भ्रष्टाचार को उजागर करने पर गुंडागर्दी और धमकी, महिला ने लगाई न्याय की गुहार
अधिकारी कर रहे हैं अपने पद का दुरुपयोग, इनके कार्यो पर उठ रहे सवाल
अनूपपुर/जैतहरी
जिला मुख्यालय अनूपपुर के तहसील एवं ब्लॉक जैतहरी के अन्तर्गत तहसील कार्यालय जैतहरी हमेशा ही किसी न किसी प्रकार से अपने कार्यों के लिए चर्चा में रही है। परन्तु इस बार मामला ही कुछ अलग है। जब न्यायपालिका अपने कार्यो के प्रति लापरवाह होकर अपना कार्य अच्छे से न करते हुए लापरवाही करके गलत कार्यो को अंजाम देने लगे ऐसे न्यायपालिका से लोग क्या आशा कर सकते हैं न्याय पाने के लिए लोग न्याय की आश में आते हैं और जब लोगो को पता चले कि न्याय करने वाला ही मामले को उल्टा कर दे लोग न्यायपालिका से न्याय की आशा कैसे कर सकते हैं। ऐसा ही एक मामला तहसीलदार जैतहरी तहसील में देखने को मिल रहा है पीड़िता का न्यायपालिका पद पर बैठे अधिकारी पर दस्तवेजो पर हेर फेर करके लीपा पोती करने की शिकायत पुलिस अधीक्षक अनूपपुर से की गई है शिकायत के बाद जांच कर्ता मुझ पर दबाब बनाकर धमकी देकर मामले को वापस लेने की बात कह रहे हैं। स्वयं तहसीलदार भी बिना जांच के ऐसा कैसे कर सकते हैं, प्रश्न चिन्ह उठना लाजमी है ?
*यह है मामला*
आपको बता दें कि मामला लावल्द फौत में गलत तरीके से कार्य करने और वारिस बनाकर भूमि मे दूसरे को मालिक बनाने का है जिसमे प्रार्थिया गीता बाई राठौर पति केशव प्रसाद राठौर निवासी ग्राम क्योंटार, थाना जैतहरी, जिला अनूपपुर के निवासी ने बताया है और पति के साथ पुलिस अधीक्षक अनूपपुर को शिकायत करते हुए बताया है कि तहसील कार्यालय के अधिकारियों द्वारा कार्यों में लीपा पोती करते हुए इनके द्वारा भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। जिसमे प्रार्थिया रामसिंह पिता सुकलादीन राठौर निवासी ग्राम उमरिया थाना जैतहरी के विरुद्ध एवं रामकृष्ण पनिका पटवारी हल्का गोरसी उमरिया, जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश तथा तहसीलदार भावना डहेरिया तहसील जैतहरी के विरुद्ध प्रार्थिया की पैतृक भूमि खसरा नंबर 08,रकबा 1.169 स्थित ग्राम उमरिया तहसील जैतहरी के मामले के सम्बंध में पुलिस अधीक्षक के समक्ष दिनांक 30/06/2021 को लिखित शिकायत की थी जिसमे अनुविभागीय अधिकारी(पुलिस) जिला अनूपपुर उक्त मामले कि जांच कर रही है जिसमें जांच कर्ता अधिकारी द्वारा मनमाने तरीके से विरोधीगणों से साजिश कर वास्तविकता कि जांच नहीं की जा रही है, बल्कि प्रार्थिगण को उल्टा डांट डपट कर रही है, जांच अधिकारी द्वारा बार बार धमकी दी जा रही है कि राजस्व के अधिकारियों के विरुद्ध रिपोर्ट नहीं की जाती। प्रार्थी को पूर्ण विश्वास है कि उक्त मामले की सत्यता की जांच उपरोक्त जांच अधिकारी से किया जाय संभव नहीं है, जांचकर्ता अधिकारी हल्का पटवारी व तहसीलदार जैतहरी से मिली भगत से कार्य कर रही है। इनके द्वारा सादर विनय करते हुए प्रार्थिया के द्वारा पुलिस अधीक्षक अनूपपुर के समक्ष की गई शिकायत दिनांक 30/06/2021 की अन्य निष्पक्ष पुलिस अधिकारी से जांच कराई जाने की दया करने कि मांग करते हुए दिनांक 30/06/2021 की रिपोर्ट कि प्रति संलग्न है जोकि मिडिया के फोटो में भी साफ देखी जा सकती है।
