्पश्चात् 26 नवम्बर 2020 को एक दिवसीय राष्ट्रीय हड़ताल के आव्हान को सफल बनाने के लिये भी यूनियन के द्वारा पूरे प्रदेश में जनजागृति करते हुये अंतिम समय तक प्रयास किया गया। इस हड़ताल में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन भी शामिल था। किंतु म.प्र. में युनाईटेड फोरम के द्वारा हड़ताल में भाग न लेते हुये अपने आपको को अलग रखा। ये लोग उपभोक्ताओं की सेवाओं को प्रभावित कर रहे हैं, जिससे उपभोक्ताओं में भी असंतोष है और इससे उपभोक्ताओं का समर्थन निजीकरण के पक्ष में होता जा रहा है, जिसके कारण सरकार के मंसूबे पूर्ण होते नजर आ रहे हैं। जबकि होना यह चाहिये था कि घाटे में चल रही कम्पनियों को उबारने के लिये भ्रष्ट, बेईमानी पर रोक लगाने का संकल्प लेना चाहिये था।