स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ डिफ्टी एमईआईओ के भ्रष्टाचार पर्दा डाल रहा लिपिक

स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ डिफ्टी एमईआईओ के भ्रष्टाचार पर्दा डाल रहा लिपिक

भारत सरकार के रजिस्टर्ड टिकिट को कार्यालयीन पत्र के माध्यम से किया अमान्य


अनूपपुर/ 

जिले के स्वास्थ्य विभाग में कई वर्षों से भर्ष्टाचार की कुंडली मारे बैठे मीडिया अधिकारी के पी सिंह के द्वारा लगातार भर्ष्टाचार पर भ्रष्टाचार किये जाने के आरोप लगने के बाद भी बाज नही आ रहे मीडिया अधिकारी के द्वारा विगत 26 जनवरी 2021 को 2 छोटे छोटे फ्लेक्स लगाकर सरकारी वाहन में प्रचार रथ के प्रदर्शन को लेकर सरकारी पैसे का बंदरबांट करते हुए फर्जी बिल लगाकर भुगतान किए जाने का मामला सामने आया था ।

जिसके प्रमाणन को लेकर आरटीआईआई कार्यकर्ता के द्वारा आवेदन प्रस्तुत कर शासन द्वारा बनाये गये सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के पालन में किये गए भृष्टाचार की पुष्टि के संबंध में जानकारी मांगी गई थी ।आवेदक द्वारा प्रस्तुत आवेदन के बाद विभाग के निकम्मे कर्मचारियों के द्वारा शासन द्वारा बनाये गये अधिनियम को भ्रष्टाचार छिपाने की नीयत से भारत सरकार द्वारा जारी रजिस्टर्ड टिकिट स्पेशल एडहेसिव तक को अमान्य लिखकर विभाग में पदस्थ मुख्य लिपिक चंदूपाव के द्वारा मीडिया अधिकारी के पी सिंह के द्वारा किये गए भृष्टाचार पर पर्दा डाल दिया गया ।

जबकि भारत देश के न्यायायिक प्रक्रिया कानून का मानना है की अपराधी को शरण देने वाला अपराधी कहलाता है। लेकिन यहां के स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ ऐसे शातिर है कि इनके द्वारा लगातार शासन के नियम कानून को दरकिनार कर सरकारी पैसे की होली खेली जा रही है। इतना ही नहीं स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ मीडिया अधिकारी के पी सिंह के द्वारा जिले में प्रवेश होने से लेकर आज दिनांक तक अपने साथी दिमाग के कारण भ्रष्टाचार का पहाड़ बना दिया गया इनके द्वारा पूर्व में भी कई बार समाचार पत्रों के माध्यम से किये गए काली करतूतों से आम जनता सहित शासन प्रशासन  तक पहुंचाया जा चुका है।ज्ञातव्य है कि मीडिया अधिकारी के पी सिंह के द्वारा पुअर में भी नियम - कानून को दर किनार करते हुए अपनी छवि बनी रहे को लेकर शासकीय राशि का दुरूपयोग लगातार किया गया है , जबकि मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रदेश के प्रत्येक जिले में प्रचार प्रसार के लिए डिफ्टीई एम आई ओ की पदस्थापना की जाती है करण की विभाग के समस्त योजनाओं का प्रचार-प्रसार हो सके एवं आमजन को उसका भरपूर लाभ मिल सके लेकिन के पी सिंह केवल अपने लाभ के लिए शासन द्वारा दी जाने वाली प्रचार-प्रसार की राशि का भी बंदरबांट कर लिया जाता है। उक्त व्यक्ति के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार में पर्दा डालने के लिए विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी भी अपना सहयोग देने में कोताही नहीं करते। लगभग 4 वर्षों से देखा जा रहा कि के पी सिंह रीवा जिले के निवासी बता कर आए दिन बिना अधिकारियों एवं जिम्मेदारों को सूचना के ही भग जाते हैं। यह अपनी मर्जी मुताबिक विभाग चलाने में कभी कोताही नहीं बरततें के पी सिंह के सहयोग से विगत वर्ष कलेक्टर जैसे प्रभाव सील अधिकारी को गुमराह कर अवैध तरीके से नियम विरुद्ध मलेरिया विभाग में फर्जी नियुक्ति कर 14 लोगों को जो उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ झारखंड के निवासी हैं उन्हें सरकारी नौकर बना दिया गया था जिसकी लगातार शिकायत के बाद मामला उच्चतम न्यायालय में चल रहा है। के पी सिंह के द्वारा आए दिन अपने ही विभाग के अधिकारी कर्मचारियों एवं मैदानी स्तर में काम कर रहे कर्मचारियों के ऊपर दबाव बनाकर तरह-तरह के भ्रष्टाचार कराए जाने एवं न किए जाने पर कार्यवाही किए जाने की धमकी देना इनके आदत में है। मीडिया अधिकारी के द्वारा तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर लगातार कई वर्षों से भ्रष्टाचार किया जा रहा है एवं इनके द्वारा उसी भ्रष्टाचार में कमाए हुए धन के दम पर शिकायत कराते हुए विभाग के अन्य अधिकारी कर्मचारियों को परेशान किया जा रहा है। इतना ही नहीं उक्त मीडिया अधिकारी के द्वारा कांग्रेस सरकार के वरिष्ठ नेता अजय सिंह राहुल को अपना करीबी बता कर यहां पदस्थ छोटे-मोटे कर्मचारियों के पास कार्यवाही करा देने एवं सरकार हिला देने की भी धमकी दे दी जाती है। उपरोक्त डिप्टी ईएमआईओ के कारनामों की उच्च स्तरीय जांच किए जाने को लेकर जिले भर के समाजसेवी आमजन शासन में प्रशासन में बैठे जिम्मेदारों सहित कलेक्टर सोनिया मीणा से अपील किए हैं कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी द्वारा किए गए भ्रष्टाचारों की विधिवत जांच करा कर अगर समय रहते कार्यवाही नहीं की गई तो इनके द्वारा जिले के स्वास्थ्य विभाग को मिट्टी में मिलाने मैं बिल्कुल कोताही नहीं की जा सकेगी।

जब पूरे मामले को लेकर मुख्य लिपिक चंदू पाओ से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा कोई ऐसा टिकट को लेकर अमान्य नहीं किया गया है मुझसे मीडिया अधिकारी केपी सिंह के द्वारा पत्र लिखा कर टिकट को अमान्य किए जाने के लिए आवेदक के पास पत्र भेजने को लगातार दबाव बनाया जा रहा था उस दबाव के चलते मैंने पत्र जारी कर भारत सरकार द्वारा जारी रजिस्टर्ड स्पेशल एडहेसिव  टिकट को अमान्य घोषित किया हूं ।बाकी जानकारी मीडिया अधिकारी के पी सिंह  ही बता पाएंगे की आखिर उन्होंने ऐसा क्यों कराया आमजन के समझ से परे तो यह है कि विभाग में पदस्थ जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी जो भारत सरकार के द्वारा रजिस्टर्ड टिकट को भी अमान्य कर देते हैं तो इनके द्वारा विभाग के साथ कितने इंसानियत के साथ काम किया जाता होगा।

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