कर्मचारियों से दादागिरी, छात्र, छात्राओं पर तानाशाही फरमान, चहेतों को अभयदान
अनुपपुर ।
शासकीय तुलसी कॉलेज के तानाशाह प्राचार्य परमानंद तिवारी का विवादों से चोली दामन का संबंध हैं। ये काम कम करते हैं विवाद ज्यादा ये हमेशा वैक्सीनशन को लेकर लगातार लापरवाह बने हुए है, इनका ध्यान रिटायरमेंट के बचे हुए समय पर अधिक से अधिक जनभागीदारी के फण्ड का उल्टा पुल्टा खर्च करके ज्यादा से ज्यादा जनभागीदारी फंड का गोलमाल कर धन कमाने का है , शासन के सभी महत्वपूर्ण कार्यो को छोड़ कर यह केवल महाविद्यालय में निर्माण कार्यो पर ध्यान दे रहे है जहां इन्हें केवल आर्थिक लाभ है, इस कोरोना काल मे सबसे महत्वपूर्ण कार्य वैक्सीनशन का है जहाँ पर यह रुचि नही दिखा रहे है इनके करीबी कर्मचारियों द्वारा अभी तक वैक्सीन की डोज नही लगवाई गई हैं। और लापरवाही करने का प्रमाण पत्र इनको मिलता रहता हैं अभी हाल में कलेक्टर महोदय ने इनको लापरवाही के चलते कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।ये दबंग प्राचार्य के नाम से पूरे जिले में प्रसिद्ध हैं। जिनके कार्यशैली पर हमेशा सवाल उठते रहते है। हर कार्य मनमाना ढंग से करने इनको महारत हासिल है। इनसे छात्र, छात्रा, कर्मचारी, प्रोफेसर सभी परेशान रहते है।
*छात्रो के लिए वैक्सीनेसन का प्रमाण पत्र*
तुलसी कॉलेज में इन दिनों छात्रो को परीक्षा का कार्य चल रहा है, जहाँ पर ओपन बुक के माध्यम से छात्रों की परीक्षा ली जा रही है, छात्र अपनी उत्तर पुस्तिकाओं को जब महा विद्यालय में जमा करने आते है तो उन्हें महा विद्यालय प्रबंधक द्वारा उनसे वैक्सीनशन का प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है और कहा जाता हैं कि जब तक वैक्सीन नही लगवाओगे तब तक आप लोगो की उत्तर पुस्तिका जमा नही होगी और कॉलेज के अंदर जाने की अनुमति नही होगी बाकायदा नोटिस चिपका कर रखे हुए हैं। जबकि परीक्षा के प्रभारी जे के संत को बनाया गया है वो स्वयं वैक्सीन नही लगवाए है और कॉलेज के बहुत सारे कर्मचारी वैक्सीन नही लगवाए हैं वो सब कॉलेज के अंदर बाहर सभी जगह आना जाना करते है उनके लिए प्राचार्य का कोई फरमान जारी नही हैं।और छात्रों के वैक्सीन लगवाने के प्रमाण पत्र मांग रहे है। यह एकदम तानाशाही का प्रमाण हैं।
*जागरूकता का केंद है महा विद्यालय*
शासन ने वैक्सीनेसन के लिए जन जागरूकता का केंद है महा विद्यालय को बनाया है लेकिन तुलसी महा विद्यालय के लापरवाह व अपना रिटायरमेंट का समय काट रहे परमानंद तिवारी की जहाँ कुछ दिनों पहले अनुपपुर कलेक्टर ने वैक्सीनेशन जागरूकता को लेकर नोटिस थमाया था उसके वावजूद यह अभी भी अपने करीबी कर्मचारी जिनमे जे के संत, सहायक प्राध्यापिका गीतेश्वरी पाण्डेय, सुरेंद्र तिवारी, कमलेश चावले, देवेंद्र बागरी, कर्मचारी रामाश्रय भरिया, अतिथि विद्वान आशीष गुप्ता आदि यह सभी प्राचार्य के करीबी माने जाते है जिन्हें प्राचार्य ने वैक्सीन न लगवाने का अभयदान दिया है वही अन्य कर्मचारियों पर वेतन रोकने का दवाव डालकर वैक्सीन लगवा दिया गया। प्राचार्य अपने कर्मचारियों पर दोहरा नियम कैसे लागू कर सकते हैं।
*नो मास्क नो इंट्री*
कॉलेज के मुख्य द्वार पर नोटिस चिपका कर रखे हैं नो मास्क नो इंट्री मगर सूत्र बताते है कि कॉलेज परिसर के अंदर ज्यादातर कर्मचारी बिना मास्क के घूमते हुए नजर आते हैं मगर वहाँ बपर प्राचार्य की निगाह कमजोर साबित हो रही हैं जिन्हें आंख के डॉक्टर से चेकअप करवाके चस्मा लगवाने की आवश्यकता है। जिससे इनको सब कुछ कॉलेज मे क्या क्या हो रहा है स्पष्ट दिखाई देने लगे।