गुरु पूर्णिमा के अवसर पर वंदना खरे एवं अर्पणा दुबे की छोटी सी कविता

*गुरु पूर्णिमा की आप सबको बहुत बहुत शुभकामनाएं*

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर वंदना खरे एवं अर्पणा दुबे की छोटी सी कविता


गुरु का करुंँ कितना बखान,

 कम ही रहेगा ।

गुरु रखता नींव अपने ज्ञान से,

 करते  शिक्षा का प्रसार 

हे निर्माता कहते हैं ऐसा सभी ,

अंधेरे कितने भी हो जीवन में ,

प्रकाश बन जाते गुरु ,

दुख सारे वह दूर करते ,

खुशियाँ लाते जीवन में,

 सच्चाई के मार्ग पर चलना ,

हम को सिखलाते गुरु,

ज्ञान के भंडार होते हैं गुरु,

परेशानियाँ छूमंतर हो जाती,

 जब ज्ञान की गंगा बहाते हैं गुरु,

कमजोर जब हम पड जाएंँ,

 ज्ञान का दीप जलाते हैं  ,

भटके हुए को राह दिखाते  ,

 अंधकार को मिटा जीवन से,

 उजाला लाते हैं ,

 अज्ञानता का नाश कर ,

ज्ञान की गंगा बहाते हैं  ,

अपने अनुभवों से हमें ,

सत मार्ग पर चलना सिखलाते हैं,

पावन संदेश सुनाते हैं गुरु ।।


*वंदना खरे मुक्त  चचाई जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश*


गुरु पूर्णिमा


धरती पे सुख सारे,

आप ही तो दिए मुझे,

संस्कार भी दिए आप, ज्ञान मंत्र जाप से।


सिर पे हैं हाथ रखे,

कष्ट नहीं आज मुझे,

उर का अंधेरा दूर, किए निज ताप से।


गुरु ही तो धन्य होते,

करते विकार दूर,

शिष्य का हुआ सदैव, सत्य पथ आपसे।।


बनी रहे कृपा यदि,

आपकी हमारे साथ,

जीत लूं जहान सारा, आपके प्रताप से।


*अर्पणा दुबे अनूपपुर मध्यप्रदेश*

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