क्या महाविद्यालय के प्राचार्य भ्रष्टाचार छुपाने के लिए नही दे रहे हैं जानकारी?
*सब पर थे भारी अब सूचना अधिकार पर भारी परमानंद तिवारी*
अनुपपुर
तुलसी कालेज के प्रभारी प्राचार्य परमानंद तिवारी तानाशाह के लिए जाने जाते थे हमेशा चर्चाओं में रहने वाले ये महाशय अब प्राचार्य नही रहे उनका स्थानांतरण हरसूद हो गया है। महाविद्यालय के बच्चों की जनभागीदारी शुल्क बढ़ाकर खजाना भरने वाले, तुलसी महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य परमानंद तिवारी शायद अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए? लोगों के सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी नहीं दी उन्हें यह डर है कि उनके किये गए वित्तीय भ्रष्टाचार उजागर न हो जाये,
*नहीं दी जानकारी*
आवेदक विवेक यादव ने तुलसी महा विद्यालय में सूचना के अधिकार के तहत नियमित दो बिंदुओं की जानकारी के लिए आवेदन किया था, लेकिन आज लगभग 40 दिन बीत जाने के बाद भी आवेदक को जानकारी उपलब्ध नही कराई गई। आवेदक को महा विद्यालय के कई चक्कर लगवाए गए । और दिन दिन बाद जानकारी ले जाने का हर बार मौखिक बाते कहते रहे है।
*शुल्क कराया जमा*
आवेदक विवेक कुमार यादव द्वारा महाविद्यालय में 21 जून 2021 को सूचना के अधिकार के तहत आवेदन किया था जिसके बाद महाविद्यालय द्वारा जानकारी देने के नाम पर पत्र क्रमांक 558 / स्था/ 2021 दिनांक 13 / 07/2022 को पत्र भेजकर आवेदक विवेक कुमार यादव को 220 रु शुल्क महा विद्यालय में जमा कर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त करने को कहा गया जिस पर आवेदक विवेक कुमार यादव द्वारा जानकारी प्राप्त करने के लिए 220 रु महाविद्यालय में जमा कर प्रबंधक समिति की रसीद प्राप्त की गई।
*सूचना अधिकार का उल्लंघन*
सूचना का अधिकार कानून का प्रभारी प्राचार्य खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं जो लोग कॉलेज में हुए भ्रष्टाचार की जानकारी मागते है उन सभी लोगो को गोल गोल घुमाते रहते हैं और जब जान जाते की अब दाल नही गलने वाली तो अनाप शनाप रुपये जमा करवा लेते हैं और फिर जानकारी देने के नाम पर महीनों चक्कर लगवाते रहते है मगर जानकारी नही देते इनके हिसाब से ये खुद ही सूचना का अधिकार है जो मैं चाहूंगा वही होगा।