भ्रष्टाचार के गटर में भाजपा, कांग्रेस, अधिकारी, जनप्रतिनिधि सब नंगे ?

भ्रष्टाचार के गटर में भाजपा, कांग्रेस, अधिकारी, जनप्रतिनिधि सब नंगे ?

बहती गंगा में सबने धोया हाथ मंत्री, सांसद, विधायक, कलेक्टर हुए मौन...सत्य कहे कौन ?

इंजीनियर, प्रभारी और सचिव, ने रखी घोटाले की नींव


अनूपपुर 

कोयलांचल में नगर परिषदों का गठन अभी हुआ भी नहीं है कि ठग, बेईमान, भ्रष्टाचारियों की जमात जुटने लगी है। जिला अन्तर्गत बनगंवा, डोला, डूमरकछार देश की इकलौती ग्राम पंचायतें थीं ,जहाँ पचास - साठ से अधिक कर्मचारी कार्यरत थे। किसी भी जिला पंचायत, जनपद पंचायत के सीईओ से इस बावत बात करो तो वह यही कहता है कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में अधिकतम चार - पांच कर्मचारी ही होते हैं। इसके बावजूद जिस तरह से जिले के नवनिर्मित नगर पंचायतों में भर्ती घोटाले की कालिख पोते लोग घूम रहे हैं तो लोग यही चर्चा कर रहे हैं कि भ्रष्टाचार के गटर में क्या भाजपा -- क्या कांग्रेस , सभी नंगे दिख रहे हैं। भ्रष्टाचार और अनियमितता पर जनप्रतिनिधियो का ऐसा मौन कि सत्य कहे कौन वाली दशा है। क्या मंत्री, सांसद, विधायक -- क्या कलेक्टर ,सीईओ सभी ने चुप्पी साध रखी है। जिले की आखिरी छोर  छत्तीसगढ़ सीमा पर बसे तीनो ग्राम पंचायत से नगर परिषद बनने के बाद वहां पर काफी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी करते हुए तीनो नगर परिषद में सैकड़ो लोगो को भर्ती कर ली गई यह भर्ती चुपचाप तरीके से की गई इसकी भनक किसी को भी नही लगी वहां के बेरोजगार नौजवान युवक भर्ती का इंतजार करते ही रह गए। इस भर्ती मास्टर माइंड इंजीनियर, सीएमओ, ग्राम पंचायत के सचिव रहे। एसडीएम, सीएमओ, नगर परिषद, नगर पालिका, संभागीय कार्यालय संचालक नगरीय प्रशासन, ग्राम पंचायत के अधिकारियों, कर्मचारियों एवं भाजपा, कांग्रेस के राजनैतिक दल जनप्रतिनिधि, नेता, कलमकारों, सांसद प्रतिनिधि के घर एवं करीबियों की भर्तियां कर दी गयी इस भर्ती के तार राजनगर, अनूपपुर, शहडोल होते हुए भोपाल तक जुड़ी हुई हैं। इस भर्ती में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश के लोग शामिल है। जैसे ही इस भर्ती का लोगो को पता चला तो इस भर्ती के खिलाफ़ कुछ लोगो ने मोर्चा खोल दिया और धीरे धीरे लोगो का गुस्सा बढ़ने लगा और लोग आंदोलन की चेतावनी देने लगे। 

*कैसे हुआ संविलियन खेल*

मध्यप्रदेश की अनूपपुर जिले में यह पहली पंचायत होगी जिस ग्राम पंचायत 60 से 65 लोग ग्राम पंचायत में कार्य कर रहे थे मगर इतने सारे लोगो का संविलियन तो हो गया मगर इतने सारे लोग ग्राम पंचायतों में किस किस पद पर कर क्या कार्य कर रहे थे ये कोई नही बता पा रहा है पहले तो अधिकारियों का बयान आया कि कोई संविलियन और भर्ती ही नही हुई हैं बाद में धीरे धीरे दूध और पानी अलग होने लगा। तीनो पंचायत को मिलाकर सैकड़ो लोग दैनिक वेतन भोगी बनाकर रख लियर गए। ग्राम पंचायत में इतने सारे लोगो को पेमेंट पंचायत, जिला प्रशासन या मध्यप्रदेश सरकार दे रही थी ये बात किसी को हजम होने वाली नही है। मगर अधिकारियों की सांठ गांठ से सब कुछ लोगो को हाजमोला खिलाकर जबरदस्ती हजम कराया जा रहा

