खुलेआम आतंक पहले बुआ पर हमला, अब भाई को बाँका से काटने का प्रयास

खुलेआम आतंक पहले बुआ पर हमला, अब भाई को बाँका से काटने का प्रयास


बढ़ रहा सीताराम का आतंक बढ़, उलझन में पुलिसिया कार्यवाही

अनूपपुर

मामला अनूपपुर जिला मुख्यालय के वार्ड नं 9 सीमेंट ईंट प्लांट का है जहाँ 11जून की रात साढ़े 7 बजे जब ज्ञानेंद्र राठौर पिता शंकर राठौर निवासी अनूपपुर बस्ती द्वारा थाना प्रभारी अनूपपुर एवं पुलिस अधीक्षक को अपने दिए गए लिखित आवेदन पत्र एवं एफ आई आर की प्रति के माध्यम से बताया है कि वह है जब अपने प्लांट गया, तो उसके ऊपर उसी के सगे चाचा सीताराम राठौर, बेटे विवेक राठौर, पत्नी बिट्टी बाई राठौर एवं बेटी उषा चारो ने मिलकर प्लांट के मालिक पर ही बाँका धारदार हथियार से हमला कर दिया, जिसे बचाने दौड़े ज्ञानेंद्र के मित्र गंगाराम पटेल एवं अन्य को भी धारदार हथियार से चोटे आईं।

*तो क्या जान से मारने की थी साजिश*

जानकारी के अनुसार ज्ञानेंद्र के बाँह गले पैर एवं सीने पर अचानक हमला किया गया, यदि बाहर खड़े ज्ञानेंद्र राठौर के साथी वक़्त पर बचाने के लिये न पहुँचते तो जान जाने ले लेने की पूरी कोशिश थी।

*खुद के ही घर मे जाने पर पुलिस ने कायम किया 452*

घटना के बाद दुर्भाग्यपूर्ण पूर्ण घटना ये थी कि पुलिस ने ज्ञानेंद्र राठौर के ही खिलाफ उसी के घर एवं प्लांट मे जाने पर 452 (यानी  घर मे घुसने का) अपराध कायम कर लिया है, यही नही 6 अन्य लोग जिनमे से 5 घटना में मौजूद भी नही थी उनके खिलाफ तक मामला कायम किया गया है इससे पुलिस के विस्वाशनीयता पर शक होना स्वाभाविक है।

*जमीन बंटवारे के विवाद में रोजी रोटी पर हमला*

ज्ञानेंद्र राठौर के पिता एवं उसके चाचा के बीच भूमि का विभाजन होना है, जिस विवाद का बहाना बनाकर सीताराम राठौर ने पिछले लगभग 6 महीने से ईंट प्लांट का कामकाज बन्द कर दिया है और मजदूरो के सांथ मारपीट करता है, सामाजिक स्तर पर बात रखने के बाद जब सीताराम राठौर का आतंक खत्म नही हुआ तब 3 फरबरी 2021 को पहली बार ज्ञानेंद्र ने थाने में शिकायत की उसके बाद 6 फरबरी को सीताराम के खिलाफ 327 का एक मामला कायम हुआ जिसके बाद वह डेढ़ महीने तक पुलिस के गिरफ्त से फरार रहा, ज़मानत मिलने पर सीताराम ने फिर से ज्ञानेंद्र को जान से मारने फ़र्ज़ी मामलों में फंसाने व केस वापस लेने की धमकी देने लगा, जिसकी शिकायत ज्ञानेंद्र एवम उसके पिता शंकर राठौर ने अनेको बार थाना व पुलिस अधीक्षक को दी, परंतु प्रशासन मौन बन के बैठा रहा और अंत मे सीताराम व उसके परिवार ने इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे दिया, ज्ञानेंद्र शासन की योजना के तहत बैंक से लोन लेकर प्लांट शुरू किया और अपनी व लगभग 20 मजदूरों की आजीविका चला रहा था, विवाद के कारण बैंक की किश्ते और बिजली बिल का बोझ ज्ञानेंद्र के ऊपर बढ़ रहा है।

*गंगाराम पटेल को भी दी थी धमकी*

ज्ञानेंद्र के मित्र गंगाराम पटेल को भी 9 जून को सीताराम ने कोर्ट अनूपपुर के पास रोककर धमकी दी थी, जिसकी शिकायत उसने पुलिस मे की भी थी पर पुलिस ने उल्टा गंगाराम के खिलाफ ही मामला पंजीबद्ध कर दिया।

*अपने ही बुआ पर फावड़े से हमले के बाद नही हुई कार्यवाही*

लगभग ढाई महीने पहले 21 मार्च को सीताराम व उसके परिवार ने बिमला राठौर के पैतृक भूमि पर कब्जा किया उसे जबरन पैसा मांगने की कोशिश भी की यही नही उसे उसी के खेत मे फावड़े से कई बार सिर में प्रहार कर जान लेने की कोशिश की पर पुलिस प्रशासन की लापरवाही से महज मारपीट का काउंटर मामला बनाकर रफ़ा दफा कर दिया गया।

*पूरा मोहल्ला है परेशान*

इतना ही नही कभी किसी के भूमि पर कब्जा करना तो कभी बीच सड़क पर पिल्लर गाड़ कर मोहल्ले के लोगो को परेसान करना व बोर गाड़ी वालो से वसूली करना, सारे काम सीताराम राठौर पैसे के बल पर धड़ल्ले से करता है, ADJ रामसिंह कनौजिया को खुद से जमीन बेचकर उसका रास्ता बंद कर देता है,पर पुलिस किसी को इस अत्याचार से मुक्ति नही दिला पा रही है

*पारिवारिक विवाद,पुलिसिया कार्यवाही उलझन में*

सीताराम राठौर जोकि ज्ञानेंद्र राठौर का चाचा है जिनका जमीनी विवाद के चलते पारिवारिक विवाद का अंतर कलह मचा हुआ है जिसमें सीताराम राठौर के द्वारा आए दिन हिंसात्मक घटना को अंजाम दिया जा रहा है परंतु पुलिसिया कार्यवाही इनकी आपसी है प्रतिद्वंदिता पर उलझन में नजर आ रही है वास्तव में जिसके द्वारा आतंक मचाया जा रहा है उसके विरुद्ध कठोर कार्यवाही किया जाना ही उचित होगा ताकि सामाजिक कलह से बचा जा सके और इनके पारिवारिक विवाद से अन्य मोहल्ले में व समाज में रहने वाले लोगों को परेशानी ना उठाना पड़े।

*इनका कहना है*

दोनों पक्षों में विवाद हुआ है दोनों पर प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना किया जा रहा है।

खेम सिंह पेंद्रो थाना प्रभारी कोतवाली अनूपपुर

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