प्रशासन के नाक के नीचे खुलेआम हो रही अवैध शराब की बिक्री और शराब की पैकारी
(आनंद पाण्डेय की रिपोर्ट)
इंट्रो- सूत्र बताते हैं कि शासन प्रशासन अवैध शराब बिक्री को समाप्त करने का पूरा प्रयास रही है लेकिन शासन का यह प्रयास बिजुरी नगर में विफल होते नजर आ रहा है। यहाँ ना तो अवैध शराब की बिक्री पर रोक लग पाई है और ना शराब की पैकारी करने वालों पर। क्षेत्र में रोजाना नए-नए शराब बिक्रेता पैदा होते जा रहे है और धड़ल्ले से नगर व आसपास के क्षेत्रों में जगह-जगह अवैध शराब की बिक्री रफ्तार पकड़े हुए है। आबकारी व पुलिस विभाग की तरफ से किसी भी प्रकार की कोई भी ठोस कार्यवाही नजर नहीं आ रही है। क्या शासन सरकारी शराब दुकानों के अधिक मुनाफे को देखकर अवैध शराब बेचने से लेकर शराब की पैकारी करने वालों को खुली छूट दे रखी है या फिर आबकारी और पुलिस की सांठगांठ से इस अवैध कारोबार को खुला संरक्षण मिल रहा है। जिसके फलतः नगर के गली, मोहल्ले, होटलों, ढाबो में खुलेआम शराब बेचने का सिलसिला लगातार जारी है।
अनूपपुर/बिजुरी
लगातार शिकायत एवं खबरों के प्रकाशन के बाबजूद अवैध शराब की बिक्री नगर व आसपास के क्षेत्रों में चरम पर है, ये घटना सीधे तौर पर आपराधिक लापरवाही है। ऊपर से नीचे तक, बिना किसी के मिलीभगत के इतने बड़े स्तर पर अवैध शराब का कारोबार क्या संभव है.? ऐसा नहीं है कि जहरीली शराब कहा से आती हैं जिले में अधिकारियों को पता न हो, और ऐसा भी नहीं है कि स्थानीय अधिकारियों से लेकर जिले में बैठे जिम्मेदारों तक को नहीं पता होता कि अवैध शराब का कारोबार कैसे फलता-फूलता रहता है। दर्जन भर गाँवों में अवैध शराब खुलेआम बिकने के कारण युवा नशे की लत में पड़ते जा रहे हैं और जिम्मेदार हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आए दिन मारपीट के मामले सामने आ रहे हैं, परिवारों में आपसी कलह देखी जा रही है जिसका मुख्य कारण शराब ही है।
*फल-फूल रहा शराब का कारोबार*
बीते वर्षो में पड़ोसी राज्य में शराब विक्रय का कार्य सरकार ने अपने हाथों ले लिया, जिससे वहाँ मांग बड़े पैमाने पर बढ़ गई। जिसका फायदा हमारे जिले के सीमावर्ती ठेकेदारों ने जमकर उठाया और पड़ोसी राज्य में घर पहुंच सेवा भी उपलब्ध कराई। क्षेत्र में खुलेआम अवैध शराब बिक्री को लेकर अधिकारियों को कई बार अवगत कराया गया, लेकिन इसके बावजूद विभाग के जिम्मेदार कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति करते हैं। वहीं अवैध कारोबारियों का गोरखधंधा जैसा चल रहा है, चलता रहता है। इसलिए इन्हें किसी की कोई परवाह नहीं है क्योंकि विभाग के जिम्मेदार भी इस गोरखधंधे में शामिल हैं और चंद सिक्को की खनक के आगे सब सही ही नजर आता है।
*यहाँ बिक रही है अवैध शराब*
जब से शराब ठेकेदार आनंद मोहन राय को बिजुरी शराब दुकानों का ठेका मिला है तब से उनके कौशल के परिणाम स्वरूप लगातार गली-गली शराब की बिक्री पेैकारी के माध्यम से जोरों पर है। शराब की पैकारी के माध्यम से बहेराबांध, सोमना, लोहसारा, मोहाड़ा दफाई, माइनस कॉलोनी, डबलस्टोरी, मौहरी, थानगांव एवं आसपास अन्य ग्रामीण इलाकों पर इन दिनों जोरो-सोरो पर पैकारी के माध्यम से शराब उपलब्ध कराकर समाज को छती पहुँचने का कार्य कर रहे हैं। वही ठेकेदार के द्वारा दो निजी वाहनों जिनका वाहन क्रमांक क्रमशः एमपी 65 बीबी 0384 बोलरो एवं यूपी 70 ए एक्स 6826 ओमनी के माध्यम से इन सभी जगहों पर अवैध शराब पहुँचाई जा रही है।
