एमपीआरडीसी व वाटरशेड की लापरवाही से आवागमन हुआ ठप्प- आशुतोष सिंह

 किरर घाट धसकने से रीवा अमरकंटक मार्ग हुआ अवरुद्ध।

एमपीआरडीसी व वाटरशेड की लापरवाही से आवागमन हुआ ठप्प- आशुतोष सिंह


इंट्रो:--  रीवा अमरकंटक मार्ग में पड़ने वाले जिले के किरर घाट में पहाड़ खिसकने से मुख्य सड़क मार्ग बन्द हो गया है। तेज बारिश की वजह से पहाड़ी मलवा सड़कों में आ गिरा व पानी के बहाव से सड़क टूट गई जिससे 8 जुलाई को देर रात तक जाम की स्थिति बनी रही और सैकड़ों लोग जाम में फंसे गए जिन्हें प्रसासन की मदद से देर रात निकाला गया वर्तमान में सड़क मार्ग को अनिश्चित काल के लिए बन्द कर दिया गया है।

अनूपपुर

जिले के कोतवाली व राजेंद्रग्राम सीमावर्ती क्षेत्र जो रीवा अमरकंटक मुख्य सडक मार्ग में पड़ने वाले किरर घाट के नाम से जाना जाता है में बीते दिनांक 8 जुलाई की साम करीब 7 बजे तेज बारिश की वजह से 3 जगह से बन्द हो गया, कारण दो जगह से पानी के बहाव के साथ पहाड़ी मलवा ऊपर की सड़क मोड़ को तोड़ते हुए नीचे सड़क पर आ गिरा जिससे सड़क मार्ग बंद हो गया, सैकड़ों लोग जाम में फंस गए जिन्हें प्रशासन की मदद से देर रात बाहर निकाला गया। वर्तमान में दोनो छोर पर बेरिगेटिंग लगा कर उक्त सड़क मार्ग को बंद कर वैकल्पिक रास्ता जैतहरी होते हुए निर्धारित किया गया है। विभागों की बयान बाजी अपनी राग अपनी डफली बजाने वाली बनी हुई है जबकि घटना का वास्तविक कारण एमपीआरडीसी व वाटर सेड के कर्मचारियों की लापरवाही है जिससे ध्यान भटकाने के लिए तरह तरह की बातें परोसी जा रही हैं।

*ऐसे हुआ हादसा*

किरर घाट की सड़क पूर्व में एमपीआरडीसी विभाग द्वारा बनाई गई है जिसका रखरखाव का जिम्मा भी वर्तमार में उक्त विभाग के पास है। इस मार्ग में पड़ने वाले शिद्ध बाबा मोड़ के पास पिछले दो वर्षों से मार्ग टूटा हुआ है जिसकी मरम्मत नही करवाई गई, ज्ञात हो कि ये वही जगह है जँहा से घटना दिनांक को पहाड़ स्खलित होकर सड़क मार्ग को अवरुद्ध किया है, घटना की मुख्य वजह वाटर सेड भी है, मई माह में किरर घाट मिडवे ट्रीट के पास 5 लाख 5 हजार रुपए की लागत से बांध का निर्माण कराया गया जिसकी मुख्य दीवाल घटना दिनांक को टूट गई और बांध में भरा पानी मलवा लिए अचानक सड़क पर आ गया और सड़क को दो जगह से तोड़ता हुआ नीचे की सड़क पर जा गिरा जिससे सड़क मार्ग में जाम लगा गया और लोग घण्टो परेशान होते रहे।

*उठे सवालों का देगा कौन जवाब*

वाटर सेड के द्वारा बनाए गए टूटे बांध पर कई सवाल उठना लाजमी है जो जागरूक जनो द्वारा उठाए भी जा रहे हैं। स्थल चयन, दीवाल का कम्पेक्सन, इंजीनितर की ड्राइंग, जल भराव जैसे महत्वपूर्ण विषय पर ध्यान क्यों नही दिया गया ? किसी भी बांध के निर्माण से पहले बहुत से पहलुओं पर गौर करना सम्बंधित विभाग का कार्य होता है, जिसका पालन उचित मापदंड से नही हो पाने से गम्भीर नुकसान हुआ है, घटना की भरपाई व जिम्मेवारी वाटरशेड विभाग को उठानी चाहिए। बहरहाल यह शासन प्रसासन सहित विभागीय मामला है। मरम्मत किस मद से होगा, दोषियों पर कैसी कार्यवाहियां होती हैं यह सवाल दस्तावेजी धूल की परतों में दफन होता है या सर्वजनिक यह भविष्य की गर्त पर छुपा हुआ है।

*विकास कार्य पर पड़ेगा असर*

किरर घाट का बीते दिनांक टूट जाने से पुष्पराजगढ़ जनपद पंचायत में चल रहे विकास कार्यों पर जमकर असर आगामी दिनों दिखाई देगा तो दूसरी तरफ महंगाई की मार जोरदार तरीके से जंनता को भुगतना पड़ेगा। विसेसज्ञों की माने तो छतिग्रस्त मार्ग को पूर्णतः ठीक होने में 30 से 45 दिन लगेंगे जब तक भारी वाहन उक्त मार्ग से आवागमन नही कर सकते इसका सीधा असर पीएम आवास, पुलिया निर्माण, कांक्रीट सड़क सहित अन्य निर्माण कारों में प्रत्यक्ष रूप से महंगाई बढ़ने के रूप में दिखाई देगा। चूंकि पुष्पराजगढ़ में ईंट, रेत, सीमेंट, छड़ सहित अन्य उपयोगी वस्तुओं का परिवहन उक्त मार्ग से वर्षो से होता आया है। इतना ही नही अनूपपुर आवागमन के लिए परिवर्तित रास्ते से आने वालों पर पेट्रोल डीजल की अतिरिक्त मार पड़ेगी साथ ही समय का भी नुकसान होगा। इन सभी की भरपाई जंनता की गाढ़ी कमाई के टेक्स से पूरी होगी या जिम्मेवारो से यह सोचनीय प्रश्न स्वयं ही मुँह बाएं खड़ा है।

*इनका कहना है*

मामले की जांच करवाई जाएगी और जांच में यदि कोई दोसी पाया जाता है तो कार्यवाही की जाएगी।

*मिलन्द नगदवे जिला पंचायत सीईओ अनूपपुर*

यह सड़क हमारे विभाग की नही है किंतु एक अनुमान के तहत एक से डेढ़ माह का समय पूरी तरह मरम्मत होने में लग सकता है।

*पंकज बागरी एसडीओ पीडब्ल्यूडी पुष्पराजगढ़*

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