*पत्रकारों ने खोला मोर्चा*

इस मामले का खुलासा होते ही जिले के कुछ पत्रकारों ने इस भर्ती के खिलाफ़ पत्रकारों ने मोर्चा खोलकर इन लोगो के खिलाफ लिखना शुरू अखबारों, सोशल मीडिया में जमकर लगातार खबरे चलने लगी जिसको देखते हुए जिले में बैठे अधिकारी पत्रकारों के खिलाफ़ दबाब बनाना शुरू कर दिया और कुछ पत्रकारों के खिलाफ प्रेस नोट जारी करके कलमकारों की डिग्रियां पूछने लगे यहाँ तक ब्लैकमेलर का भी तमगा दे दिया गया उसके बाद पत्रकारों बने सीएमओ के खिलाफ एक जुट होकर कार्यवाही के लिए ज्ञापन दे डाला।

*बेरोजगारों ने किया विरोध*

तीनो नगर परिषद में चुपचाप भर्ती के बाद स्थानीय निवासी बेरोजगारो ने इस मामले के खिलाफ सड़को पर उतर गए और इसकी शिकायत भी की गई कि मामले की जांच करके इन लोगो के खिलाफ कार्यवाही करने की गुहार लगाई मगर इन लोगो की न सुनवाई हुई और न कोई कार्यवाही और  आंदोलन कारी पता नही चुपचाप क्यू बैठ गए।

*कांग्रेस उतरी बेरोजगारों के पक्ष मे*

राजनैतिक दलों पर यह दबाब बनने लगा कि इस बड़े मामले में राजनैतिक दल चुप क्यू हैं इसी बात का फायदा उठाते हुए युवा कांग्रेस ने ज्ञापन देकर चेतावनी दे डाली की अगर दिए हुए समय पर अगर भर्ती हुए कर्मचारियों की सूची उपलब्ध नही कराई गई तो युवा कांग्रेस आंदोलन करते हुए नगर परिषद के सामने धरना प्रदर्शन किया जाएगा। समय निकलने के बाद युवा कांग्रेस ने धरना प्रदर्शन शुरू किया तो सूची उपलब्ध करा दी गयी और युवा कांग्रेस ने जिले से लेकर संभाग तक शिकायत करते हुए जांच के लिए पत्र लिख डाला। मगर जिला कांग्रेस इस मामले में चुप्पी साधी रही न तो जनता का समर्थन किया न ही युवा कांग्रेस का और अब युवा कांग्रेस का भी कुछ पता नही चल पा रहा है।

*शिवसेना ने दिया समर्थन*

इस मामले को लेकर शिवसेना पार्टी भी मौका छोड़ने नही चाहती थी और वो भी जनता बेरोजगारों का साथ देने के नाम पर मैदान में कूद पड़ी मामले का विरोध करते हुए भर्ती के खिलाफ कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन देकर आंदोलन की चेतावनी देने में बिल्कुल देरी नही की और जब शिवसेना की दाल गलते नजर नही आई तो कुछ दिनों बाद जिला मुख्यालय अनूपपुर में कलेक्टर कार्यालय के पास धरने पर बैठ गयी और कुछ दिनों के बाद आंदोलन कारी कहा गायब हो गए पता ही नही चला।

*जनप्रतिनिधियो ने साधी चुप्पी*

जिले के एवं कोयलांचल क्षेत्र के जनप्रतिनिधि चुपचाप बैठे हैं जैसे कुछ हुआ ही न हो इस मामले को लेकर तो लोगों के साथ खड़े दिखे न ही विरोध करते दिखे लोगो ने चुप्पी क्यू साध के बैठे हैं यह बात आम लोगो को हजम नही हो रही हैं। जिले में  बैठे सांसद, विधायक, जिला पंचायत, जनपद पंचायत, नगर परिषद, ग्राम पंचायत के सदस्य में से किसी ने फर्जी मामले के खिलाफ़ एक शब्द भी मुँह से नहीं निकला जब कि यही लोग जब वोट मांगने जाते हैं तो मतदाता के चरणों पर गिरकर अपनी नाक रगड़कर हर संभव मदद करने की बात करते है और चुनाव जीतने के बाद जनता की मदद तो छोड़ दे इनके दर्शन होना बड़ा मुश्किल होता हैं जनप्रतिनिधियों के खिलाफ जनता का काफी ज्यादा आक्रोश देखा जा रहा है आने वाले चुनाव में इसका खामियाजा लोगो को भोगना पड़ सकता हैं।

