ऐसा शिव मंदिर जहाँ खंडित शिवलिंग की होती हैं पूजा, चारो धाम का मिलता हैं पुण्य

ऐसा शिव मंदिर जहाँ खंडित शिवलिंग की होती हैं पूजा, चारो धाम का मिलता हैं पुण्य


खंडित मूर्ति की पूजा का विधान नहीं है लेकिन भोलेनाथ की महिमा अपरम्पार है. मध्यप्रदेश के सतना में एक ऐसा मंदिर भी है जहां लोग खंडित महादेव की पूजा अर्चना करते हैं.अनहोनी की आशंका को दरकिनार कर भक्तों की टोली यहां भगावन भोलेनाथ का आशीर्वाद पाने आती है

सतना/मध्यप्रदेश

जिला मुख्यालय से तकरीबन 35 किलोमीटर दूर स्थित बिरसिंहपुर कस्बे में भगवान भोलेनाथ का ऐसा मंदिर है. जहां स्वयंभू शिवलिंग स्थापित हैं. जिसे गैवीनाथ धाम के नाम से जाना जाता है. यहां पर खंडित शिवलिंग की पूजा होती है और इसका वर्णन पद्म पुराण के पाताल खंड में है

खंडित शिवलिंग की होती हैं पूजा

सावन के सोमवार में यहां हर साल भक्तों का मेला लगता है. गैवीनाथ धाम को उज्जैन महाकाल का उपलिंग कहा जाता है. किवंदतियों की फेहरिस्त लंबी है

*राजा वीर सिंह की कहानी*

पद्म पुराण के अनुसार त्रेता युग में बिरसिंहपुर कस्बे में राजा वीर सिंह का राज्य हुआ करता था. उस समय बिरसिंहपुर का नाम देवपुर हुआ था. राजा वीर सिंह प्रतिदिन भगवान महाकाल को जल चढ़ाने के लिए घोड़े पर सवार होकर उज्जैन महाकाल दर्शन करने जाते थे और भगवान महाकाल के दर्शन कर जल चढ़ाते थे।

बताया जाता है कि लगभग 60 सालों तक यह सिलसिला चलता रहा. इस तरह राजा वृद्ध हो गए और उज्जैन जाने में परेशानी होने लगी. एक बार उन्होंने भगवान महाकाल के सामने मन की बात रखी.ऐसा माना जाता है कि भगवान महाकाल ने राजा वीर सिंह के स्वप्न में दर्शन दिए. और देवपुर में दर्शन देने की बात कही.इसके बाद नगर में गैवी यादव नामक व्यक्ति के घर में एक घटना सामने आई. कहा जाता है कि घर के चूल्हे से रात को शिवलिंग रूप निकलता था जिसे गैवी यादव की मां मुसल से ठोक कर अंदर कर देती थी और कई दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा।

एक दिन महाकाल फिर राजा के स्वप्न में आए और कहां कि मैं तुम्हारी पूजा और निष्ठा से प्रसन्न होकर तुम्हारे नगर में निकलना चाहता हूं. लेकिन गैवी यादव मुझे निकलने नहीं देता. इसके बाद राजा ने गैवी यादव को बुलाया और स्वप्न की बात बताई जिसके बाद गैवी के घर की जगह को खाली कराया गया राजा ने उस स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण कराया और भगवान महाकाल के कहने पर ही शिवलिंग का नाम गैवीनाथ धाम रख दिया गया. तब से भगवान भोलेनाथ को गैवीनाथ के नाम से जाना जाने लगा।

*चारों धाम जितना फल मिलता है यहां*

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर चारों धाम से लौटने वाले भक्त भगवान भोलेनाथ के दर गैवीनाथ धाम पहुंचकर चारों धाम का जल चढ़ाते हैं.पूर्वज बताते हैं कि जितना चारों धाम भगवान का दर्शन करने से पुण्य मिलता है.उससे कहीं ज्यादा गैवीनाथ में जल चढ़ाने से मिलता है लोग कहते हैं कि चारों धाम का जल अगर यहां नहीं चढ़ा तो चारों धाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है यहां पर पूरे विंध्य क्षेत्र से भक्त पहुंचते है हर सोमवार यहां हजारों भक्त पहुंचकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं और मन्नत मांगते हैं और यहां आने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है

Labels:

Post a Comment

MKRdezign

,

संपर्क फ़ॉर्म

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget