सर्व शिक्षा अभियान खेल इंडिया खिले इंडिया योजना में जिम्मेदारों ने खेला बड़ा खेल

सर्व शिक्षा अभियान खेल इंडिया खिले इंडिया योजना में जिम्मेदारों ने खेला बड़ा खेल

बच्चों को मुफ्त खेल शिक्षा मुहैया कराने के नाम पर करोड़ों का बंदरबांट


इन्ट्रो- बच्चों की प्रतिभा को निखारने शासन द्वारा खेल इण्डिया खिले इण्डिया योजना लागू की जिससे बच्चों की छिपी प्रतिभा को वह मुकाम मिल सके जिससे देश प्रदेश मे उसका नाम रोशन होने के साथ ही क्षेत्र का भी नाम रोशन हो, लेकिन बच्चों की प्रतिभा को निखारने मे भी जिम्मेदारों ने यहां कमाई का अवसर तलाश लिया तभी तो जिले मे आये करोड़ों रूपये का वारा न्यारा बिना किसी हिसाब किताब के जिम्मेदारों ने कर दिया और किसी को कानो कान खबर तक नही हुई। अब जब इस पर हुये भ्रष्टाचार की परतें उखड़ने लगी तो एक दूसरे पर आरोप लगाकर भ्रष्टाचारी अपने आपको हरिश्चंद्र बता रहे हैं।

अनूपपुर

सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई के साथ ही बेहतर खिलाड़ी बनाने के लिए भी प्रयास हों। मानव संसाधन विकास विभाग ने देश में खेले जाने वाले सभी खेलों की एक मजबूत संरचना बनाने के लिए खेलो इंडिया, खिले इंडिया अभियान शुरू किया। इसमें स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अपनी पसंद के खेल में भाग लेंगे। इस अभियान को सफल बनाने राज्य शिक्षा केंद्र ने भी प्रयास शुरू कर दिए हैं, किन्तु जिले में बैठे अधिकारियों ने योजना में पलीता लगाते हुए बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दे दिया।

*क्या थी योजना*

संचालक राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा जारी पत्र के अनुसार इसके लिए सभी प्राथमिक विद्यालयों को पांच हजार, उच्च प्राथमिक विद्यालयों को दस हजार रुपए, प्रदान किए गए हैं। इस धनराशि से विद्यालयों में खेल सामग्री खरीदी जाएगी, लेकिन यह खेल सामग्री स्कूलों की भौतिक स्थिति जैसे मैदान एवं स्कूल में पहले से मौजूद खेल सामग्री के आधार पर किया जाना है। इसके तहत यदि किसी स्कूल में मैदान नहीं है, तो क्रिकेट की सामग्री न खरीदी जाए। खेल सामग्री उपलब्ध कराने के पीछे विभाग का उद्देश्य स्कूलों में छिपी प्रतिभाएं सामने लाने का है। आदेश के साथ खेल सामग्री की सूची भी भेजी गई है। आदेश में साफ किया गया है कि क्षेत्रीय खेलों के लिए सामग्री खरीदी जा सकती है। खेल सामग्री के उपयोग एवं देखरेख के अतिरिक्त मैदान में खेलते समय बच्चों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी खेल शिक्षक और शिक्षकों की होगी। खेलों के लिए लकड़ी और प्लास्टिक क्रिकेट बैट, क्रिकेट स्टंप, सॉफ्ट बाल, टेनिस बाल, प्लास्टिक बाल, फुटबाल, बास्केबाल आदि की खरीदी की जा सकती है।

*विद्यालयों में रिक्त है खेल शिक्षक का पद*

विद्यालयों में खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभाग ने योजना तो बना ली है, लेकिन धरातल पर इसमें कई खामियां सामने आ रही हैं। अधिकांश सरकारी स्कूलों में खेल प्रशिक्षकों के अभाव से विभाग की कवायद सिर्फ औपचारिक बनकर रह जाएगी। शासकीय हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूलों में पद संरचना के अनुसार खेल शिक्षकों के पद खाली है। वर्षों से स्कूलों में खेल प्रशिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को खेलों को जोड़ने के लिए खेल प्रशिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अधिकांश स्कूलों में बिना प्रशिक्षकों के बच्चे खुद ही खेलते हैं। विद्यार्थियों को सही प्रशिक्षण नहीं मिल पाता है। वहीं बच्चों को खेलने के लिए मैदान का अभाव खल रहा है। जिले की कई प्राथमिक व माध्यमिक शालाएं ऐसी हैं जिनके पास खेल का मैदान नहीं है।

*कैसे हो गया खेल*

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना 'खेले इंडिया खिले इंडिया' में बड़े फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ है। 14 साल तक की उम्र के  बच्चों को मुफ्त खेल शिक्षा मुहैया कराने के नाम पर लगभग 1 करोड़ रुपये की बड़ी रकम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। जिले में 1153 प्राथमिक विद्यालय व 356 माध्यमिक विद्यालय है इस योजना के लिए जिले को लगभग एक करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ था जिसमे खरीदी का जिम्मा स्कूल प्रबंधन समिति को दिया गया था किंतु जिले में ऐसा न कर सीधे जन शिक्षक के माध्यम से खेल सामग्रियों को स्कूल तक पहुचा दिया गया और भुगतान भी वही से करा दिया गया इस पूरे मामले में मध्यप्रदेश भंडार क्रय नियम का खुला उलंघन किया गया इस खेल में अब कौन कौन अधिकारी शामिल हैं और किसकी शह पर इतने बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया यह तो जांच के बाद ही सामने आ पाएगा।

*एक दूसरे पर लगा रहे आरोप*

यहां यह बात रोचक है कि जब सरकार द्वारा खेल इण्डिया खिले इण्डिया योजना लागू की गई तो इस पर कमाई का अवसर तलाशकर जिम्मेदार अपने हिसाब से पैसों को तितर बितर करने मे थोड़ी भी देरी नही की और न ही हिचकिचाये और जैसे तैसे योजना के लाभ का कोरम पूरा कर अवैध रूप से पैसों का बंदरबांट कर अपना अपना हिस्सा ले लिये। अब जब भ्रष्टाचार की परतें खुलनी शुरू हुई तो किसी के द्वारा देखा देखी कर अपनी जिम्मेदारी निभाई तो किसी ने इस बारे मे विशेष जानकारी न होने के बाद भी मनचाहा आदेश देकर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर ली जबकि सभी जिम्मेदारों को विभाग मे आई योजना के हर पहलूू की जानकारी है, लेकिन अपने आपको बचाने एक दूसरे पर आरोप मढ़कर भ्रष्टाचार से दूर रहने का आडंबर किया जा रहा है।

*इनका कहना है*

1.  जिला कार्यालय से मौखिक आदेश मिला था। उस आधार पर पीएस, एमएस में खेल सामग्री को भेज दिया गया। 

*राम प्रकाश पटेल जन शिक्षक, अनूपपुर*

2.  बिजुरी से व्यापारी अर्णव बिल्डकॉन का फोन आया था कि हम खेल सामग्री सप्लाई कर रहे है। जन शिक्षक को हमने यही बताया था। 

*डीआर बांधव बीआरसी, जैतहरी*

3.  गोयनका समेत अनूपपुर जिले के दुकानदार ने ये सप्लाई की थी तो हमने भी बजट के आधार पर खेल सामग्री खरीदने को बोल दिया। 

*हेमंत खैरवार, डीपीसी, सर्व शिक्षा अभियान*

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