ऐसे किया गया लीपा पोती*
प्रार्थिया गीता बाई राठौर ने पुलिस अधीक्षक अनूपपुर के समक्ष लिखित शिकायत करते हुए बताया कि अनूपपुर जिले के तहसील जैतहरी के पटवारी हल्का गोरसी में फर्जी व कूटरचित तरीके से लावल्द फौत व्यक्ति का वारिस बता कर हल्का पटवारी रामकृष्ण पनिका एवं तहसीलदार जैतहरी भावना डहेरिया के साथ षड्यंत्र कर फौती दर्ज करा लेने एवं गैर हकदार (शासकीय भूमि) को भूमि स्वामी होना दर्ज करा देने के संबंध में एफ आई आर दर्ज करते हुए निलंबन किए जाने के संबंध में लिखित शिकायत की। जिसमे बताया जा रहा है कि यह भूमि सुदीन उर्फ शिवनंदन पिता चतुरा राठौर की गैर हकदार भू स्वामित्व की भूमि थी, सुदीन के कोई संतान नहीं थे जो लावाल्द फौत हो गया है। दूसरी ओर सुदीन राठौर का एक भाई दुलारे राठौर था जिसकी एक पुत्री प्रार्थी गण की मां चिरौजिया बाई थी। सरपंच द्वारा इसकी पुष्टि भी सेजरा प्रमाण पत्र द्वारा किया गया है वहीं एक ओर पूरे कागजातों में इसकी टोपी उसके सर और उसकी टोपी इसके सर अर्थात पिता को कहीं पुत्र तो कहीं जबरन वारिस बनाने का कार्य किया गया है जिसपर प्रार्थिया द्वारा कार्यवाही कि मांग की गई है।
*बनाया जा रहा है दबाव*
प्रार्थी द्वारा बताया जा रहा है कि अधिकारियों द्वारा प्रार्थी और प्रार्थी के पति के ऊपर जबरन दबाव बनाते हुए धमकियां दी जा रही हैं कि वह शिकायत वापस ले। जिससे कि यह भ्रष्टाचार उजागर न हो सके।
*अधिकारियों कि है संलिप्तता*
इस पूरे मामले में प्रार्थी द्वारा बताया जा रहा है कि अधिकारियों की मिलीभगत सांठ गांठ और संलिप्त होने के कारण किसी भी तरह से कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं किया जा रहा जिससे शासन प्रशासन पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं और उनके कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह उठ रहा है।
*तो क्या अलग होते हैं संविधान*
एक तरफ जहां भारत देश में सभी भारत वासियों के लिए संविधान और कानून एक मानी जाती है एवं अपराध हो या भ्रष्टाचार सभी को बराबर दर्जा दिया जाता है तो फिर यहां अधिकारियों के लिए दूसरा कानून कैसे लागू हो सकता है यदि कोई आम इंसान गलत कार्य करें तो उस पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है तो फिर अधिकारी को यदि पद से अलग किया जाए या आम इंसान के रूप में देखा जाए तो क्या वह भारत के संविधान में कानून के दायरे में नहीं आ सकता या यूं कहें कि क्या वह भारतीय नहीं है। जिला प्रशासन के कार्यशैली और पुलिस अधीक्षक के कार्यों पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं अब देखना दिलचस्प होगा कि आखिरकार एक पीड़िता की गुहार लगाई जाने पर न्याय मिलता है या नहीं या फिर और केसों की तरह भ्रष्टाचारियों की जीत होगी।