*नियमों का नही होता पालन*
शराब बिक्री को लेकर शासन ने तरह-तरह के नियम व मापदंड सुनिचित कर रखे थे लेकिन बिजुरी नगर की सरकारी शराब दुकानों में इन सभी नियमों का पालन नही हो रहा है, जिसका सीधा फायदा शराब ठेकेदार उठा रहा है। चूंकि नगर की देशी और अंग्रेजी शराब दुकान एक ही ठेकेदार की है तो अब चाहे हम देशी शराब की बात कहे या इंग्लिश शराब की, दोनों ही शराब की अवैध बिक्री रोजाना हो रही है। नगर के आसपास का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं बचा, जहाँ शराब ठेकेदार के आदमी बिना किसी रोक-टोक के धड़ल्ले से अपने स्वयं के वाहनों का उपयोग कर शराब ना पहोंचा रहे हों।
*अधिनियम की धारा-60 नहीं पर्याप्त*
अवैध शराब के कारोबार के फलने-फूलने की एक वजह ये भी है कि इसके लिए आबकारी अधिनियम की एक मात्र धारा-60 ही है, जिसमें मामला दर्ज होने पर आरोपियों को थाने से ही जमानत मिल जाती है। ऐसे मामलों में आईपीसी की धारा 272 का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, जिसमें सजा के कड़े प्रावधान हैं। इसके बावजूद ये धारा नहीं लगायी जाती, जिससे अवैध शराब का कारोबार खूब फलता फूलता है। मामले में दूसरी कमजोर कड़ी ये है कि आबकारी विभाग के पास संसाधन ही नहीं हैं। इसके साथ ही पुलिस और आबकारी विभाग के बीच सामंजस्य न होना भी अवैध शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाता है।
*डेढ़ गुने कीमत पर हो रही है बिक्री*
आजकल क्षेत्र में अवैध शराब बेचने वाले मुनाफे के चक्कर में शराब दुकान से ज्यादा मात्रा में शराब खरीद कर अधिक कीमत में बेचते है, जिससे शराब पीने वालों को सरकारी शराब दुकान के खुलने का इंतजार नही करना पड़ता है और बड़ी आसानी से शराब उपलब्ध हो जाती है। देशी शराब एक पाव 90 से 110 रुपये तक और इंग्लिश शराब भी अपनी कीमत से ज्यादा रुपयों में बेची जा रही है। जन चर्चाओं को मानें तो ज्यादा मुनाफे की होड़ में शराब ठेकेदार द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पैकारी के लिए अपने स्वयं के वाहनों और कर्मचारियों को लगा रखा है, जो शाम ढ़लते ही पूरे क्षेत्र में शराब परोसने का काम करते हैं।
*पड़ोसी राज्य तक पहुंच रही अवैध शराब*
शराब कारोबारी द्वारा जिम्मेदारों की चुप्पी का फायदा उठाते हुए पूरे क्षेत्र में अवैध शराब की बिक्री, पैकारी के नाम पर तो की जा रही साथ ही बिजुरी की शराब को पड़ोसी राज्य के मनेन्द्रगढ़ होते हुए नागपुर तक पहुंचाने का कार्य भी किया जा रहा है। रात होते ही कपिलधारा शराब दुकान से कॉलोनी के पीछे वाले रस्ते के जरिए से शराब का जखीरा पड़ोसी राज्य में भेजा जाता है। जन चर्चाओं की मानें तो मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ का बॉर्डर होने के फायदा शराब ठेकेदार को सीधे तौर पर मिल रहा है। जिससे यह स्पष्ट होता है कि आबकारी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते स्थानीय लाइसेंसी शराब ठेकेदार आनंद मोहन राय व उनके गुर्गों के माध्यम से ही अवैध शराब की बिक्री करवाई जा रही है।