फील्ड अफसर और दलाल की जुगलबंदी, रजाई ओढ़कर खा रहे घी, लुट रहे ग्राहक
इंट्रो - कोतमा बैंक के फील्ड अफसर और रिकवरी एजेंट का चोला ओढ़कर सुमान की जुगलजोडी से व्यापार फलफूल रहा है बैंक दलाली का कारोबार, एजेंट की उमरिया जिले के बैंको तक ऊंची पहुंच पकड़, फील्ड अफसर और रिकवरी एजेंट कई दलालों को पाल रखा सूदखोरी और बैंक दलाली के कारोबार में, बैंक फील्ड अफसर का हाथ दलालों के साथ
अनूपपुर/कोतमा
जिले के कोयलांचल क्षेत्र में मकड़ी के जाल की तरह चारो ओर बैंक दलाल व सूदखोर का कारोबार फैला हुआ हैं,बैंक खुलते ही बैंक दलालों का जमावड़ा बैंक परिसर के अंदर एवम बैंक के इर्द गिर्द लगा रहता है। कुछ कालरी कर्मचारी धोखे से भी इनके झांसे में आ जाते हैं तो 15 से 20% ब्याज पर पैसे देकर ब्याज सूदखोरी का व्यवसाय करके कॉलरी कर्मचारी से ठगी की जाती है है। बैंक दलाल व सूदखोर ब्याज में पैसे देकर चक्रवृद्धि ब्याज तक जोड़ी जाती है जिससे जीवनभर कालरी कर्मचारी बैंक दलालों के चंगुल से छूटकरा नही मिल पाता है,जमुना, कोतमा, कोतमा कॉलरी भालूमाड़ा में बैंक दलाल अनपढ़, सीधे-साधे, अशिक्षित कॉलरी कर्मचारियों को आज अपना शिकार बना रहे हैं बैंक दलाल व सूदखोर कॉलरी कर्मचारी का एटीएम,पास बुक, आधार कार्ड, हस्ताक्षर किया हुआ ब्लैंक चेक गिरवी यह सब कुछ कर लिया जाता है। कॉलरी कर्मचारी 8 घंटे मौत के साए में कोयले की खदान पर खून पसीना बहाकर अपना एवम अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए मेहनत करता है लेकिन जैसे ही कालरी कर्मचारी का वेतन खाते में चढ़ने की जानकारी कुछ बैंक के कर्मचारी सूदखोरों को दे देते हैं।जिससे आनन फानन में बैंक या एटीएम से पैसे उनके खाते से सुदखोर व बैंक दलाल निकालकर डकार जाते हैं और इसकी जानकारी तक खाताधारको को नहीं लगती। खाते में चंद पैसे न होने पर मजबूर हो कर बैंक दलालों के शरण में अपने व अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए जा पहुंचते हैं और उन्हें चंद पैसे देकर कर्ज के तले इतना दबा दिया जाता है कि उम्र भर कर्ज से मुक्त नहीं हो पाते और अंततः मौत को गले लगा लेते हैं।
*बैंक बना दलालों का अड्डा*
विगत वर्षो में भारतीय स्टेट बैंक कोतमा में बैंक दलालों व सूदखोरों का बोलबाला बैंक खुलने से लेकर बैंक बंद होने तक देखते बनता है, बैंक दलाल बैंक से लोन कराने के नाम पर लाखो लाखो रुपए खाताधरको से हेरा फेरी कर ऐठ लिया जाता है।बैंक दलाल 1 लाख रुपए का लोन कराने पर 10 से 30 हजार रूपए तक साहब एवम अपने कागजी खर्चे के साथ साथ मधुशाला के नाम पर लेकर कालरी कर्मचारी की खून पसीने की कमाई लूटी जा रही है।यदि कोई व्यक्ति 5 लाख से लेकर 15 लाख रुपए विवाह, मकान निर्माण या व्यवसाय के लिए लेता है तो बैंक दलाल अपने माध्यम से कराने के नाम पर लगभग 2 से 3 लाख रुपए सीधे सीधे डकार जाते हैं।
*चिन्हित दलालों पर मेहरबान*
भारतीय स्टेट बैंक कोतमा में चिन्हित बैंक दलाल एवम सूदखोर 24 घंटे सक्रिय हैं कोतमा बैंक भर ही नहीं उसके अलावा कई चिन्हित बैंक दलाल सक्रिय हैं। कोतमा बैंक में रिकवरी एजेंट बनकर बैंक खुलने से बैंक बंद होने तक बना रहता है और अच्छा खासा सूदखोरी का व्यवसाय फैला रखा है,कोतमा में यदि कोई भी साधारण व्यक्ति लोन कराने के लिए जाता है तो उस व्यक्ति का लोन तब तक नहीं होता जब तक सुमान सिद्दीकी के शरण में नही जाता और फील्ड अफसर एवम लोन संबंधित बैंक अधिकारी उसे दौड़ते रहते हैं और कुछ अधिकारी सलाह देते हैं कि एजेंट से मिल लो आपका लोन फटाफट पास हो जाएगा। जब स्वयं बैंक के कुछ जिम्मेदार अधिकारी ही बैंक दलाल के शरण में जाने की सलाह देते हैं। बैंक दलाल रिकवरी एजेंट का चोला ओढ़कर पर्दे के पीछे रहकर जोर शोर से लोन और सूदखोरी का काम कर रहा है ऐसा नहीं है कि एजेंट बैंक में दलाली और सूदखोरी करने की जानकारी बैंक प्रबंधक और पुलिस प्रशासन को नहीं है लेकिन एजेंट की ऊंची पहुंच पकड़ के आगे उसकी बैंक दलाली और सूदखोरी के काम पर पर्दा डाला जाता है। वही बैंक दलाल अपने आप को पाक साफ बताकर दूसरे दलालों की जानकारी अपने शुभचिंतकों के माध्यम से सोशल मीडिया पर पोस्ट चलवाकर बदनाम कर अपने काले कारनामों पर पर्दा डाला जाता है। कोतमा बैंक में लगे सीसी कैमरे की यदि जांच हो जाए तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा कि कैसे खाताधारकों से बैंक दलाली व सूदखोरी का खेल चरम पर चल रहा है।
*इनका कहना है*
मैं अभी छुट्टी पर हूं, दलाली की मुझे जानकारी नहीं है।
*शिव प्रसाद, एसबीआई, शाखा प्रबंधक कोतमा*
लगातार सूचना मिल रही है कि एसबीआई कोतमा में कुछ लोग बैंक दलाली और सूदखोरी का कार्य कर रहे हैं, जल्द ही अभियान चलाकर कार्यवाही की जायेगी।
*राकेश बैस थाना प्रभारी कोतमा*