*भाजपा ने नही दिया साथ*

इस समय भारत की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा इस मामले से अपने आप को बाहर रखना ही मुनासिब समझा जब कि इस मामले की जानकारी भाजपा जिलाध्यक्ष, जिले के विधायक एवं मंत्री, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तक बात पॅहुच चुकी हैं मगर उसमे बाद में कुछ न बोलना लोगो का समर्थन न करना कुछ समझ नही आ रहा हैं कही न कहीं कुछ तो दाल में काला है मगर लोगो का कहना है कि भाजपा की पूरी दाल ही काली हैं। कही न कहीं भाजपा को इससे बहुत ही बड़ा फायदा होगा तभी तो चुपचाप बैठकर तमाशा देख रही हैं। न्याय का नारा बोलने वाले भाजपा के लोग कहा लापता हो गए क्या उनको बेरोजगारों की आवाज सुनाई नही दे रही हैं या सुनना नही चाह रहे है भाजपा इस समय गांधी जी के 3 बंदर वाली कहावत नजर आ रही हैं। न देखो, न सुनो, न बोलो।

*दलालो दम पर पूरा खेल*

कोयलांचल क्षेत्र के तीनों नगर परिषद, अनूपपुर सहित संभागीय कार्यालय संचालक नगरीय प्रशासन में बैठे कर्मचारी पूरे मामले में दलाली करते देखे गए इस भर्ती में ये दलाल कई करोड़ो का खेल खेल गए लोग बताते हैं कि लोगों से लाखों रुपये लेकर भर्ती करा दिया गया और अपने रिश्तेदारों, घरो के लोगो को निःशुल्क भर्ती करा दिया गया इतना ही नही जो लोग चुपचाप बैठे हैं जनप्रतिनिधि, नेता, अधिकारी, कर्मचारी, के घर रिश्तेदारो की चुप रहने के एवज में काम पर लगा दिया गया हैं।इस मामले में संभाग कार्यालय में बैठे कर्मचारी ही दलाल कक रोल अदा कर रहे हैं और कहते फिरते है कि हमारा कोई कुछ नही बिगाड़ सकता। हमारी पहुँच भोपाल बैठे मंत्रियों से है जिसको जहां शिकायत करना हो कर दे।

*सारे हो गए मैनेज*

जिले में बैठे इस घोटाले के मास्टर माइंड ऐसी चक्रव्यूह की रचना की सभी इसमे फंसते चले गए सामने तो ही शर्त थी कि बात मानो या चक्रव्यूह में फंसकर दम तोड़ दो इस मामले में जितने लोग इसके मामले के खिलाफ नही थे वो सब पहले ही सम्भाग में बैठे दलाल नौकरी और रुपये देकर सभी लोगो को अपने पाले में कर लिए और जो कुछ लोग जो हल्ला कर रहे थे उनमें कुछ लोगो को धमका कर कुछ को नौकरी देकर और बाकी बचे को रूपया देकर मैनेज कर लिया गया अब उस घोटाले में सब मैनेज हो गए है। लंबी लंबी ढींगे मारने वाले, हल्ला करने वाली पार्टियां गायब हो गयी जनता बेरोजगार नौजवान भी लापता हो गए, इससे ऐसा लगता है कि अब कुछ होने वाला नही हैं कहते है कि सत्य की जीत हमेशा लेट होती हैं मगर यहाँ पर तो असत्य के आगे सत्य का चीरहरण हो गया।

*जांच में होगी खानापूर्ति*

बहुत हल्ला और शिकायत होने के बाद भोपाल से एक जांच टीम गठित हुई जो मामले की जांच करके पूरी रिपोर्ट देगा मगर उस जांच टीम का कोई अता पता नही है। और जांच करते करते वह टीम भी मैनेज हो जाएगी और रिपोर्ट पेश कर देगी की एक भी अवैध भर्तियां नही हुई हैं सारे कार्य नियम से किये गए है यह लोगो को पहले से मालुम हैं कि सब जांच का दिखावा मात्र है।

*जिला प्रशासन भी कटघरे में*

जब मामला जिला प्रशासन तक पहुँचा तो इस मामले से जिला प्रशासन पल्ला छाड़ते नजर आ रहा हैं इतनी शिकायत और हल्ला होने के बाद भी जिला प्रशासन कोई भी कार्यवाही जांच नही करवा पाया प्रशासन की चुप्पी पर भी अब सवाल खड़े हो रहे है चुप्पी का मतलब ये तो नही कि बड़े बड़े अधिकारियों के घर और रिश्तेदारों की नौकरी भी लग गयी हैं और जांच के बाद प्रशासन खुद कटघरे में खड़ा नजर आएगा।

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