श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र पर भ्रष्टाचार के आरोप टूलकिट का हिस्सा ??
*कांग्रेस,सपा,आप नेताओं द्वारा लगाए गये आरोपों के निहितार्थ*
( मनोज कुमार द्विवेदी, अनूपपुर, मप्र)
उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद अयोध्या जी में श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण का कार्य तेजी से जारी है। लगभग एक वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत सहित कुछ विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति में मन्दिर का शिलापूजन कर कार्य का शुभारंभ किया था। विश्व हिन्दू परिषद के नेतृत्व में स्वयंसेवकों ने मन्दिर निर्माण के लिये आवश्यक निधि संग्रह का महा अभियान चला कर लक्ष्य से कई गुना अधिक राशि एकत्रित की। श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण के लिये निधि समर्पण के महा अभियान में जिस तरह से सभी वर्ग के लोगों ने बढ - चढ कर हिस्सा लिया , उससे यह दुनिया के ऐसे किसी धार्मिक मामले का अकेला हिन्दू जागरण महाअभियान का स्वरूप लेता दिखा। विश्व के करोड़ों सनातन धर्मावलंबियों के आराध्य भगवान श्री राम की जन्मभूमि में मन्दिर निर्माण का सपना सदियों पुराना था। भारतीय जनता पार्टी और विश्व हिन्दू परिषद ने कई दशक तक अयोध्या में जिस श्रीराम मन्दिर निर्माण की सौगंध खाई तथा संकल्प लिया था ,उसके निर्माण का कार्य धरातल पर तेजी से पूरा हो रहा है।
कुछ ऐसे राजनैतिक दलों के नेता उत्तर प्रदेश चुनाव से ठीक पूर्व तुष्टिकरण और वोटबैंक की कुटिल राजनीति के तहत ऐसे हर अभियान को हेय करने , विवादास्पद बना देने वाला कोई ना कोई कार्य कर रहे हैं। इसीलिये जब श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर हेतु भूमि क्रय में भ्रष्टाचार के आरोप समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी के नेताओं ने लगाए तो कांग्रेस उस पर ऐसे लपकी जैसे यह उसके किसी टूल किट का हिस्सा हो। कांग्रेस के सोशल साइट्स पर मन्दिर निर्माण को क्रिटिसाईज करने वाली तमाम पोष्ट भरी पड़ी हैं।
*नेताओं के झूठे आरोप साजिश का हिस्सा*
सपा सरकार के पूर्व मंत्री तेजनारायण पाण्डेय के साथ आप दल के सांसद संजय सिंह और फिर कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण में भूमि खरीदी में भ्रष्टाचार के आरोपों को दोहराते हुए सीबीआई जांच की मांग की है। जबकि मन्दिर न्यास के महामंत्री चंपत राय ने प्रेस नोट जारी करके आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए राजनैतिक विद्वेष से प्रेरित आरोप बतलाया है। संजय सिंह हों या दिग्विजय सिंह ...इन जैसे नेताओं का इतिहास इनके विवादित बयानों, आरोपों से भरे पड़े हैं। श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण महज न्यास , किसी नेता, किसी राजनैतिक दल विशेष का विषय ना होकर करोड़ों सनातन धर्मावलंबियों की आस्था और विश्वास से जुडा निहायत धार्मिक मामला है। उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के तहत गठित न्यास और मन्दिर निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट सहित दुनिया भर की नजर टिकी हुई है। जब सभी लेन देन आन लाईन किये जा रहे हों , तमाम सरकारी , गैर सरकारी एजेंसियों की निगरानी में हों तो भ्रष्टाचार के आरोपों पर किसे भरोसा होगा ? ऐसे में भ्रष्टाचार के आरोप यदि आधे - अधूरे तथ्यों पर आधारित हैं या तथ्यों को छुपा कर , विद्वेषपूर्ण तरीके से, राजनैतिक मंशा पूर्ण करने के लिये लगाए गये हैं तब भी जांच तो होगी ही।
*राजनैतिक विद्वेष से प्रेरित हैं भ्रष्टाचार के आरोप*
आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए राजनैतिक विद्वेष वश लगाया गया आरोप बतलाते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपत राय ने कहा है कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का परकोटा और रिटेनिंग दीवार को वास्तु सम्मत करने के लिए , मंदिर परिसर के पूर्व और पश्चिम दिशा में यात्रियों के आवागमन मार्ग को सुलभ बनाने के लिए खुला मैदान रखने के लिए , मंदिर परिसर की सुरक्षा के लिए पास - पड़ोस के कुछ छोटे - बड़े मंदिर , गृहस्थों के मकान खरीदना अत्यावश्यक समझा गया । विक्रेताओं के पुनर्वास के लिए उन्हें कहीं अन्यत्र भूमि भी दी जायेगी , इस कार्य के लिए भी भूमि की खरीददारी की जा रही है । क्रय--विक्रय का यह कार्य आपसी संवाद और परस्पर पूर्ण सहमति के आधार पर किया जा रहा है । सहमति के पश्चात् सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होते हैं । सभी प्रकार की कोर्ट फीस व स्टैम्प पेपर की खरीदारी आन - लाइन की जा रही है। सहमति पत्र के आधार पर भूमि की खरीददारी हो रही है और उसी के अनुसार सम्पूर्ण मूल्य विक्रेता के खाते में आन - लाइन स्थानान्तरित किया जाता है ।
9 नवम्बर , 2019 को श्रीराम जन्मभूमि पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने के पश्चात् अयोध्या में भूमि खरीदने के लिए देश के असंख्य लोग आने लगे। उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या के सर्वांगीण विकास के लिए बड़ी मात्रा में भूमि खरीद रही है । इस कारण अयोध्या में एकाएक जमीनों के दाम बढ़ गये । जिस भूखण्ड पर अखबारी चर्चा चलाई जा रही है वह भूखण्ड रेलवे स्टेशन के पास बहुत प्रमुख स्थान है । श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने अभी तक जितनी भूमि क्रय की है वह खुले बाजार की कीमत से बहुत कम मूल्य पर खरीदी है । उक्त भूमि को खरीदने के लिए वर्तमान विक्रेता गणों ने वर्षों पूर्व जिस मूल्य पर रजिस्टर्ड अनुबन्ध किया था , उस भूमि को उन्होंने 18 मार्च 2021 को बैनामा कराया, तत्पश्चात् ट्रस्ट के साथ अनुबन्ध किया । कुछ कतिपय राजनीतिक लोग इस संबंध में प्रचार करा रहे है वह भ्रामक है , समाज को गुमराह करने के लिए है , संबंधित व्यक्ति राजनीतिक हैं अतः राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित हैं ।