माँ का दूध अमृत हैं, आंगनबाड़ी में मनाया गया स्तनपान दिवस
अनूपपुर
आज दिनांक 2 अगस्त 2021 विश्व स्तनपान दिवस के अवसर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अफसाना बेगम के द्वारा आंगनवाड़ी केंद्र चिल्हारी क्रमांक एक में विश्व स्तनपान दिवस मनाया गया गर्भवती एवं धात्री माताओं को स्तनपान के महत्व के बारे में समझाया गया। एवं ग्राम पंचायत चिल्हारी में लग रहे कोविड-19 वैक्सीन के बारे में लोगों को जागरूक कर वैक्सीनेशन कराया गया। महिलाओं को कोरोना के बचाव के लिये जागरूक किया गया।
*माँ का दूध अमृत*
मां का दूध बच्चे के लिए अमृत से कम नहीं है। इसके बाद भी महिलाएं भ्रांतियों के चलते अपने बच्चे को स्तनपान कराने से कतराती हैं। मां की बदलती सोच बच्चे के स्वास्थ्य पर असर डालती है। चिकित्सक जन्म के बाद बच्चों को मां का दूध पिलवाते हैं। इसके बाद भी कम से कम छह माह तक बच्चे को मां का दूध पिलाने की सलाह देते हैं, लेकिन महिलाएं इस सलाह पर अमल नहीं कर पाती है।
विश्व स्तनपान दिवस एक सप्ताह तक चलाया जाता है। सभी महिलाओं को स्तनपान के प्रति जागरूक किया जाएगा। इसके अलावा आशाएं और आंगनवाड़ी गांवों में जाकर कोरोना के साथ-साथ स्तनपान के प्रति जागरूक करेंगी
*क्या कहते हैं चिकित्सक*
चिकित्सकों की माने तो अधिकांश माताएं कुछ दिन बाद ही बच्चे को अपना दूध पिलाना बंद कर देती हैं। वह बच्चे को या तो बाजार का डिब्बा बंद दूध देना शुरू कर देती हैं या फिर गाय या भैंस के दूध से काम चलाती हैं, जबकि बच्चे को पैदा होने के छह माह तक स्तनपान कराना चाहिए। स्तनपान के महत्व को देखते हुए प्रति वर्ष 1 अगस्त को विश्व स्तनपान दिवस का आयोजन किया जाता है।
*स्तनपान के यह हैं लाभ*
बच्चे को डायरिया जैसे रोग की संभावना कम हो जाती है। मां के दूध में मौजूद तत्व बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।स्तनपान कराने से मां व बच्चे के मध्य भावनात्मक लगाव बढ़ता है। मां का दूध न मिलने पर बच्चे में कुपोषण व सूखा रोग की संभावना बढ़ जाती है। स्तनपान से मां को स्तन कैंसर की संभावना भी कम हो जाती है। मां का दूध पीने वाले बच्चे का तेजी से विकास होता है।
*क्या कहती हैं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता*
बच्चे को जन्म से कम से कम छह माह तक मां का दूध पिलाना चाहिए, जिससे बच्चे को पर्याप्त पोषक तत्व मिल जाते हैं। इसी महत्व को बताने और महिलाओं को जागरूक करने के लिए एक अगस्त से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान दिवस मनाया जाता है। कोरोना के चलते अस्पताल में आने वाली मां को इसके प्रति जागरूक किया जाएगा। इसके अलावा आशा-आंगनवाड़ी गांवों में जाकर महिलाओं को जागरूक करेंगी।