अकादमिक लेखन विधा के लिए वरदान साबित होगा ग्रामर सॉफ्टवेयर-प्रकाश मणि त्रिपाठी
अनूपपुर
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के प्रो. राम दयाल मुंडा केंद्रीय पुस्तकालय द्वारा 21 अगस्त 2021 को "ग्रामर के साथ अकादमिक लेखन और अनुसंधान अवदान में सुधार" विषय पर एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी के मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक सम्पन हुआ।
कुलपति, प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा इस ऑनलाइन वेबिनार का उद्घाटन किया गया और "अकादमिक लेखन आदि में ग्रामर के महत्व और उसकी उपयोगिता पर सारगर्भित व्याख्यान दिया" अपने उद्बोधन में कुलपति जी ने शोध औरअकादमिक लेखन के लिए ग्रामर सॉफ्टवेयर के उपयोग पर जोर दिया।
जिससे लेखनी में शुद्धता के साथ-साथ साहित्यिक चोरी की समस्या से निजात पाई जा सकती है। आज तकनीकी ज्ञान के बिना अनुसंधान अधूरा है। वैश्विक फलक पर अनुसंधान के माध्यम से पहचान बनाने के लिए वरदान साबित होगा यह ग्रामर सॉफ्टवेयर।
इस अवसर पर डॉ. शंकर रेड्डी कोल्ले, (वेबिनार संयोजक) ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और वेबिनार के विषय की रूपरेखा रखी।
आज के वक्ता श्री रतीश अय्यर (महाप्रबंधक, ब्रिज पीपल टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरु) ने ग्रामरली सॉफ्टवेयर के चरणबद्ध उपयोग पर चर्चा की। उन्होंने विस्तार से बताया कि वैश्विक मानकों के अनुसार प्रभावी ढंग से लिखने के लिए ग्रामर के विभिन्न विकल्पों का उपयोग कैसे करें। उन्होंने विश्व में ग्रामर का उपयोग करने के लिए प्लगरिसिम के बारे में भी चर्चा की। इसका लाभ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, के मुख्य परिसर - अमरकंटक और आरसीएम परिसर - मणिपुर के संकाय अनुसंधान विद्वानों और छात्रों के साथ-साथ अन्य प्रतिभागियों ने उठाया और विषय से संबंधित प्रश्नों और मुद्दों को रखा।
आज के वेबिनार में प्रो. राकेश सिंह (डीन, सामाजिक विज्ञान संकाय) प्रो. एन.एस.एच.एन. मूर्ति (डीन, फार्मेसी संकाय), प्रो. एन.जी. नागलिंगम (निदेशक, IGNTU-RCM), प्रो. शमीम अहमद, प्रो. अनुपम शर्मा के अतिरिक्त विश्विद्यालय के मुख्य परिसर और आरसीएम परिसर के विभिन्न विभागों के कई छात्रों, शोधार्थियों और शिक्षकों ने भाग लिया। अंत में श्री मोहित गर्ग (वेबिनार सह-संयोजक) ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। वेबिनार को सफल बनाने में श्री आलोक कुमार और अन्य पुस्तकालय कर्मचारियों के साथ श्री गौरव सिंह ने तकनीकी सहायता प्रदान की।